वृषभ संक्रांति पर इन उपायों से मिल सकता है प्रमोशन, डबल होगी सैलरी!

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वृषभ संक्रांति 2025: अध्‍यात्‍म और वैदिक ज्‍योतिष की दुनिया में प्रत्‍येक ग्रह की गति या गोचर केवल एक खगोलीय घटना नहीं होती है बल्कि यह एक दिव्‍य संकेत होती है। ऐसी ही एक महत्‍वपूर्ण खगोलीय और ज्‍योतिषीय घटना है वृषभ संक्रांति। संक्रांति शब्‍द संस्‍कृत भाषा के संक्रमण शब्‍द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है गति या परिवर्तन। यह सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने का प्रतीक है। सूर्य के वृषभ राशि में गोचर करने को वृषभ संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत में बड़े उत्‍साह के साथ मनाते हैं लेकिन वृषभ संक्रांति उन लोगों के लिए विशेष महत्‍व रखती है जो वैदिक ज्‍योतिष, ज्‍योतिष शास्‍त्र और सौर कैलेंडर पर आधारित परंपराओं को मानते हैं। इसमें उड़ीसा, तमिलनाडु और केरल के कुछ हिस्‍से शामिल हैं।

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इस साल 15 मई, 2025 को सूर्य के वृषभ राशि में गोचर करने पर वृषभ संक्रांति 2025 मनाई जाएगी। एस्‍ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्‍लॉग में वृषभ संक्रांति पर पूजा-अर्चना करने के सही समय और इसके महत्‍व एवं ज्‍योतिषीय उपायों आदि की जानकारी दी गई है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं वृषभ संक्रांति के बारे में।

वृषभ संक्रांति 2025: समय और तिथि

आमतौर पर हर साल सूर्य के मेष राशि से वृषभ राशि में गोचर करने पर वृषभ संक्रांति पड़ती है। 14 मई, 2025 को रात्रि 11 बजकर 51 मिनट पर ग्रहों के राजा सूर्य मंगल की राशि मेष से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। आगे देखिए वृषभ संक्रांति की सही तिथि और समय:

तिथि: बृहस्‍पतिवार, 15 मई, 2025

वृषभ संक्रांति 2025 क्षण: रात्रि 12 बजकर 21 मिनट पर।

वृ‍षभ संक्रांति 2025 पुण्‍य कला: सुबह 10 बजकर 50 मिनट से शुरू होकर शाम 06 बजकर 04 मिनट तक।

समयावधि: 06 घंटे 47 मिनट

वृषभ संक्रांति 2025 महा पुण्‍य कला: दोपहर 03 बजकर 49 मिनट पर शुरू होकर शाम 06 बजकर 04 मिनट पर समाप्‍त।

समयावधि: 02 घंटे 16 मिनट

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार संक्रांति क्‍या है?

वैदिक ज्‍योतिष में संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करना। चूंकि, सूर्य एक ही राशि में लगभग 30.4 दिनों तक रहते हैं इसलिए यह महीने में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य ग्रहों के राजा हैं और उनके गोचर करने का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है इसलिए सूर्य का गोचर अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण होता है।

12 संक्रांति हैं:

  • मेष संक्रांति
  • वृषभ संक्रांति
  • मिथुन संक्रांति
  • कर्क संक्रांति
  • सिंह संक्रांति
  • कन्‍या संक्रांति
  • तुला संक्रांति
  • वृ‍श्चिक संक्रांति
  • धनु संक्रांति
  • मकर संक्रांति
  • कुंभ संक्रांति
  • मीन संक्रांति

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वृषभ संक्रांति 2025 का महत्‍व

सूर्य के मेष राशि से वृषभ राशि में गोचर करने पर वृषभ संक्रांति मनाई जाती है। हिंदू धर्म और वैदिक ज्‍योतिष में इसका गहरा महत्‍व है। हिंदू सौर पंचांग के अनुसार यह संक्रांति वृषभ माह के आरंभ का संकेत देती है। यह आमतौर पर हर साल 14 या 15 मई को आती है। यह एक ऐसी ब्रह्मांडीय ऊर्जा के परिवर्तन को दर्शाती है जो उग्र तत्‍व से संतुलित पृथ्‍वी तत्‍व की ओर बढ़ रही है।

हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन, प्रकाश और ज्ञान का स्रोत माना गया है। सूर्य का वृषभ राशि में गोचर वह समय होता है, जब श्रद्धालु अर्घ्‍य, सूर्य नमस्‍कार और गायत्री मंत्र जैसे मंत्रों का जाप एवं आदित्‍य हृदय स्‍तोत्र का पाठ कर के सूर्य देव को सम्‍मान देते हैं। वृषभ राशि का प्रतीक बैल है और इसका संबंध भगवान शिव के वाहन नंदी से भी है। यह इस दिन के आध्‍यात्मिक महत्‍व को उजागर करता है। इस दिन भक्‍त अक्‍सर वृषभ संक्रांति पर दान, पवित्र नदियों में स्‍नान और गाय को चारा खिलाते हैं।

