मिथुन संक्रांति 2025: सूर्य देव अपनी ऊर्जा और रोशनी से पूरे संसार को जीवनदान देते हैं। इनके बिना संपूर्ण सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसी तरह सूर्य के गोचर का भी बहुत अधिक महत्व है। सूर्य का गोचर का मतलब होता है सूर्य देव का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। ज्योतिष शास्त्र में जब सूर्य एक राशि में लगभग 30 दिन बिताकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे सूर्य का संक्रांति या गोचर कहा जाता है।

जैसे कि जब सूर्य वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करता है तो इसे मिथुन संक्रांति कहते हैं। सूर्य हर साल कुल 12 बार राशि परिवर्तन करते हैं और हर बार इनका यह गोचर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ नया परिवर्तन लेकर आता है। ऐसी मान्यता है कि मिथुन संक्रांति पर किए गए धार्मिक कार्यों और उपायों से वर्ष भर सूर्य देव की कृपा बनी रहती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा और समृद्धि में वृद्धि होती है।
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एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में आपको मिथुन संक्रांति 2025 के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। सिर्फ इतना ही नहीं, हम आपको बताएंगे कि मिथुन संक्रांति के दिन कौन से आसान एवं प्रभावी उपायों को करने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है। तो चलिए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं मिथुन संक्रांति के बारे में।
मिथुन संक्रांति 2025:तिथि एवं शुभ मुहूर्त
बता दें कि आत्मा, पिता, सम्मान, उच्च पद, शक्ति, और नेतृत्व क्षमता का कारक ग्रह सूर्य 15 जून 2025 से लेकर 16 जुलाई 2025 तक मिथुन राशि में गोचर करेंगे। जब सूर्य का प्रवेश मिथुन राशि में होगा, उस दिन को मिथुन संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा। ग्रहों के राजा सूर्य देव 15 जून 2025 की सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर वृषभ राशि को छोड़कर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
मिथुन संक्रांति 2025 की तिथि: रविवार, जून 15, 2025 को
मिथुन संक्रांति पुण्य काल – 15 जून की सुबह 06 बजकर 53 मिनट से दोपहर 02 बजकर 19 मिनट तक।
अवधि – 07 घंटे 27 मिनट
मिथुन संक्रान्ति महा पुण्य काल – 15 जून की सुबह 06 बजकर 53 मिनट से सुबह 09 बजकर 12 मिनट तक।
अवधि – 02 घंटे 20 मिनट
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मिथुन संक्रांति का अर्थ
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के गोचर यानी राशि परिवर्तन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जब सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस घटना को मिथुन संक्रांति कहा जाता है। यह हर साल जून के महीने में पड़ती है और सूर्य के इस संक्रांति का विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है।
मिथुन संक्रांति से सूर्य देव मिथुन राशि में लगभग एक महीने तक रहते हैं। मिथुन राशि को बुद्धि, वाणी, व्यापार और संचार का प्रतीक माना जाता है, इसलिए सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश से इन क्षेत्रों में विशेष प्रभाव पड़ता है। यह समय खासतौर पर व्यापारियों, लेखकों, विद्यार्थियों और संचार माध्यमों से जुड़े लोगों के लिए शुभ फलदायक माना जाता है।
मिथुन संक्रांति का महत्व
