एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम आपको मंगल मिथुन राशि में मार्गी से संबंधित समस्त जानकारी प्रदान करेंगे जैसे कि तिथि एवं समय आदि। मंगल देव को साहस, निडरता एवं पराक्रम का ग्रह कहा जाता है। इस क्रम में, मंगल महाराज की स्थिति में होने वाला हर बदलाव चाहे गोचर, अस्त, वक्री या मार्गी अवस्था हो, संसार सहित सभी राशियों के जातकों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लेकर आने की क्षमता रखता है। अब मंगल ग्रह जल्द ही अपनी चाल में बदलाव करते हुए मिथुन राशि में मार्गी होने जा रहे हैं और ऐसे में, इनकी यह अवस्था कुछ राशियों के लिए शुभ रहेगी जबकि कुछ के लिए अशुभ रहेगी।

यह भी पढ़ें: राशिफल 2025
दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी
इसके अलावा, जिस समय मंगल देव मिथुन राशि में मार्गी होंगे, उस समय यदि आपकी कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर अवस्था में हैं, तो उन्हें मजबूत करने के लिए आपको कौन से उपाय करने चाहिए? मंगल की स्थिति में होने वाले इस परिवर्तन का देश-दुनिया और सभी राशियों पर कैसा प्रभाव होगा? इन सभी सवालों के जवाब हमें इस ब्लॉग में मिलेंगे। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले बात करते हैं मंगल मार्गी के समय की।
मंगल मिथुन राशि में मार्गी: तिथि और समय
बात करें मंगल ग्रह की, तो मंगल महाराज 28 डिग्री पर मकर राशि में उच्च के होते हैं और कर्क राशि में 28 डिग्री पर नीच के हो जाते हैं। सभी 27 नक्षत्रों में मंगल देव द्वारा मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र शासित है। जब बात आती है गोचर की, तो चंद्रमा, बुध और शुक्र देव की तुलना में मंगल हर 45 दिनों के बाद अपनी राशि परिवर्तन करते हैं। पिछले साल यानी कि वर्ष 2024 में 07 दिसंबर 2024 को कर्क राशि में वक्री हो गए थे और अब यह एक लंबे समय तक वक्री रहने के बाद 24 फरवरी 2025 की सुबह 05 बजकर 17 मिनट पर मिथुन राशि में मार्गी हो जाएंगे। इनके मार्गी होने से पुनः यह जातकों को सकारात्मक परिणाम देने लग जाएंगे। आइए अब जानते हैं कि ग्रह की मार्गी अवस्था क्या होती है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
क्या होता है ग्रह का मार्गी होना?
ज्योतिष के अनुसार, सूर्य देव के अलावा प्रत्येक ग्रह समय-समय पर अपनी चाल में बदलाव करते हुए अस्त, उदय, वक्री और मार्गी होते हैं। जब कोई ग्रह अपने पथ पर चलते हुए उल्टा या पीछे की तरफ चलता हुआ प्रतीत होता है, तो इसको ग्रह का वक्री होना कहते हैं। लेकिन, जब ग्रह वक्री अवस्था में रहने के बाद पुनः आगे की दिशा में चलना शुरू कर देता है, तो इसे ग्रह का मार्गी होना कहते हैं। वक्री होने पर मंगल ज्यादा अच्छे परिणाम नहीं दे पा रहे थे, लेकिन मार्गी होने पर अब यह दोबारा जातकों को शुभ फल देने लग जाएंगे। अब जानते हैं मंगल देव के मिथुन राशि में उपस्थिति के बारे में।
मिथुन राशि में मंगल: विशेषताएं
हम सभी इस बात को भली-भांति जानते हैं कि मंगल देव और बुध ग्रह एक-दूसरे के शत्रु माने गए हैं। लेकिन, ज्योतिषीय दृष्टि से मंगल की मिथुन राशि में उपस्थिति विशेष मानी जाती है जो अच्छे और बुरे दोनों तरह से आपकी ऊर्जा, दृष्टिकोण और कार्यों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। सामान्य शब्दों में कहें तो, यहां मंगल जातकों को मिले-जुले परिणाम दे सकते हैं।
- ऐसे जातक जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह मिथुन राशि में विराजमान होते हैं, वह बातों-बातों में अपनी भावनाएं दूसरे के सामने रखते हैं।
- ऐसे लोग डिबेट करने में माहिर होते हैं और किसी मुद्दे पर होने वाली चर्चाओं का लुत्फ़ लेते हुए दिखाई देते हैं।
- इच्छाओं के ग्रह के रूप में मंगल मिथुन राशि में वाले जातकों को तेज़ बुद्धि एवं बेहतरीन संचार कौशल का आशीर्वाद देते हैं।
- ऐसे जातक अक्सर जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं और यह नई-नई चीज़ों को जानने में रुचि रखते हैं।
- मिथुन राशि में मंगल होने पर जातक बेहद बेचैन रहते हैं और लंबे समय तक किसी एक प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर सकते हैं।
- हालांकि, ऐसे लोग मल्टीटास्किंग होते हैं और मुश्किल काम को आसानी से कर लेते हैं, लेकिन कभी-कभी इन्हें असफलता का सामना करना पड़ सकता है।
चलिए अब आपको अवगत करवाते हैं ज्योतिष में मंगल ग्रह के महत्व के बारे में।
करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व
- मंगल ग्रह को नवग्रहों में सबसे आक्रामक एवं उग्र ग्रह का दर्जा प्राप्त है।
- यह स्वभाव से पुरुष ग्रह है और इनमें उग्र तत्व शामिल हैं।
- वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह को साहस, जोश, जुनून और ऊर्जा के कारक माना जाता है।
- मंगल ग्रह के दूसरे ग्रहों के साथ संबंध के बारे में बात करें, तो यह सूर्य, चंद्रमा, गुरु और मंगल के मित्र माने गए हैं।