वैदिक ज्योतिषीय दृष्टि से यह परिवर्तन सूर्य के पृथ्‍वी तत्‍व की राशि वृषभ में गोचर करने को दर्शाता है जो कि समृद्धि, भोजन, कला और सुख-सुविधा लेकर आता है। इसका सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता है और इससे ध्‍यान क्रियाशील प्रयासों से हटकर भावनात्‍मक एवं भौतिक स्थिरता की ओर केंद्रित होता है। वित्तीय योजना, पारिवारिक संबंध और निजी मूल्‍यों को बढ़ावा देने के लिए यह समय अनुकूल होता है। वृषभ संक्रांति आध्‍यात्मिक और ब्रह्मांडीय संतुलन का शक्‍तिशाली समय होता है। यह समय या परिवर्तन भक्‍तों को आंतरिक विकास एवं सांसारिक सुख के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।

अग्नि तत्‍व से पृथ्‍वी तत्‍व में गोचर

मेष अग्नि तत्‍व की राशि है जिसके स्‍वामी मंगल ग्रह हैं। यह कार्य, महत्‍वाकांक्षा और नेतृत्‍व करने की क्षमता को दर्शाती है। वहीं दूसरी ओर, वृषभ राशि पृथ्‍वी तत्‍व की राशि है जिसके स्‍वामी शुक्र ग्रह हैं एवं यह राशि संतुलन, सौंदर्य, समृद्धि और कामुक सुख का प्रतिनिधित्‍व करती है। इस प्रकार सूर्य के मेष से वृषभ राशि में गोचर करने को आक्रामकता से स्थिरता की ओर एवं प्रयास से  निरंतरता की ओर बढ़ने के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

यह कला, संगीत, सुख-सुविधा, भोजन, वित्त और प्रेम की सराहना करने का एक ब्रह्मांडीय संकेत है। ज्‍योतिषी इस समयावधि को भौतिक सुख-सुविधाओं, वित्तीय योजना और रिश्‍तों में स्‍नेह लाने पर ध्‍यान केंद्रित करने के लिए उपयुक्‍त मानते हैं।

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वृषभ संक्रांति 2025: वृषभ और उसका प्रतीक

वृषभ राशि बैल को दर्शाती है जो कि शक्‍ति, प्रजनन, दृढ़ता और धैर्य का प्रतीक है। भारतीय संस्‍कृति में बैल को पवित्र माना जाता है। दिव्‍य बैल नंदी भगवान शिव का वाहन है एवं यह आध्‍यात्मिक द्वारपाल और धर्म का प्रतीक है। सूर्य का वृषभ राशि में गोचर करना दृढ़ इच्‍छाशक्‍ति, भौतिक समृद्धि और सौंदर्य की सराहना करने का समय है।

इस राशि का संबंध दूसरे भाव से भी होता है जो कि वाणी, समृद्धि, भोजन, पारिवारिक मूल्‍यों और संचित संसाधनों का कारक है। इस समयावधि में इन सभी चीज़ों को विशेष महत्‍व दिया जाता है। इसके साथ ही सूर्य का वृषभ राशि में गोचर का समय वित्तीय सुरक्षा पाने एवं पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने की ओर ध्‍यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है।

वृषभ संक्रांति 2025 पर शुभ योग

वृषभ संक्रांति 2025 पर अत्‍यंत शुभ योग बनने जा रहा है। 14 मई, 2025 को सूर्य के वृषभ राशि में गोचर करने के दौरान शिव योग चल रहा होगा और यह योग 15 मई, 2025 को सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इससे सुबह के समय आध्‍यात्मिक रूप से अनुकूल माहौल बनेगा। इसके बाद 16 मई, 2025 को सुबह 07 बजकर 13 मिनट तक शक्‍तिशाली एवं फलदायी सिद्ध योग रहेगा। इसके अलावा 15 मई को पूरा दिन भद्रा वास योग भी रहेगा।

15 मई को सुबह 11 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। ऐसा माना जाता है क‍ि इस शुभ समय में प्रार्थना करने, धार्मिक अनुष्‍ठान करने और दान आदि करने से भगवान सूर्य का दिव्‍य आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।