ज्योतिष में, मिथुन संक्रांति का विशेष महत्व है। मिथुन संक्रांति से वर्षा ऋतु की भी शुरुआत मानी जाती है। इस समय से प्रकृति में बदलाव आने लगता है और मानसून के संकेत मिलने लगते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य का यह गोचर सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भी कई बदलाव लाता है और देश-दुनिया के व्यापार व आर्थिक स्थिति पर भी असर डालता है। मान्यता है कि मिथुन संक्रांति पर सूर्य देव को प्रसन्न करने से जीवन में स्वास्थ्य, सफलता और समृद्धि बनी रहती है। यही कारण है कि इस दिन लोग नदियों में स्नान करते हैं, व्रत रखते हैं और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करते हैं। इस तरह, मिथुन संक्रांति सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह धर्म, ज्योतिष और सामाजिक जीवन में शुभता और उन्नति का संदेश लेकर आती है।
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मिथुन संक्रांति: देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में अलग-अलग रिवाज़
देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में मिथुन संक्रांति को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। आइए जानते हैं।
बिहार में दान का पर्व
मिथुन संक्रांति को स्नान और दान का पर्व माना जाता है। इस दिन लोग गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल भरे घड़े, छाता और जूते दान करते हैं। सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है और व्रत रखा जाता है।
ओडिशा में “राजा पर्व”
ओडिशा में मिथुन संक्रांति का सबसे बड़ा उत्सव है, जिसे “राजा पर्व” के रूप में मनाया जाता है। यह खासकर महिलाओं का त्योहार होता है, लेकिन इस त्योहार में बड़े-बुजुर्ग, बच्चे हर कोई बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है। इस दौरान झूले झुलाए जाते हैं, खेल-तमाशे होते हैं और पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।
बंगाल में नई फसल की शुरुआत
यहां मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य पूजा के साथ-साथ लोक नृत्य और गीतों का आयोजन होता है। किसान इस दिन खेतों में नई फसल की तैयारी की शुरुआत करते हैं।
दक्षिण भारत में रखते हैं उपवास
दक्षिण भारत जैसे- आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे जगहों पर मिथुन संक्रांति धार्मिक रूप में मनाया जाता है। सूर्य भगवान के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। लोग गरीबों को जल और भोजन दान करते हैं और उपवास रखते हैं।
राजस्थान और गुजरात में लोकगीतों का आयोजन
राजस्थान और गुजरात में भी इस दिन दान-पुण्य पर जोर दिया जाता है। सूर्य देव की आराधना कर लोग सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। ग्रामीण इलाकों में छोटे मेलों और लोकगीतों का आयोजन होता है।
मिथुन संक्रांति पर इन चीज़ों का करें दान
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए मिथुन संक्रांति में कई ऐसी चीज़ें हैं, जिनका दान करना अति शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं उन चीज़ों के बारे में:
- तांबे का बर्तन जरूर दान करें क्योंकि यह सूर्य देव का प्रिय धातु है।
- सूर्य देव को लाल रंग अति प्रिय है इसलिए इस दिन लाल वस्त्र का दान करें।
- इसके अलावा, गुड़, घी, शक्कर और गेहूं का दान करना भी शुभ माना जाता है।
- इस दिन जल से भरे घड़े (मटके) दान करें।
- सात प्रकार के अनाज दान करें।
- छाता, चप्पल और कपड़े, गर्मी से राहत दिलाने वाले चीजें दान करेंष
- पंखा या हाथ का पंखा
- फल, विशेषकर आम और खरबूज व तरबूज
- काले तिल और सफेद चावल का दान करें।
- सोना, तांबा या पीतल का सिक्का
- इस दिन प्याऊ लगाना या प्यासों को ठंडा जल पिलाना बड़ा पुण्यकारी होता है।
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इस विधि से करें सूर्यदेव की पूजा व आराधना
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र पहनें। स्नान में थोड़ा गंगाजल मिलाना शुभ माना जाता है।
- तांबे के लोटे में जल भरें, उसमें लाल फूल, अक्षत , रोली या कुमकुम और थोड़ा गुड़ डालें। पूर्व दिशा की ओर मुख कर के सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- जल देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- “ॐ घृणि सूर्याय नमः”। साथ ही सूर्य मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें- “ॐ आदित्याय नमः”।
