राहु का कुंभ राशि में गोचर: राहु को क्रूर और पापी ग्रह माना जाता है इसलिए इनका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में राहु को अप्रत्याशित फल देने वाला ग्रह कहा गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस ग्रह के स्वभाव को समझना सबसे ज्यादा मुश्किल है। एक तरफ, राहु महाराज कठोर वाणी, जुआ, चोरी, बुरे कर्म, त्वचा रोग आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं दूसरी तरफ, राहु ग्रह के शुभ प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में सभी तरह की भौतिक सुख-सुविधाएं, मान-सम्मान, वैभव, प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ राजनीति-कूटनीति में सफलता और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करता है।

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इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि सभी ग्रहों में राहु ग्रह को विशेष स्थान प्राप्त है जो सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीकों से प्रभावित करने की अपार क्षमता रखते हैं। ऐसे में, अब यह अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज एआई का यह लेख आपको “राहु का कुंभ राशि में गोचर” से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा। कब और क्या रहेगा राहु गोचर का समय? सभी 12 राशियों को कैसे देंगे परिणाम और आप किन उपायों को करके राहु देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस ब्लॉग में मिलेंगे। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं राहु गोचर स्पेशल इस लेख की।
राहु का कुंभ राशि में गोचर: तिथि और समय
राहु एक छाया ग्रह है जो धार्मिक ग्रंथों में असुर माने गए हैं। इन्हें नवग्रहों में दैत्यों के सेनापति का पद प्राप्त है। प्राचीन ग्रंथों में राहु का वर्णन आध्यात्मिक ग्रह के रूप में भी किया गया है और अब यह 18 मई 2025 की शाम 05 बजकर 08 मिनट पर मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर कर जाने जा रहे हैं। बता दें कि नवग्रहों में राहु और केतु ही ऐसे ग्रह हैं जो हमेशा वक्री चाल चलते हैं और कभी मार्गी नहीं होते हैं। ऐसे में, राहु वक्री अवस्था में ही कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। हालांकि, राहु का कुंभ राशि में गोचर अच्छा कहा जा सकता है क्योंकि इनका यह राशि परिवर्तन अपने मित्र शनि देव की राशि में हो रहा है, इसलिए हम अनुकूल परिणामों की अपेक्षा कर सकते हैं।
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आइए हम आपको अवगत करवाते हैं ज्योतिष में राहु ग्रह के महत्व से।
ज्योतिषीय दृष्टि से: राहु ग्रह
वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह राहु को मायावी ग्रह कहा गया है और इसे समझना बहुत कठिन होता है। साथ ही, राहु ग्रह के बारे में मान्यता है कि कलयुग में राहु ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जो लोगों की तकदीर रातों रात बदल सकता है। अन्य युगों की तुलना में राहु को कलयुग में अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। राहु महाराज कठोर वाणी, जुआ, यात्रा, चोरी, पाप कर्म, त्वचा रोग, धार्मिक यात्राओं आदि के कारक हैं। जिन जातकों की कुंडली में बुध महाराज अशुभ भाव में होते हैं या पीड़ित अवस्था में होते हैं, उन्हें अपने जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
राहु की उच्च राशि मिथुन है और यह धनु राशि में नीच अवस्था में होते हैं। सभी 27 नक्षत्रों में इन्हें स्वाति, शतभिषा और आद्रा नक्षत्र पर शासन प्राप्त है। अगर हम बात करें राहु के शत्रु और मित्र ग्रह की, तो राहु महाराज बुध, शुक्र और शनि ग्रह के मित्र हैं जबकि सूर्य और चंद्रमा को इनके सबसे बड़े शत्रु माना जाता है। सूर्य और चंद्रमा के प्रति शत्रुता के भाव रखने के कारण ही राहु इन दोनों ग्रहों पर समय-समय पर ग्रहण लगाते हैं। वहीं, मंगल और गुरु ग्रह के साथ राहु के तटस्थ संबंध माने गए हैं।
राहु ग्रह का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से राहु ग्रह को विशेष दर्जा प्राप्त है और यह ग्रहण के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन से अमृत का कलश निकलने पर देवताओं और असुरों के बीच युद्ध होने लगा, उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर देवताओं को अमृतपान करवाना शुरू कर दिया। इस बीच स्वर्भानु नामक एक असुर देवता का रूप लेकर देवताओं के बीच में आकर बैठ गया और अमृत पीने लगा, तब ही सूर्य और चंद्रमा ने विष्णु जी को स्वर्भानु के बारे में बता दिया।
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भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस असुर का सिर धड़ से अलग कर दिया। ज्योतिष में सिर को राहु और धड़ को केतु के नाम से जाना गया। इसी क्रम में, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है और सूर्य की तरफ चंद्रमा का मुख होता है, तब जो छाया पृथ्वी पर पड़ती है, वह राहु का प्रतिनिधित्व करती है।
क्या होता है राहुकाल?
