सनातन धर्म में योगिनी एकादशी के व्रत का बहुत अधिक महत्व है। यह एकादशी प्रति वर्ष आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की तिथि को मनाई जाती है और इसे पापों का नाश करने वाली तथा रोग-कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली तिथि कहा गया है। शास्त्रों में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस दिन व्रत करने से साधक को वैसा ही पुण्य प्राप्त होता है जैसा कि हजारों गौ दान करने से मिलता है। विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से पापों का प्रायश्चित होता है और स्वास्थ्य तथा समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। यही नहीं, योगिनी एकादशी व्रत का महत्व इतना बड़ा है कि इसे रोग नाशक और दरिद्रता हटाने वाला व्रत भी माना जाता है। यही कारण है कि हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं।

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एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको योगिनी एकादशी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं, हम आपको बताएंगे कि योगिनी एकादशी के दिन कौन से आसान एवं प्रभावी उपायों को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। तो चलिए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं योगिनी एकादशी के बारे में।
योनिगी एकादशी 2025: तिथि एवं शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ: जून 21, 2025 की सुबह 07 बजकर 21 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: जून 22, 2025 की सुबह 04 बजकर 30 मिनट तक।
योगिनी एकादशी पारण मुहूर्त: 22 जून की दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से 04 बजकर 34 मिनट तक।
अवधि : 2 घंटे 47 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय : 09:43:58 पर 22, जून को
उदया तिथि के अनुसार योगिनी एकादशी 21 जून 2025 को मनाई जाएगी।
योनिगी एकादशी का महत्व
सनातन धर्म में सभी 24 एकादशी को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। इसी तरह योगिनी एकादशी का भी अपना विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं और उसे रोग, दरिद्रता व अन्य प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से हजारों वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है। विशेष रूप से यह व्रत उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी है जो लंबे समय से किसी बीमारी, आर्थिक तंगी या पारिवारिक कलह से परेशान हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने और व्रत रखने से न केवल इस जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि पूर्व जन्म के पाप भी कट जाते हैं। साथ ही, यह व्रत सुख-समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और संतान सुख देने वाला माना जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती है और उसे किसी भी प्रकार के कष्ट नहीं झेलने पड़ते हैं। योगिनी एकादशी विशेष रूप से रोगों का नाश करने वाली और दरिद्रता दूर करने वाली तिथि के रूप में प्रसिद्ध है।
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योगिनी एकादशी 2025 पूजन विधि
- योगिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन अन्न का त्याग कर फलाहार करें और निर्जल व्रत करने का भी संकल्प लिया जा सकता है, यदि स्वास्थ्य व अनुकूल हो तो।
- इसके बाद घर में पूजा स्थल को स्वच्छ करके भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें गंगाजल से शुद्ध करें और पीले फूल, तुलसी दल, चंदन, धूप और दीप अर्पित करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
- इस दिन योगिनी एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़े या सुने । कथा सुनने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
- रात्रि में भजन-कीर्तन करें और जागरण करें। साथ ही, विष्णु सहस्रनाम का पाठ जरूर करें यह बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
- अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन और दान देकर व्रत पारण करें।
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योगिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में अलकापुरी नामक एक नगरी में कुबेर नामक धन के देवता राज्य करते थे। कुबेर भगवान शिव के परम भक्त थे और हर नंदनवन में जाकर शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते थे। उनकी सेवा में हेममाली नामक एक गंधर्व सेवक था, जिसका कार्य नंदनवन से पुष्प लाकर कुबेर को देना था ताकि वे भगवान शिव का पूजन कर सकें।