- सूर्य देव को लाल फूल और लाल वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि लाल रंग इन्हें प्रिय है।
- इसके बाद गुड़, गेहूं, तांबे के बर्तन, फल और जल का दान गरीबों या जरूरतमंदों को दें।
- इस दिन सात्विक भोजन करें और मांस, मदिरा या तामसिक चीजों से दूर रहें।
मिथुन संक्रांति पर इन उपायों से करें सूर्य देव को प्रसन्न
- प्रातःकाल स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरें, उसमें लाल फूल, रोली, चावल और थोड़ा सा गुड़ डालें और सूर्य को अर्घ्य दें। ऐसा करने से तेज दिमाग की प्राप्ति होती है।
- इस दिन आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। यह स्तोत्र सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सबसे प्रभावशाली माना जाता है। रोजाना इसका पाठ करने से आत्मबल और सफलता में वृद्धि होती है।
- सूर्य देव को लाल रंग प्रिय है। लाल वस्त्र पहनें, लाल चंदन का तिलक लगाएं और पूजा में लाल फूल चढ़ाएं। ऐसा करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
- रविवार के दिन तांबे के बर्तन, गुड़, गेहूं, लाल कपड़े और छाता का दान करें। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
- रविवार को पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं और उसकी परिक्रमा करें। तुलसी माता की सेवा भी सूर्य को प्रिय है। ऐसा करने से बेहतर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- रविवार के दिन उपवास करें और सूर्य देव की विशेष पूजा करें। ऐसा करने से कमजोर सूर्य की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है।
- ज्योतिषीय सलाह के बाद सूर्य का रत्न माणिक्य (रूबी) धारण करें। यह सूर्य की ऊर्जा को बढ़ाता है।
मिथुन संक्रांति पर सभी 12 राशियों पर प्रभाव
मेष राशि
सूर्य का मिथुन राशि में गोचर विद्यार्थियों के लिए अच्छे परिणाम देगा। इस दौरान आपको हर परीक्षा में सफलता प्राप्त होगी। प्रेम जीवन के लिए भी यह समय बेहतर है। दिल की बात कहने का उत्तम समय है। सच्चा और गहरा प्यार पाने के संकेत हैं। रिश्ता शादी तक पहुंच सकता है। इस दौरान आपका आत्मविश्वास सामान्य तौर पर अनुकूल रहेगा। आपके करीबी आपका सहयोग करेंगे, आप अच्छी योजनाएं बनाकर सफलता की ओर बढ़ सकते हैं।
वृषभ राशि
यह गोचर आपको मिले-जुले परिणाम दे सकता है। इसके अलावा, आंखों से संबंधित कुछ परेशानियां भी देखने को मिल सकती हैं लेकिन घबराने की बात नहीं है समस्या से जल्द ही निपटारा भी पा सकेंगे । हालांकि आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और आय के कई साधन आपको मिलेंगे। लेकिन जिस तेजी से कमाई होगी उसी तेजी से खर्चे भी बढ़ेंगे इसलिए सोच समझकर खर्च करने की सलाह दी जाती है। घर गृहस्थी से संबंधित विवादों को टालना भी समझदारी का काम होगा।
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मिथुन राशि
सूर्य के गोचर को सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देने वाला नहीं माना जा रहा है। हालांकि सूर्य का यह गोचर कुछ मामलों में अच्छा कॉन्फिडेंस दे सकता है।कभी कभार आप ओवर कॉन्फिडेंस भी हो सकते हैं। ऐसा करने से स्वयं को बचाना समझदारी का काम होगा। अहंकारी होने से भी बचना है। साथ-साथ क्रोध नहीं करना है। शासन प्रशासन से जुड़े लोगों के साथ बेहतर ढंग से पेश आने की जरूरत रहेगी। खान-पान को भी संयमित रखना है।
कर्क राशि