राहुकाल की अवधि राहु को समर्पित होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, राहु ग्रह से प्रभावित यह एक ऐसी अवधि होती है जिसे अशुभ माना जाता है इसलिए इस दौरान शुभ कार्यों को करना वर्जित होता है और इसे ही राहु काल कहा जाता है। एक दिन में राहु काल डेढ़ घंटे का होता है। हालांकि, तिथि और स्थान के आधार पर राहु काल में अंतर होता है।
राहु ग्रह का स्वरूप
बात करें राहु ग्रह के स्वरूप की, तो वेद मंत्रों के अनुसार राहु देव हमेशा अपने भक्तों को धन-वैभव और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह चंदन पुष्प और अक्षत से सुशोभित होते हैं जिन्होंने हाथों में खड़क लिया हुआ है और दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके भद्रासन पर आसीन होते हैं। इनका वर्ण नीला बताया गया है।
मनुष्य जीवन पर राहु का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र मानता है कि जिन लोगों की कुंडली में राहु लग्न भाव में होता है, उनका व्यक्तित्व सुंदर और आकर्षक होता है। ऐसा जातक जोखिम भरे कार्यों से डरता नहीं है और समाज में मान-सम्मान हासिल करता है। लेकिन, राहु की इस स्थिति को व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
राहु का सकारात्मक प्रभाव
मान्यता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में राहु महाराज की स्थिति शुभ या मज़बूत होती है, तो यह आपकी किस्मत रातोंरात बदल सकते हैं। यह आपकी बुद्धि को तेज़ बनाते हैं और इंसान को धर्म के मार्ग पर चलने वाला बनाते हैं। ऐसा जातक समाज में खूब मान-सम्मान और यश प्राप्त करता है। मज़बूत राहु वाले व्यक्ति को हर क्षेत्र में अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं और वह आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता हासिल करता है।
कुंडली के तीसरे, छठे या फिर ग्यारहवें भाव में राहु के बैठे होने से जातक को शुभ फल मिलते हैं। ऐसे इंसान का व्यक्तित्व मज़बूत होता है और इनकी रुचि धर्म-कर्म के कार्यों में होती है। इन लोगों के जीवन में धन का अभाव नहीं होता है और यह सामान्य रूप से धनवान होते हैं। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं उन संकेतों के बारे में जिनसे आप कमज़ोर राहु की पहचान कर सकते हैं।
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इन 10 लक्षणों से पहचानें कमज़ोर राहु
- वास्तु के अनुसार सीढ़ियों का न बनना या खराब रहना।
- घर की दहलीज या चौखट का दब जाना।
- शौचालय का हमेशा गंदा या टूटा-फूटा रहना।
- घर के नैऋत्य कोण का दूषित होना।
- अतीत में खोए रहना और भविष्य की कल्पना में डूबे रहना।
- सदैव पेट के बल सोना।
- काला जादू, तंत्र-मंत्र, आदि के चक्कर में उलझे रहना।
- रात को नींद का नहीं आना और रात में ज्यादा सपने देखना।
- बेकार का डर, आशंका और बेचैनी का बने रहना रहना।
- अपने विचार या निर्णयों में बार-बार बदलाव करना।
राहु का कुंभ राशि में गोचर के दौरान करें ये सरल उपाय
- राहु की अशुभ स्थिति मन को भ्रमित करने का काम करती है इसलिए राहु की शांति के लिए योग-ध्यान करें।
- राहु देव भगवान शिव के भक्त माने जाते हैं इसलिए राहु से राहत के लिए प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करें और उनके मंत्र “ऊँ नमः शिवाय” का जाप करें।
- भगवान भैरव नाथ के मंदिर जाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से राहु प्रसन्न होते हैं।
- राहु को मज़बूत करने के लिए हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही, प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें ,
- राहु से शुभ फल पाने के लिए शराब-सिगरेट आदि बुरी आदतों का त्याग कर दें।
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राहु का कुंभ राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
राहु गोचर 2025 के अनुसार मेष राशि के जातकों के जीवन में राहु का गोचर कुंभ राशि में…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर दशम भाव में होने वाला है। वैसे तो दशम भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लिए राहुका गोचर नवम भाव में होने जा रहा है। इस गोचर के प्रभाव से…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए राहु गोचर 2025 की बात करें तो यह आपकी राशि से अष्टम…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए राहु गोचर 2025 आपकी राशि से सप्तम भाव में होने जा…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए राहु गोचर 2025 आपकी राशि से छठे भाव में होगा। आमतौर पर…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
राहु गोचर 2025 की बात करें तो तुला राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर चतुर्थ भाव में होने वाला है। यह आपके लिए ज्यादा अनुकूल…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए राहु महाराज तीसरे भाव में गोचर करने वाले हैं। आपके लिए यह राहु गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर आपकी राशि से दूसरे भाव में होने जा रहा है। यहां उपस्थित…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुम्भ राशि के जातकों के लिए राहु का यह गोचर विशेष रूप से प्रभावशाली रहेगा क्योंकि राहु गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
राहु गोचर 2025 आपके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि राहु महाराज आपकी राशि…(विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
राहु महाराज 18 मई 2025 को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।
शनि देव कुंभ राशि के अधिपति देव हैं।
ज्योतिष में राहु और शनि ग्रह को एक-दूसरे का मित्र माना जाता है।