श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 हिन्दू धर्म की अत्यंत पुण्यदायिनी और कल्याणकारी तिथि मानी जाती है। यह व्रत विशेष रूप से संतान प्राप्ति, संतान की उन्नति और पारिवारिक सुख-शांति के लिए किया जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित यह एकादशी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आती है और इसका महत्व धर्मग्रंथों तथा पुराणों में विशेष रूप से बताया गया है। श्रद्धा और आस्था से इस दिन व्रत रखने से न केवल संतान संबंधी समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि परिवार में समृद्धि और सौभाग्य भी आता है। जो दंपति संतान प्राप्ति की कामना करते हैं, उनके लिए यह व्रत अचूक माना गया है।

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इस एकादशी का पूजन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने का एक श्रेष्ठ माध्यम है। भक्ति, व्रत और नियमों के साथ किया गया श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और इच्छाओं की पूर्ति करता है।
एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 व्रत के बारे में सब कुछ जानेंगे, साथ ही इसके महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए बिना किसी देरी के अपने ब्लॉग की शुरुआत करते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025: तिथि और समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 04 अगस्त को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और 05 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। हिन्दू धर्म में उदया तिथि मान है। इसलिए 05 अगस्त 2025 को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर सकते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी पारण मुहूर्त : 06 अगस्त की सुबह 05 बजकर 44 मिनट तक से 08 बजकर 25 मिनट तक
अवधि : 2 घंटे 40 मिनट
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श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 पर विशेष योग
ज्योतिषियों की मानें तो पुत्रदा एकादशी पर दुर्लभ इंद्र योग का संयोग है। साथ ही, भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन भद्रा दोपहर 11 बजकर 43 मिनट तक स्वर्ग में रहेंगी। इसके बाद भद्रा पाताल लोक में रहेंगी। भद्रा के स्वर्ग और पाताल में रहने के दौरान लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व
श्रावण पुत्रदा एकादशी का धार्मिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक दृष्टिकोण से अत्यंत विशेष महत्व है। यह व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है और इसे भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है। पुत्रदा शब्द का अर्थ है-पुत्र देने वाली अर्थात् यह एकादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति और संतान के सुख-समृद्धि के लिए मनाई जाती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी उन दंपत्तियों के लिए वरदान समान मानी जाती है, जो संतान सुख से वंचित हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा से संतान योग प्रबल होता है और व्रती को संतान की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत का पालन करने से मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है। उपवास से पाचन क्रिया सुधरती है और व्रत के दौरान किए गए जाप, ध्यान और पूजा से मन को शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है।
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श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 की पूजा विधि
- व्रत से एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि की रात को सात्विक भोजन करें और एक बार भोजन करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और भगवान का स्मरण करें।
- सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहां भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करते हुए भगवान को आमंत्रित करें।
- भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, धूप-दीप, फल, मिठाई, खीर आदि अर्पित करें। पीले वस्त्र या चंदन से भगवान का श्रृंगार करें।
- पूजा के दौरान भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करें। मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय- 108 बार, श्री विष्णवे नमः, ॐ श्रीं लक्ष्मी-नारायणाय नमः।
- श्रवण पुत्रदा एकादशी की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
- इस दिन रात में भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करते हुए जागरण करें। भजन-कीर्तन करें या श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
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श्रावण पुत्रदा एकादशी की कथा
