सूर्य का वृषभ राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में सूर्य महाराज को नवग्रहों के जनक का दर्जा प्राप्त है इसलिए इनका गोचर मानव जीवन को अत्यधिक प्रभावित करता है। सूर्य ग्रह हर माह अपना राशि परिवर्तन करते हैं। इस प्रकार, वह लगभग 30 दिनों तक एक राशि में रहते हैं और इसके बाद, वह दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। अब यह जल्द ही अपनी राशि में बदलाव करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको “सूर्य का वृषभ राशि में गोचर” के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, समय आदि।

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इसके अलावा, सूर्य के इस गोचर का असर राशि चक्र की सभी 12 राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया पर भी पड़ेगा। कुछ राशियों को सूर्य के राशि परिवर्तन से सकारात्मक परिणाम मिलेंगे जबकि कुछ को नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। लेकिन चिंता न करें, हम अपने इस लेख में आपको सूर्य गोचर के अशुभ परिणामों से बचने के उपाय भी प्रदान करेंगे। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं कि सूर्य गोचर का समय और तिथि।
सूर्य का वृषभ राशि में गोचर: तिथि और समय
ग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्य देव को नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है जो हर 30 दिन बाद अपना राशि परिवर्तन करते हैं। इस प्रकार, अब यह एक साल बाद शुक्र ग्रह की राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि सूर्य महाराज 14 मई 2025 की रात 11 बजकर 51 मिनट पर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में, सूर्य गोचर का प्रभाव देश-दुनिया के साथ-साथ सभी राशियों को भी प्रभावित करेगा। कुछ राशियों को यह शुभ परिणाम देंगे जबकि कुछ राशियों को नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं इसलिए आपको कुछ विशेष सावधानियों का पालन करना होगा जिनके बारे में हम विस्तार से बात करेंगे।
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चलिए अब नज़र डालते हैं कि वृषभ राशि में सूर्य की विशेषताओं पर।
सूर्य और गुरु ग्रह की वृषभ राशि में युति
वृषभ राशि में जब सूर्य देव 14 मई 2025 को गोचर करेंगे, तो उस समय वहां पहले से देवताओं के गुरु बृहस्पति देव विराजमान होंगे। ऐसे में, शुक्र की राशि वृषभ में सूर्य और गुरु ग्रह युति का निर्माण करेंगे। हालांकि, इन दोनों ग्रहों की युति बेहद कम समय के लिए होगी क्योंकि सूर्य गोचर के एक दिन बाद यानी कि 15 मई 2025 को गुरु ग्रह मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे।
बता दें कि एक राशि में सूर्य और बृहस्पति देव की उपस्थिति को शुभ माना जाता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो सरकारी क्षेत्र से जुड़े हैं या जिनकी सरकारी नौकरी है। साथ ही, जो जातक लंबे समय से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए सूर्य-गुरु की युति फलदायी रहेगी और ऐसे में, आपको सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति हो सकती है।
वृषभ राशि में सूर्य की विशेषताएं
राशि चक्र की दूसरी राशि वृषभ पृथ्वी तत्व की राशि है और इसके अधिपति देव शुक्र ग्रह हैं। बता दें कि शुक्र स्त्री ऊर्जा वाले हैं जबकि सूर्य पुरुष ग्रह है। इन दोनों ग्रहों को ज्योतिष में एक-दूसरे का शत्रु माना जाता है। इस प्रकार, सूर्य की वृषभ राशि में मौजूदगी को ज्यादा अच्छा नहीं कहा जा सकता है, विशेष रूप से सूर्य देव जब कुंडली में प्रतिकूल स्थिति में होते हैं। लेकिन, इस स्थिति के तहत जन्म लेने वाले व्यक्ति कैसे होते हैं, आइए जानते हैं।
स्वास्थ्य: जिन जातकों का जन्म वृषभ राशि के तहत हुआ है, उन्हें अपने जीवन में कई तरह की समस्याओं और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, इन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होने के कारण रोग और बीमारियां इन्हें समय-समय पर परेशान करती रहती हैं। यह लोग आंखों और चेहरे से जुड़े रोगों के शिकार जल्दी हो जाते हैं।
पानी से बचें: वृषभ राशि में सूर्य के तहत जन्मे जातकों को पानी से बचने की आवश्यकता होती है क्योंकि इनके जीवन में पानी समस्याएं खड़ी कर सकता है। बात करें प्रेम जीवन की, तो यह लोग जीवनसाथी के साथ रिश्ते को लेकर असंतुष्ट रह सकते हैं।
स्वभाव: ऐसे जातक जिनकी कुंडली में सूर्य वृषभ राशि में बैठे होते हैं, वह दिखने में बेहद आकर्षक और स्वभाव से विनम्र होते हैं। इन लोगों को नृत्य, संगीत और गायन आदि क्षेत्रों में रुचि होती है। हालांकि, यह चतुर और बुद्धिमान होते हैं।
धन-समृद्धि से संपन्न: वृषभ राशि में सूर्य की उपस्थिति वाले जातक सामान्य रूप से धनवान होते हैं और धन-वैभव से पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। हालांकि, यह अपने जीवन में काफ़ी धन कमाने में सक्षम होते हैं।
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सूर्य ग्रह का धार्मिक महत्व
सूर्य देव संसार को अपनी रोशनी से प्रकाशित करते हैं, यह बात हम सभी भली-भांति जानते हैं। लेकिन, सूर्य देव का संसार और हमारे जीवन में क्या महत्व है, चलिए आपको रूबरू करवाते हैं प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए सूर्य के महत्व से।
