निर्जला एकादशी पर बन रहे हैं विशेष योग, इन उपायों से मिलेगा मनचाहा फल!

निर्जला एकादशी पर बन रहे हैं विशेष योग, इन उपायों से मिलेगा मनचाहा फल!

सनातन धर्म में निर्जला एकादशी एक विशेष और पुण्यदायी व्रत माना जाता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि पांडवों में भीम ने यह व्रत किया था। यह व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है और इस व्रत की ख़ास बात यह है कि इस व्रत को बिना जल ग्रहण किए रखा जाता है इसलिए इसे “निर्जला” एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस एक व्रत को करने से साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है। यह व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य और आत्मशुद्धि के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

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एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम निर्जला एकादशी 2025 व्रत के बारे में सब कुछ जानेंगे, साथ ही इसके महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए बिना किसी देरी के अपने ब्लॉग की शुरुआत करते हैं।

निर्जला एकादशी 2025: तिथि और समय

06 जून की देर रात 02 बजकर 18 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। वहीं,  07 जून की सुबह 04 बजकर 50 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके तहत निर्जला एकादशी का व्रत 06 जून 2025 को रखा जाएगा।

एकादशी आरंभ: 06 जून की देर रात 02 बजकर 18 मिनट

एकादशी समाप्त: 07 जून की सुबह 04 बजकर 50 मिनट पर

निर्जला एकादशी पारण मुहूर्त : 07 जून की दोपहर 01 बजकर 43 मिनट से 04 बजकर 30 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 46 मिनट

हरि वासर समाप्त होने का समय : 07 जून की सुबह 11 बजकर 28 मिनट तक

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निर्जला एकादशी पर बन रहे हैं ये विशेष योग

ज्योतिष के अनुसार, इस बार निर्जला एकादशी पर विशेष योग बन रहा है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भद्रावास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर भद्रा पाताल में रहेगी। भद्रा का पाताल में रहना शुभ माना जाता है। भद्रा दोपहर 03 बजकर 31 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 04 बजकर 47 मिनट तक भद्रा पाताल में रहेंगी।  

इसके अलावा, निर्जला एकादशी के दिन वरीयान योग का भी संयोग बन रहा है। वरीयान योग का शुभ संयोग सुबह 10 बजकर 14 मिनट से हो रहा है। यह योग बेहद शुभ योग है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता प्राप्त होती है।

निर्जला एकादशी का महत्व

सनातन धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का उच्च स्थान है। इस एकादशी व्रत का फल सभी 24 एकादशी के फल के बराबर प्राप्त होता है। इस दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत रखने का विशेष नियम है, इसलिए इसे “निर्जला” कहा जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति किसी कारणवश साल भर एकादशी व्रत नहीं कर पाता, वह केवल निर्जला एकादशी का व्रत कर ले तो उसे साल भर की एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है। 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन व्रत करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन जल दान, अन्न दान और गरीबों की सेवा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, निर्जला एकादशी आत्मसंयम, आत्मशुद्धि और धैर्य का भी प्रतीक है, जो व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।

निर्जला एकादशी की पूजा विधि

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा जल या साफ पानी से स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें कि आप आज अन्न और जल का त्याग करेंगे।
  • फिर घर में पूजा स्थान को साफ करें और वहां भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
  • पीले कपड़े में मौली बांधकर तांबे या पीतल का कलश रखें, उसमें जल, सुपारी, अक्षत , एक सिक्का और आम का पत्ता डालें।
  • इसके बाद पीले फूल, तुलसी के पत्ते, धूप, दीप, चंदन, अक्षत और फल, मिठाई भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप जरूर करें।
  •  इस दिन पूरा दिन बिना अन्न और जल के रहें। यदि स्वास्थ्य कारणों से संभव न हो तो फलाहार या जल ले सकते हैं।
  • निर्जला एकादशी पर दान करने के बहुत अधिक लाभ है। इस दिन जल से भरा घड़ा, छाता, कपड़े, फल आदि ब्राह्मण या गरीबों को दान करें।
  • इस व्रत के दिन रात में सोए नहीं बल्कि जागरण करें। भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें और रात में जागरण का महत्व है।
  • अगले दिन सुबह पूजा करके व्रत खोलें। सबसे पहले ब्राह्मण या गरीबों को भोजन कराएं, फिर स्वयं जल ग्रहण करें और अन्न खाएं।

