एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए “सूर्य का कुंभ राशि में गोचर” का यह विशेष ब्लॉग लेकर आया है जिसके अंतर्गत आपको सूर्य गोचर से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी। बता दें कि नवग्रहों में सूर्य को “ग्रहों का राजा” का दर्जा प्राप्त है और अब यह फरवरी माह में मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। सूर्य का कुंभ राशि में गोचर होने से सभी राशियों के जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव नज़र आ सकता है। हम इस ब्लॉग के माध्यम से उन राशियों के बारे में भी आपको विस्तार से बताएंगे जिनके लिए यह गोचर शुभ रहेगा। साथ ही, किन उपायों को आप सूर्य गोचर के दौरान अपना सकते हैं, यह भी हम आपको बताएंगे।

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अगर हम बात करें सूर्य गोचर के बारे में, तो सूर्य देव को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के लिए तकरीबन 1 महीने का समय लगता है। इस प्रकार, सूर्य देव को प्रत्येक राशि में दोबारा जाने में 1 साल का वक्त लग जाता है। हमारे इस ब्लॉग में हम न सिर्फ आपको सूर्य गोचर के प्रभाव और तिथि एवं समय के बारे में बताएंगे, बल्कि क्या होती है संक्रांति और क्या है इसका महत्व, कुंडली में कैसे मज़बूत करें सूर्य को आदि से भी आपको रूबरू करवाएंगे। तो चलिए बिना देर किये शुरू करते हैं यह लेख और सबसे पहले जानते हैं सूर्य गोचर का समय।
सूर्य का कुंभ राशि में गोचर: तिथि और समय
वैदिक ज्योतिष में सूर्य देव पिता एवं आत्मा के कारक कहे गए हैं जो अब 12 फरवरी 2025 की रात 09 बजकर 40 मिनट पर कुंभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं। शायद ही आप जानते होंगे कि सूर्य देव मकर राशि से निकलकर अपने पुत्र शनिदेव की कुंभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में, कुंभ राशि में सूर्य और शनि महाराज का मिलन देखने को मिलेगा। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं कुंभ राशि में सूर्य गोचर से बनने वाली युतियों पर।
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कुंभ राशि में सूर्य, बुध और शनि करेंगे युति
जब नवग्रहों के राजा सूर्य कुंभ राशि में गोचर करेंगे जो कि उनके पुत्र शनि देव की राशि है, उस समय न सिर्फ पिता-पुत्र का मिलन होगा बल्कि अनेक ग्रहों की युति का निर्माण होगा। ऐसे में, अनेक योग बनेंगे। जब 12 फरवरी 2025 को सूर्य देव कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे, तो वहाँ पहले से शनि देव विराजमान होंगे और इसके परिणामस्वरूप, सूर्य-शनि की युति का निर्माण होगा। इसके ठीक एक दिन पहले 11 फरवरी 2025 को बुध महाराज भी कुंभ राशि में आ जाएंगे। इस प्रकार, बुध और सूर्य की युति से 12 फरवरी से लेकर 27 फरवरी तक बुधादित्य योग का निर्माण होगा। इसके अलावा, सूर्य, बुध और शनि के एक राशि में मौजूद होने से त्रिग्रही योग भी बनेगा।
कुंभ राशि में सूर्य-बुध की युति जातकों को सकारात्मक परिणाम दे सकती है और यह अवधि आपके कार्यों में सफलता प्रदान करेगी जबकि इस अवधि में शनि अस्त अवस्था में होंगे। इसके परिणामस्वरूप, सभी राशियों को मिलने वाले परिणाम कमज़ोर रह सकते हैं। अब आपको अवगत करवाते हैं कि आख़िर क्या होती है संक्रांति और क्या है इसका धार्मिक महत्व।
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संक्रांति और सूर्य गोचर का महत्व
सूर्य गोचर को धर्म और ज्योतिष दोनों में ही महत्वपूर्ण माना गया है। सूर्य महाराज जब-जब एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करते हैं, तो इस घटना को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जब सूर्य जिस भी राशि में प्रवेश करते हैं, उस संक्रांति को उस राशि के नाम से जाना जाता है जिसमें उनका गोचर हुआ है जैसे कि अब सूर्य ग्रह का कुंभ राशि में गोचर होने जा रहा है, तो यह तिथि कुंभ संक्रांति के नाम से जानी जाएगी।
हालांकि, हर संक्रांति तिथि का अपना ख़ास महत्व होता है। इसी क्रम में, जिस दिन सूर्य धनु राशि में गोचर करते हैं, तो खरमास की शुरुआत हो जाती है। सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में सभी तरह के शुभ एवं मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। ठीक इसके विपरीत, सूर्य महाराज के मकर राशि में गोचर करने के साथ ही खरमास का अंत हो जाता है और एक बार फिर से मांगलिक कार्यों का पुनः आरंभ हो जाता है।
इसी तरह, सूर्य गोचर का प्रभाव न सिर्फ राशियों को प्रभावित करता है, बल्कि देश-दुनिया के साथ-साथ धन, अर्थव्यवस्था और करियर समेत विभिन्न क्षेत्रों पर अपना असर डालता है। जहां सूर्य के कुछ गोचर कुछ राशियों के लिए अनुकूल साबित होते हैं, तो कुछ राशियों के लिए यह नकारात्मक परिणाम लेकर आते हैं।
