सनातन धर्म में पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व है। हर महीने पूर्णिमा आती है और ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इसके अलावा इस शुभ दिन पर गंगा एवं पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने का भी बहुत महत्व है।

यदि आप भी अपने घर को सुख-समृद्धि और धन-धान्य से भरना चाहते हैं, तो पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मीनारायण का विधिवत पूजन अवश्य करें। इससे आपके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 पर पूजा-अर्चना करने की सही विधि और इसके महत्व एवं ज्योतिषीय उपायों आदि की जानकारी दी गई है। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा के बारे में।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 कब है
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 10 जून को सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी एवं पूर्णिमा तिथि का समापन 11 जून को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर होगा। इस शुभ दिन पर सिद्ध योग और साध्य योग बन रहे हैं।
हिंदू वर्ष के तीसरे महीने ज्येष्ठ का आगाज़ 13 मई 2025, मंगलवार के दिन होगा जबकि इस माह की समाप्ति 11 जून 2025, बुधवार को हो जाएगी। इस माह के अंत के साथ ही आषाढ़ का महीना लग जाएगा। इस प्रकार ज्येष्ठ पूर्णिमा से ज्येष्ठ मास का समापन हो जाएगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 पर बन रहे हैं दो शुभ योग
इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा की शुरुआत और समापन के दौरान दो शुभ योग बन रहे हैं। जैसा कि हमने पहले भी बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा का आरंभ 10 जून को सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर होगा, उस दौरान सिद्ध योग चल रहा होगा जो कि उसी दिन दोपहर को 01 बजकर 43 मिनट पर खत्म होगा।
इसके बाद से ही साध्य योग शुरू हो जाएगा जो कि अगले दिन यानी 11 जून, 2025 को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
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क्या है सिद्ध योग
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 का आरंभ सिद्ध योग में हो रहा है जिसे वैदिक ज्योतिष में अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। यह योग सफलता, उपलब्धि और महारत का प्रतीक है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सिद्ध योग में कोई भी कार्य करना शुभ रहता है। इस योग के दौरान किए गए कार्यों का सकारात्मक परिणाम ही मिलता है। सिद्ध योग में किए गए कार्यों, योजनाओं आदि में मुनाफा और तुरंत परिणाम मिलने की संभावना रहती है।
क्या है साध्य योग
जिन जातकों का जन्म साध्य योग में होता है, वे दृढ़ निश्चयी और आत्मविश्वासी होते हैं। इनके अंदर धैर्य का गुण होता है और ये बिना चिंता किए अपने परिश्रम के फल की प्रतीक्षा करते हैं। ये सोच-समझकर ही कोई निर्णय लेते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार साध्य योग में किए गए कार्यों में भी सफलता मिलने की संभावना अधिक रहती है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 का महत्व
हिंदू धर्म एवं ज्योतिषशास्त्र में ज्येष्ठ पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस दिन श्रद्धालु गंगाजल लेकर अमरनाथ की यात्रा शुरू करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार सनातन धर्म का तीसरा महीना ज्येष्ठ का होता है। इस महीने में भीषण गर्मी पड़ती है जिससे नदी और तालाब सूख जाते हैं।
गर्मी के कारण अन्य हिंदू महीनों की तुलना में ज्येष्ठ के महीने में पानी की आवश्यकता बहुत ज्यादा रहती है। पौराणिक कथा सती सावित्री की कहानी भी ज्येष्ठ पूर्णिमा से ही जुड़ी हुई है। इस दिन व्रत रखने एवं दान-पुण्य करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि मिलती है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 पर चंद्रमा का पूजन
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का अत्यंत महत्व है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर व्रत रखने के बाद चंद्र देव की पूजा करने एवं उन्हें अर्घ्य देने से कुंडली में मौजूद चंद्र दोष दूर हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा खराब है या चंद्रमा की दशा चल रही है, तो पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजन करने से इसके प्रभाव में कमी आती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 के दिन श्रद्धालुओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, अन्न और धन का दान करना चाहिए। धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 पर पूजन विधि
आप ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन निम्न विधि से पूजन कर सकते हैं:
- पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। आज आप पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी को प्रणाम करें।
- अब आप घर के पूजन स्थल में एक चौकी के ऊपर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर श्री लक्ष्मीनारायण की मूर्ति स्थापित करें।
- इन्हें पुष्प, फल, धूप-दीप आदि अर्पित करें और मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीज़ें चढ़ाएं।
- अब मूर्ति के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और आरती करें।
- आप पूर्णिमा के दिन विष्णु चालीसा का पाठ और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
- भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पूजा में उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 के दिन क्या करना चाहिए
- पूर्णिमा के दिन घर के अंदर रोशनी या प्रकाश रखना चाहिए। घर के किसी भी कोने में अंधेरा नहीं होना चाहिए। मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भक्तों को आशीर्वाद देने आती हैं और अंधकार देखकर वह आपके घर से वापस लौट सकती हैं इसलिए इस दिन खासतौर पर शाम के समय अपने घर में अंधेरा न रखें।
- ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 के दिन काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
- आप पूर्णिमा तिथि पर जिन भी वस्तुओं का दान कर रहे हैं, उसमें काले रंग का उपयोग नहीं होना चाहिए। इसके अलावा पूजन के समय भी काला रंग नहीं होना चाहिए। इससे चंद्रमा कमज़ोर हो सकता है और राहु का दुष्प्रभाव बढ़ सकता है इसलिए काले रंग के प्रयोग से बचें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 पर बरगद के पेड़ की पूजा करना
इस पूर्णिमा पर बरगद के पेड़ की पूजा करने का भी बहुत महत्व है। पूर्णिमा के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करती हैं और फिर उसके बाद बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा जी, विष्णु जी और भगवान शिव का वास होता है। इस प्रकार बरगद के वृक्ष की पूजा करने से तीनों देवताओं का पूजन संपन्न हो जाता है। इसके पश्चात् सावित्री का पूजन करें और सावित्री सत्यवान की कथा एवं पाठ करें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और माथे पर सिंदूर जरूर लगाती हैं। इसके अलावा चंदन और हल्दी के लेप से बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। व्रत खोलने के लिए दाल और फलों का सेवन कर सकते हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 के लिए उपाय
आप ज्येष्ठ पूर्णिमा पर निम्न उपाय कर सकते हैं:
- आप पूर्णिमा के दिन भोजन, दक्षिणा और वस्त्रों आदि का दान कर सकते हैं।
- इस दिन पविद्ध नदियों में स्नान करें। इससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
- पूर्णिमा पर व्रत रखने एवं पूजन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- पूर्णिमा वाले दिन स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य दें। जल में चावल, कुमकुम और पुष्प भी डाल सकते हैं। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. 11 जून, 2025 को ज्येष्ठ पूर्णिमा है।
उत्तर. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है।
उत्तर. यह ज्येष्ठ मास में पड़ती है।