वृषभ संक्रांति 2025 की पूजन विधि

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान कर लें। इस दिन पवित्र नदी में स्‍नान करने का बहुत महत्‍व है। यदि ऐसा संभव न हो, तो आप घर पर ही अपने नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्‍नान कर सकते हैं।
  • अब एक तांबे का लोटा लें और उसमें जल भरने के बाद उसमें लाल चंदन और लाल रंग के पुष्‍प डालें। पूर्व की ओर मुख कर के सूर्य मंत्र का जाप करते हुए धीरे-धीरे सूर्य देव को अर्घ्‍य दें।
  • सूर्य देव को प्रसन्‍न करने के लिए सूर्य चालीसा और आदित्‍य हृदय स्रोत का पाठ करें।
  • घी का दीपक एवं कपूर जलाकर सूर्य देव की आरती करें।
  • सूर्य देव से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से सभी प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा को नष्‍ट कर के आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि दें एवं आपके आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि करें।

वृषभ संक्रांति 2025 पर करें मंत्र जाप

  • ॐ सूर्याय नम:।।
  • ॐ भास्‍कराय नम:।।
  • ॐ घृणि सूर्याय नम:।।

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वृषभ संक्रांति 2025 के लिए ज्‍योतिषीय उपाय

  • वृषभ संक्रांति के दिन की शुरुआत सूर्य देव को अर्घ्‍य देकर करें। आप इस उपाय को रोज़ कर सकते हैं।
  • सूर्य की सकारात्‍मक ऊर्जा प्राप्‍त करने के लिए अपने पिता या पिता समान व्‍यक्‍ति के साथ अपन रिश्‍ते को मजबूत करें।
  • यदि आपके अंदर आत्‍मविश्‍वास कम है, तो आप माणिक्‍य रत्‍न पहनें। यह सूर्य के शुभ प्रभाव को बढ़ाने का काम करता है।
  • सूर्य और शुक्र की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए सफेद रंग की चीज़ों का दान करें।
  • जिन लोगों को चिंता या अवसाद है, वे रोज़ सुबह सूर्योदय के समय सूर्य नमस्‍कार करें। इससे मानसिक शांति और स्‍पष्‍टता मिलती है।
  • सुबह पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
  • नियमित रूप से 108 बार सूर्य मंत्र का जाप करने से इच्‍छाशक्‍ति बढ़ती है और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।
  • आध्‍यात्‍मिक शक्‍ति और आंतरिक एकाग्रता के लिए दिन में एक बार आदित्‍य हृदय स्‍तोत्र का पाठ करें।

वृषभ संक्रांति 2025 : राशि अनुसार उपाय

आप वृषभ संक्रांति पर अपनी राशि के अनुसार निम्‍न उपाय कर सकते हैं: 

  • मेष राशि: करियर में अधिक अवसर पाने और मानसिक शांति के लिए आप सरसों का तेल, गुड़ और तिल अर्पित करें।
  • वृषभ राशि: समृद्धि और भाग्‍य के लिए वृषभ राशि वाले केसर, गेहूं और घी चढ़ाएं।
  • मिथुन राशि: अपने रिश्‍तों में सुख-शांति और सफलता पाने के लिए आप वृषभ संक्रांति पर चावल, सफेद रंग के वस्‍त्र और कपूर आदि का दान करें।
  • कर्क राशि: स्‍वास्‍थ्‍य एवं करियर को बेहतर करने के लिए आप तांबे के बर्तन, लाल रंग के वस्‍त्र और तिल के तेल का दान करें।
  • सिंह राशि: स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार के लिए आप चीनी और चावल का गरीब लोगों को दान करें या खीर बनाकर दान एवं शिव मंदिर में अर्पित करें।
  • कन्‍या राशि: अपनी रचनात्‍मकता और परिवार में सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए आप फल, सब्जियां या मिठाई का दान करें।
  • तुला राशि: आप भावनात्‍मक स्थिरता और पारिवारिक सुख-शांति के लिए चावल, दूध और घर का बना खाना दान करें।
  • वृश्विक राशि: आप फल, नीले रंग के वस्‍त्रों और तांबे का दान करें। इससे आपके रिश्‍तों में सुख-शांति एवं मजबूती आएगी।
  • धनु राशि: इस राशि वाले व्‍यापार में सफलता पाने और पारिवारिक सुख-शांति के लिए स्‍वर्ण, चावल और हरी सब्जियों का दान करें।
  • मकर राशि: आप लोहे, गुड़ और काले तिलों का दान करें। इससे आपको धन लाभ एवं विकास प्राप्‍त होगा।
  • कुंभ राशि: आप चीनी, ऊनी कपड़े और सफेद रंग की वस्‍तुओं का दान करें।
  • मीन राशि: इस राशि वाले सफेद रंग के फूल, धन या सफेद रंग की वस्‍तुओं का दान करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. वृषभ संक्रांति 2025 कब है?

उत्तर. बृहस्‍पतिवार, 15 मई, 2025 को वृषभ संक्रांति है।

प्रश्‍न 2. वृषभ संक्रांति क्‍या है?

उत्तर. सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश करने को वृषभ संक्रांति कहते हैं।

प्रश्‍न 3. एक वर्ष में कुल कितनी संक्रांतियां होती हैं?

उत्तर. एक साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।