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कुंभ संक्रांति का धार्मिक महत्व
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि सूर्य देव हर महीने अपनी राशि बदलते हैं। अब यह कुंभ राशि में जा रहे है, तो ऐसे में, कुंभ संक्रांति का धार्मिक रूप से विशेष महत्व है। धार्मिक दृष्टि से कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करना और सूर्य देव की पूजा-अर्चना के साथ-साथ दान करना शुभ रहता है। सूर्य देव की उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
कमज़ोर और मज़बूत सूर्य का प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में सूर्य देव मजबूत स्थिति में होते हैं, उनका समाज में मान-सम्मान बढ़ता है और उन्हें सरकारी नौकरी प्राप्त होती है। ऐसे लोगों को हर कदम पर अपने पिता के साथ मिलता है और उनके साथ रिश्ते भी मधुर बने रहते हैं। साथ ही, स्वास्थ्य सुख भी प्राप्त होता है।
दूसरी तरफ, जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह दुर्बल अवस्था में होते हैं, उन्हें जीवन में अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे कि उन्हें शारीरिक रोग परेशान करते हैं, विशेष रूप से दिल और आंख से जुड़े रोग। साथ ही, ऐसे लोग झूठे आरोपों में फंस जाते हैं और समाज में मान-सम्मान भी कम होने लगता है। इसके अलावा, पिता के साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं और धन हानि उठानी पड़ती है।
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सूर्य का कुंभ राशि में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपाय
- जिन लोगों की कुंडली में सूर्य ग्रह कमज़ोर होते हैं, वह रविवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- संभव हो, तो रविवार के दिन व्रत रखें।
- अगर आप जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, तो दैनिक जीवन में आप लाल और पीले रंग के वस्त्र पहनना शुरू करें।
- सूर्य ग्रह से शुभ फल प्राप्त करने के लिए माणिक रत्न धारण करना भी लाभकारी रहता है। लेकिन, आपको रत्न धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
- सूर्य देव को बलवान करने के लिए सोना, तांबा, गुड, गेहूं और माणिक आदि का दान करें।
- भगवान सूर्य की आराधना के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। ऐसा करने से सूर्य देव से सकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
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सूर्य का कुंभ राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
इस गोचर के दौरान सूर्य मेष राशि के ग्यारहवें भाव में रहेंगे एवं वह आपके पांचवे भाव के… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के चौथे भाव के स्वामी सूर्य ग्रह हैं और अब वह इस राशि के दसवें भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
इस गोचर के दौरान सूर्य ग्रह मिथुन राशि के नौवें भाव में गोचर करेंगे और वह आपके तीसरे…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
सूर्य का कुंभ राशि में गोचर करने के दौरान सूर्य देव कर्क राशि के आठवें भाव में रहेंगे एवं…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सूर्य का कुंभ राशि में गोचर करने के दौरान सूर्य ग्रह सिंह राशि के सातवें भाव में रहेंगे। सूर्य इस…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि के बारहवें भाव के स्वामी सूर्य देव हैं और अब वह आपके छठे भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
सूर्य के कुंभ राशि में गोचर करने पर सूर्य देव तुला राशि के पांचवे भाव में उपस्थित रहेंगे। सूर्य…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
सूर्य का कुंभ राशि में गोचर के दौरान दशम भाव के स्वामी सूर्य आपके चौथे भाव में विराजमान…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के तीसरे भाव में सूर्य का यह गोचर होने जा रहा है। सूर्य इस राशि…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
सूर्य का कुंभ राशि में गोचर करने के दौरान सूर्य देव मकर राशि के दूसरे भाव में रहेंगे और ये इस…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
सूर्य कुंभ राशि के सातवें भाव के स्वामी हैं और अब सूर्य का कुंभ राशि में गोचर करने पर वह…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
सूर्य कुंभ राशि के सातवें भाव के स्वामी हैं और अब सूर्य का कुंभ राशि में गोचर करने पर वह…(विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सूर्य का कुंभ राशि में गोचर 12 फरवरी 2025 को होगा इसलिए इसे कुंभ संक्रांति कहते हैं।
ज्योतिष में सूर्य ग्रह आत्मा, पिता और मान-सम्मान का कारक कहा गया है। इस प्रकार, इनका प्रभाव मनुष्य पर दिखाई देता है।
राशि चक्र में सूर्य देव को सिंह राशि पर स्वामित्व प्राप्त है।