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निर्जला एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पांडवों ने महर्षि वेदव्यास से पूछा कि एकादशी व्रत का पालन कैसे करें और इसके क्या लाभ हैं। तब व्यास जी ने कहा कि साल में 24 एकादशियां आती हैं और सभी एकादशी का विशेष महत्व है। प्रत्येक व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

यह सुनकर भीमसेन ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, मैं बहुत बलशाली हूं, लेकिन भोजन के बिना रहना मेरे लिए असंभव है। मैं सभी नियमों का पालन कर सकता हूं पर उपवास नहीं कर पाता। क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे मैं एक ही दिन व्रत करूं और साल भर की सभी एकादशियों का फल मिल जाए? तब महर्षि वेदव्यास ने कहा, “हे भीम! तुम्हारे लिए एक ही उपाय है कि तुम ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को उपवास करो, जिसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस दिन अन्न और जल का त्याग कर भगवान विष्णु की पूजा करने से साल भर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। 

इस व्रत में बिना जल ग्रहण किए उपवास करना अनिवार्य है, इसलिए इसे ‘निर्जला’ कहा जाता है। यह व्रत कठिन जरूर है, लेकिन इसके फल अपार हैं। यह व्रत पापों का नाश करता है और मोक्ष प्रदान करता है। भीमसेन ने व्यास जी की बात मानते हुए निर्जला एकादशी का कठोर व्रत किया। उन्होंने दिनभर न तो जल पिया और न ही अन्न ग्रहण किया। अंत में भगवान विष्णु की कृपा से भीम को अक्षय पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी पर करें राशि अनुसार उपाय

मेष राशि

इस दिन भगवान विष्णु को केसर मिला जल अर्पित करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। इससे मानसिक शांति और कार्यों में सफलता मिलेगी।

वृषभ राशि

निर्जला एकादशी पर सफेद वस्त्रों का दान करें और तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

मिथुन राशि

इस दिन गरीब बच्चों में फल और मिठाइयां बांटें। साथ ही, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इससे संतान सुख और शिक्षा में लाभ होगा।

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कर्क राशि

निर्जला एकादशी पर चावल और दूध का दान करें। साथ ही घर के उत्तर दिशा में दीपक जलाएं। पारिवारिक सुख बढ़ेगा।

सिंह राशि

पीली वस्तुओं का दान करें, जैसे चने की दाल या हल्दी। सूर्य देव का ध्यान करें और गुड़ का भोग लगाएं। मान-सम्मान में वृद्धि होगी।

कन्या राशि

निर्जला एकादशी पर दुर्वा घास और तुलसी पत्र से भगवान विष्णु का पूजन करें। स्वास्थ्य और कर्ज से राहत मिलेगी।

तुला राशि

कपड़े और इत्र का दान करें। भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करें। वैवाहिक जीवन में सुख मिलेगा।

वृश्चिक राशि

लाल वस्त्र में मसूर की दाल बांधकर मंदिर में दान करें। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे रोग-शत्रु नाश होगा।

धनु राशि

पीले फल जैसे आम, केला का दान करें और विष्णु मंदिर में दीपक जलाएं। भाग्य प्रबल होगा और यात्रा में सफलता मिलेगी।

मकर राशि

इस दिन तिल और काले कपड़े का दान करें। शनि मंत्र का जाप करें। नौकरी और करियर में उन्नति होगी।

कुंभ राशि

नीले वस्त्र और चप्पल का दान करें। गरीबों में पानी और शरबत बांटे। इससे रोग और आर्थिक कष्ट दूर होंगे।

मीन राशि

भगवान विष्णु को केले और नारियल चढ़ाएं और जल में तुलसी डालकर अर्पित करें। इससे पारिवारिक सुख और मानसिक शांति मिलेगी।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

1. निर्जला एकादशी 2025 का व्रत कब है?

निर्जला एकादशी का व्रत 06 जून 2025 को रखा जाएगा।

2. निर्जला एकादशी के नियम क्या हैं?

निर्जला एकादशी व्रत में अन्न और जल दोनों का त्याग किया जाता है।

3. निर्जला व्रत में पानी कब पीना चाहिए?

निर्जला एकादशी व्रत में, पानी सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक नहीं पीना चाहिए।