भगवान कृष्ण ने बताई सूर्य देव की महिमा
भविष्य पुराण में श्रीकृष्ण ने भगवान सूर्य की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है कि संसार में सूर्य से बढ़कर कोई दूसरा देव नहीं हैं, वह धरती के प्रत्यक्ष देवता हैं, जिन्होंने पूरे संसार को प्रकाशित किया है। प्रकाश सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक होता है। मानव शरीर में जो प्रकाश रूपी आत्मा है, वह सूर्य का ही प्रतिबिंब है। भविष्य पुराण के अनुसार, जगत प्रकाश से उत्पन्न हुआ है और प्रकाश में ही विलीन हो जाएगा।
श्रीराम ने रावण वध से पहले की थी सूर्य उपासना
वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि भगवान राम ने रावण का वध करने से पूर्व सूर्य आराधना की थी। रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम लंकापति रावण से युद्ध करते समय काफ़ी थक गए थे क्योंकि रावण बेहद शक्तिशाली था और उसे पराजित करना आसान नहीं था, उस समय महर्षि अगस्त्य ने राम जी को आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने और सूर्य देव की पूजा करने की सलाह दी। महर्षि के कहे अनुसार भगवान राम ने ऐसा ही किया और इसके पश्चात, उनके शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। इसके बाद, उन्होंने रावण का वध करते हुए युद्ध में विजय प्राप्त की।
सूर्य ग्रह का ज्योतिषीय महत्व
वैदिक ज्योतिष में सूर्य महाराज को मान-सम्मान और उच्च पद का कारक माना जाता है जो सिंह राशि के स्वामी हैं। सूर्य ग्रह मेष राशि में उच्च के होते हैं जबकि तुला इनकी नीच राशि है। कुंडली में सूर्य महादशा के चलने पर जातकों को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं, जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ या बलवान होते हैं, उन्हें करियर में सफलता और कारोबार में लाभ मिलता है। सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव से व्यक्ति की समाज में छवि मज़बूत होती है और उसके मान-सम्मान में भी वृद्धि होती है।
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सूर्य दोष होने पर परेशान करते हैं ये रोग
ज्योतिष की मानें तो, जिन लोगों की कुंडली में सूर्य देव किसी अन्य ग्रह से पीड़ित होते हैं, तो ऐसे जातकों को दिल, हड्डियों और आंखों से जुड़े रोग घेर सकते हैं। इसके अलावा, इन्हें पित्त संबंधित रोगों के प्रति भी सतर्क रहना चाहिए। लेकिन आप घबराएं नहीं, क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में हर समस्या का हल मौजूद है। इसी क्रम में, हम आपको ऐसे कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जो आपको सूर्य दोष से होने वाले रोगों से बचाव के लिए अपनाने चाहिए।
सूर्य दोष से होने वाले रोगों से बचने के उपाय
- जातकों को प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए।
- रोज़ाना स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें।
- नियमित रूप से तांबे के बर्तन में पानी पिएं।
सूर्य का वृषभ राशि में गोचर के दौरान अपनाएं ये उपाय
- रोज़ाना “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करें।
- रविवार के दिन स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें और सूर्य देव की उपासना करें।
- कुंडली में सूर्य को बलवान करने के लिए रविवार का व्रत करें।
- सूर्य देव से शुभ परिणाम पाने के लिए माणिक्य, गेहूं, लाल कमल और तांबा आदि का दान करें।
- रविवार के दिन दही, दलिया, गेहूं की रोटी और चीनी का सेवन करना शुभ रहता है।
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सूर्य का वृषभ राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
सूर्य का वृषभ राशि में गोचर मेष राशि वालों के संचार कौशल और ह्यूमर… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए सूर्य देव आपके चौथे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए सूर्य महाराज आपके तीसरे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि वालों के लिए सूर्य का वृषभ राशि में गोचर शुभ कहा जाएगा क्योंकि दूसरे भाव के… (विस्तार से पढ़ें)
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धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य देव आपके भाग्येश भाव यानी कि नौवें भाव के स्वामी हैं। अब…(विस्तार से पढ़ें)
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कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रह आपके सातवें भाव के स्वामी हैं और इस भाव का संबंध…(विस्तार से पढ़ें)
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मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य महाराज आपके छठे भाव के स्वामी हैं और आपकी कुंडली में… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
वृषभ राशि में सूर्य देव 14 मई 2025 को गोचर कर जाएंगे।
राशि चक्र की दूसरी राशि वृषभ के अधिपति देव शुक्र ग्रह हैं।
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रह हर माह यानी कि 30 दिनों में अपना राशि परिवर्तन करते हैं।