- इसके विपरीत, मंगल देव शुक्र और शनि के साथ तटस्थ संबंध रखते हैं।
- हालांकि, बुध, राहु और केतु से मंगल शत्रुता के भाव रखते हैं।
- इन्हें राशि चक्र में मेष राशि और वृश्चिक राशि पर स्वामित्व प्राप्त हैं।
- मंगल को चमकीले लाल रंग के तौर पर दर्शाया जाता है इसलिए इन्हें लाल ग्रह भी कहते हैं।
- सप्ताह के सात दिनों में मंगल महाराज को मंगलवार का दिन समर्पित है।
- सभी बहुमूल्य रत्नों में मंगल ग्रह का रत्न लाल मूंगा होता है। विशेष रूप से यह उन जातकों के लिए फलदायी साबित होता है जो मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से पीड़ित होते हैं। लेकिन, आपको कोई भी रत्न धारण करने से पहले एक अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।
विद्वान ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें और पाएं हर समस्या का समाधान
कुंडली में मंगल कमज़ोर होने का प्रभाव
- कुंडली में मंगल के अशुभ होने पर जातक की सेहत पर असर पड़ता है और वह ज्यादातर समय थकान महसूस करता है। कार्यों में मन नहीं लगता है और पाचन से जुड़ी समस्याएं बनी रहती हैं।
- मंगल देव की कमज़ोर स्थिति की वजह से जातक की भावनाओं में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। ऐसा व्यक्ति मानसिक तनाव या अवसाद की चपेट में आ जाता है।
- मंगल महाराज की दुर्बल अवस्था विवाह में देरी का कारण बनती है और बात बनते-बनते बिगड़ जाती है।
- कुंडली में मंगल के खराब होने पर जातक को नेत्र रोग, ब्लड प्रेशर,फोड़े-फुंसी या पथरी जैसे रोग परेशान कर सकते हैं।
- मंगल की नकारात्मक स्थिति आपके जीवन में आर्थिक समस्याएं बढ़ाने का काम करती हैं। साथ ही, कर्ज और जमीन-जायदाद से जुड़े विवाद जन्म ले सकते हैं।
पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट
मंगल मिथुन राशि में मार्गी के दौरान करें ये प्रभावी उपाय
- मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए दूसरों की सहायता के लिए सदैव तैयार रहें।
- हनुमान जी शक्ति और ज्ञान का प्रतीक माने जाते हैं और ऐसे में, मंगल दोष को शांत करने के लिए हनुमान की साधना सबसे शुभ एवं फलदायी मानी जाती है।
- इसके अलावा, काल भैरव की पूजा-अर्चना और उनके मंत्रों का जाप करने से कुंडली में उपस्थित मंगल दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- मंगल देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिव जी के पुत्र कार्तिकेय की उपासना करना उत्तम रहता है।
- चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- गरीबों या जरूरतमंदों को लाल या केसरिया रंग के वस्त्र दान करें।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
मंगल मिथुन राशि में मार्गी: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के लग्न और आठवें भाव के स्वामी मंगल ग्रह हैं और अब वह आपके तीसरे भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
मंगल वृषभ राशि के सातवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब वह आपके दूसरे भाव में मार्गी… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के छठे और बारहवें भाव के स्वामी मंगल ग्रह हैं। मंगल मिथुन राशि में मार्गी होने…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि के लिए मंगल योग कारक ग्रह है लेकिन वक्री होने की वजह से आपको इस ग्रह…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि के नौवें और चौथे भाव के स्वामी होने की वजह से मंगल इस राशि के लिए योग… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
मंगल ग्रह कन्या राशि के तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। तीसरा भाव भाईयों और आठवां…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि के दूसरे और सातवें भाव के स्वामी मंगल ग्रह हैं। मंगल आपके नौवें भाव में मार्गी…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
मंगल वृश्चिक राशि के छठे और लग्न भाव के स्वामी हैं। आपके लग्न भाव का स्वामी अब आपके… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए मंगल पांचवे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और अब वह आपके सातवें… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि के चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी मंगल ग्रह हैं और अब मंगल मिथुन राशि में…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
मंगल कुंभ राशि के तीसरे और दसवें भाव के स्वामी हैं और अब मंगल मिथुन राशि में मार्गी होने… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि के दूसरे और नौवें भाव पर मंगल ग्रह का आधिपत्य है। अब मंगल मिथुन राशि में मार्गी होने … (विस्तार से पढ़ें)
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मंगल ग्रह 24 फरवरी 2025 को मिथुन राशि में वक्री से मार्गी हो जाएंगे।
राशि चक्र में मेष और वृश्चिक राशि पर मंगल देव का शासन है।
बुध ग्रह को मिथुन राशि का स्वामी माना जाता है।