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति और संतान के कल्याण के लिए की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से निसंतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं व्रत कथा के बारे में।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में महिष्मती नामक नगरी में महाजित नामक एक धर्मात्मा और पराक्रमी राजा राज्य करते थे। वे दानशील, सत्यवादी और प्रजावत्सल थे, लेकिन एक बात उन्हें निरंतर दुखी देती थी, उनके कोई संतान नहीं थी। संतान की प्राप्ति के लिए उन्होंने यज्ञ, हवन, पूजा, व्रत, दान आदि अनेक धार्मिक अनुष्ठान किए, फिर भी कोई लाभ नहीं हुआ।
एक दिन राजा ने अपने दरबार में विद्वान ब्राह्मणों और ऋषियों को आमंत्रित कर अपनी चिंता प्रकट की। उन्होंने पूछा- मैंने जीवन भर धर्म का पालन किया है, फिर भी संतान से वंचित क्यों हूं? तब ब्राह्मणों ने ध्यान लगाकर राजा के पूर्व जन्म को देखा और बताया कि हे राजन! पूर्व जन्म में आप एक धनी व्यापारी थे, परंतु अत्यंत कठोर हृदय के। एक दिन एक भूखा ब्राह्मण आपके द्वार पर भोजन मांगने आया, लेकिन आपने उसे खाली हाथ लौटा दिया। उसी पाप के फलस्वरूप इस जन्म में संतान सुख से वंचित हैं।
राजा ने निवेदन किया, ऋषिवर! कृपा कर कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे मैं इस जन्म में संतान प्राप्त कर सकूं। तब ऋषियों ने कहा, श्रावण शुक्ल एकादशी का व्रत करो, जिसे पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का व्रत और पूजन संतान प्राप्ति हेतु अत्यंत फलदायक है। राजा ने विधिपूर्वक इस व्रत को किया। भगवान विष्णु की कृपा से कुछ समय बाद रानी को गर्भधारण हुआ और समय आने पर एक तेजस्वी और गुणवान पुत्र का जन्म हुआ।
आगे चलकर वह पुत्र भी धर्म और न्याय से राज्य चलाने वाला बना। यह कथा यह सिखाती है कि श्रद्धा, भक्ति और व्रत से पूर्व जन्म के दोष भी नष्ट हो सकते हैं। जो दंपति संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं, उन्हें श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 पर क्या न करें
- इस दिन चावल सहित अन्न का सेवन पूर्ण रूप से वर्जित है। केवल फलाहार करें।
- तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, लहसुन, प्याज, शराब आदि वर्जित हैं।
- इस दिन तुलसी के पत्ते न तोड़े। पूर्व में तोड़े गए पत्तों को ही पूजा में प्रयोग करें।
- झूठ बोलना, विवाद करना, गाली-गलौच और अपवित्र विचार वर्जित माने जाते हैं।
- एकादशी के दिन में सोना निषेध माना गया है। इससे व्रत का पुण्य घटना है।
- इस दिन शरीर से जुड़े किसी भी अंग को काटना शुभ नहीं माना जाता है।
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श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 के दिन करें सरल उपाय
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत और पूजन तो अत्यंत शुभ होता है, लेकिन यदि कुछ सरल, प्रभावशाली टोटके किए जाएं, तो इसका फल और भी शीघ्र मिलता है। ये उपाय विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए लाभकारी हैं जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं।
संतान सुख के लिए
श्रावण पुत्रदा एकादशी 2025 के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं। एक साफ पाली कपड़ा लें और उसमें पांच बताशे, पांच सुपारी और पांच तुलसी पत्र रखकर उसमें अपनी संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें। यह पोटली अपने पूजा स्थान में 11 दिन तक रखें और रोज ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जपें। 11वें दिन इसे किसी पवित्र जल में प्रवाहित कर दें।
गर्भधारण के लिए
रात को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। 11 बार तुलसी के चारों ओर परिक्रमा करें। हर परिक्रमा पर राधे कृष्ण बोलें और संतान सुख की प्रार्थना करें। यह उपाय लगातार 11 एकादशियों तक करें।
संतान के स्वास्थ्य के लिए
एकादशी को गाय को गुड़ और गेहूं खिलाएं। साथ ही एक लोटा जल में तुलसी पत्ता डालकर भगवान विष्णु को अर्पित करें। इस दौरान ॐ श्रीं वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
शारीरिक समस्याओं से छुटकारा के लिए
एकादशी की सुबह 1 नींबू के ऊपर चार लौंग गाड़ें। उसे भगवान विष्णु के सामने रखें और 21 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। फिर उस नींबू को किसी जल में प्रवाहित कर दें। इससे संतान सुख में आ रही बाधाएं दूर होंगी।
मानसिक शांति के लिए
रात को एक कटोरी में दूध लें और भगवान विष्णु के चित्र के सामने रखें। अगले दिन वह दूध तुलसी में अर्पित करें। यह उपाय गर्भस्थ शिशु को शक्ति और मां को मानसिक स्थिरता देता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
श्रावण पुत्रदा एकादशी 05 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
श्रावण पुत्रदा एकादशी उन दंपत्तियों के लिए वरदान समान मानी जाती है, जो संतान सुख से वंचित हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन इंद्र योग का संयोग बन रहा है और साथ ही, भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है।