सूर्य का गोचर कर्क राशि के जातकों को आर्थिक और पारिवारिक मामले में सावधानी पूर्वक निर्वाह करने का संदेश दे रहे हैं। इस दौरान शासन प्रशासन से जुड़े मामलों में संयम पूर्वक काम करने की आवश्यकता रहेगी। खान-पान भी संयमित रहे तो और भी अच्छा रहेगा। कहने का तात्पर्य है कि सामान्य तौर पर इस गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता लेकिन फिर भी यदि आप अनुशासित तरीके से काम करेंगे तो संतोषप्रद परिणाम प्राप्त कर सकेंगे।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को सूर्य का गोचर से शानदार फायदे होंगे। खासकर खुद का व्यापार करने और सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले जातकों के लिए यह गोचर अच्छा साबित होगा। प्रेम संबंध में भी अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे और लोगों के प्रति आपका आचरण अच्छा रहेगा । यात्राएं सामान्य तौर पर फायदेमंद रह सकती हैं। आर्थिक मामले में इस गोचर को काफी अच्छे परिणाम देने वाला माना जाएगा। नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति मिल सकती है अथवा इस समय अवधि में आपका इंक्रीमेंट भी हो सकता है।
कन्या राशि
विदेश आदि से संबंधित काम करने वाले लोगों को काफी अच्छे परिणाम मिलेंगे। शासन प्रशासन से मदद दिलाने में भी यह गोचर आपके लिए अनुकूल रहेगा। आपने अपने काम में जो मेहनत की है उसके अच्छे परिणाम आपको इस अवधि में मिलेगा। व्यापार की शुरुआत करने या आगे बढ़ाने के मामले में पिता का सहयोग मिलेगा।
तुला राशि
इस समय भाग्य आपका साथ देगा। रुके हुए काम पूरे होने लगेंगे और किस्मत आपका साथ देगी। धार्मिक यात्राओं का योग बनेगा। मंदिर दर्शन, पूजा-पाठ या कोई धार्मिक कार्य करने का मन बनेगा। विद्यार्थियों के लिए यह गोचर शुभ है। पढ़ाई में ध्यान लगेगा और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है। पिता या गुरु से सहयोग प्राप्त होगा। पारिवारिक रिश्ते मजबूत होंगे। यदि आप विदेश जाने की सोच रहे हैं तो प्रयास करें, सफलता मिलने की संभावना है।
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वृश्चिक राशि
इस दौरान पैसों के लेन-देन में सावधानी रखें। अचानक खर्चे बढ़ सकते हैं या कोई पुराना कर्ज याद दिला सकता है। कुछ निजी मामलों को लेकर मन थोड़ा व्याकुल रह सकता है। क्रोध और तनाव पर नियंत्रण रखें। इस समय में गुप्त स्रोतों से लाभ भी संभव है, जैसे बीमा, टैक्स रिफंड, या कोई पुराना पैसा वापस मिलना। अगर आप रिसर्च, ज्योतिष या गुप्त विद्याओं से जुड़े हैं तो यह गोचर सफलता दिला सकता है।
धनु राशि
पति-पत्नी के बीच मतभेद की संभावना है। छोटी बातों को बड़ा न बनने दें, संयम और समझदारी रखें। यदि आप बिजनेस पार्टनरशिप में हैं तो विशेष सतर्कता बरतें। किसी भी दस्तावेज या एग्रीमेंट को पढ़े बिना साइन न करें। प्रतियोगिता बढ़ेगी, चाहे नौकरी में हो या व्यापार में। आपको थोड़ा ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी अपनी जगह बनाने के लिए।
मकर राशि
यह गोचर पेट, त्वचा या आंखों से जुड़ी दिक्कतें दे सकता है। मानसिक तनाव भी बढ़ सकता है, इसलिए योग और ध्यान करें। नौकरीपेशा लोगों के लिए काम का दबाव बढ़ेगा। बॉस या सीनियर्स के साथ तालमेल बैठाकर चलें। जो लोग आपकी प्रगति में बाधा डाल रहे थे, उन पर अब आप भारी पड़ेंगे। साहस और संयम दोनों बनाए रखें।
कुंभ राशि
इस दौरान पार्टनर के साथ छोटी-छोटी बातों पर तनाव हो सकता है। गलतफहमी से बचें और संवाद को मजबूत करें। बच्चों की पढ़ाई या सेहत को लेकर चिंता रह सकती है। धैर्य से काम लें और उनका मार्गदर्शन करें। विद्यार्थियों के लिए यह समय मेहनत करने का है। आलस्य छोड़ें और ध्यान केंद्रित करें।
मीन राशि
यह गोचर आपके कार्यक्षेत्र में कुछ बदलाव ला सकता है। हो सकता है कि आपको नए अवसर मिलें, लेकिन इन अवसरों को प्राप्त करने के लिए आपको थोड़ी मेहनत और सही निर्णय की जरूरत पड़ेगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मिथुन संक्रांति 15 जून को मनाई जाएगी।
सूर्य जब मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं तो इस घटना को मिथुन संक्रांति कहा जाता है।
मिथुन राशि के लिए पन्ना रत्न लाभकारी है।