हेममाली अत्यंत सुंदर था और उसकी पत्नी भी अप्सरा थी। एक दिन पुष्प लाने के बजाय वह अपनी पत्नी के साथ काम-क्रीड़ा में मग्न हो गया और समय पर पुष्प नहीं ला सका। कुबेर जब पूजा के लिए फूलों का इंतजार कर रहे थे, तब उन्हें बहुत क्रोध आया। जब हेममाली को बुलाया गया और उसके अपराध का पता चला, तो कुबेर ने उसे शाप देते हुए कहा कि “हे पापी! तू अपने कर्तव्य से विमु\ख होकर काम-विकार में फंसा है। जा, तू कोढ़ी बनेगा और मृत्युलोक में कष्ट भोगेगा।”
कुबेर के श्राप के कारण हेममाली स्वर्ग से निकलकर मृत्युलोक में आ गया और उसे कोढ़ का रोग लग गया। वह अत्यंत कष्ट भोगते हुए हिमालय क्षेत्र में भटकता रहा। एक दिन वह मुनि मार्कंडेय के आश्रम में पहुंचा। उसके दयनीय रूप को देखकर मुनि ने कारण पूछा। हेममाली ने अपने पाप और श्राप की पूरी कथा सुनाई। मुनि मार्कंडेय ने करुणा से भरकर कहा, “हे गंधर्व! तेरे उद्धार का एक ही उपाय है। आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की योगिनी एकादशी का विधि पूर्वक व्रत कर। इस व्रत के प्रभाव से तुझे कोढ़ रोग से मुक्ति मिलेगी और स्वर्ग में पुनः स्थान प्राप्त होगा।
हेममाली ने मुनि के बताए अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया। उसके व्रत के प्रभाव से उसका शरीर रोग मुक्त हो गया और वह दिव्य स्वरूप में बदल गया। अंततः उसे स्वर्ग में पुनः स्थान मिला और उसके समस्त पाप नष्ट हो गए। मार्कंडेय मुनि ने कहा कि योगिनी एकादशी का व्रत सभी पापों का नाश करने वाला है। इससे व्यक्ति को न केवल शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इस वजह से इस व्रत महिमा और अधिक बढ़ गई।
योगिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के इन मंत्रों का करें जाप
योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ नीचे दिए गए मंत्रों का जाप जरूर करें, इससे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ये मंत्र इस प्रकार है:
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ विष्णवे नमः
- शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥ लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गों गोविंदाय नमः
योगिनी एकादशी पर इन उपायों से होगी हर समस्याओं दूर
योगिनी एकादशी पर कुछ आसान उपायों के बारे में बताया जा रहा है, जिन्हें करने से बड़ी से बड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। आइए जानते हैं, इन उपायों के बारे में:
कर्ज मुक्ति के लिए
इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाकर, “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। ऐसा करने से, आपका कर्ज धीरे-धीरे उतरने लगेगा।
रोगों से छुटकारा पाने के लिए
रोगी व्यक्ति को एकादशी के दिन गंगा जल में काले तिल डालकर स्नान कराना चाहिए और तुलसी दल के साथ भगवान विष्णु को अर्पित करें। ऐसा करने से बड़े से बड़े रोगों से राहत मिलेगी।
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दुश्मनों को हराने के लिए
योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में सफेद मिठाई चढ़ाएं और बाद में किसी ब्राह्मण या गाय को खिला दें। ऐसा करने से शत्रु खुद ही शांत हो जाएंगे।
आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए
एकादशी की रात पीले कपड़े में चावल, हल्दी की गांठ और सुपारी बांधकर तिजोरी में रखें। इससे धन आगमन बढ़ता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
रिश्ते मजबूत करने के लिए
पति-पत्नी में मनमुटाव है तो इस दिन दोनों मिलकर तुलसी पर जल चढ़ाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
संतान सुख के लिए
संतान प्राप्ति के इच्छुक दंपत्ति इस दिन विष्णु-लक्ष्मी जी का पूजन करें और सवा किलो चने की दाल और गुड़ का दान करें।
घर में सुख-शांति के लिए
घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण लगाएं और शाम को घी का दीपक जलाएं। औसा करने से सुख शांति बनी रहेगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
योगिनी एकादशी 2025 का व्रत 21 जून 2025 को रखा जाएगा।
इसके व्रत से समस्त पाप दूर हो जाते हैं और अंत में स्वर्ग प्राप्त होता है।
व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान जरूर करना चाहिए। आप दूध और दही का दान कर सकते हैं।