एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए “ज्येष्ठ अमावस्या 2025” का यह विशेष ब्लॉग लेकर आया है जिसके अंतर्गत आपको ज्येष्ठ अमावस्या से जुड़ी समस्त जानकारी विस्तारपूर्वक प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व आदि। इसके अलावा, ज्येष्ठ अमावस्या पर कौन-कौनसे त्योहारों को मनाया जाता है और क्यों है यह दिन शनि उपासना के लिए ख़ास? इससे भी हम आपको अवगत करवाएंगे। साथ ही, इस अमावस्या पर किन उपायों को करके आप जीवन को आसान बना सकते हैं, इस बारे में भी हम विस्तार से चर्चा करेंगे। तो आइए बिना देर किए इस लेख की शुरुआत करते हैं और जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या 2025 के बारे में सब कुछ।

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हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इसी क्रम में, ज्येष्ठ माह में आने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है। यह तिथि पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य के लिए श्रेष्ठ होती है। ज्येष्ठ अमावस्या पर धार्मिक कार्य करने से जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, यह अमावस्या पितरों का आशीर्वाद पाने और उनके निमित्त पिंडदान, तर्पण करने के लिए बेहद शुभ होती है। ज्येष्ठ अमावस्या को न्यायाधीश और कर्मफल दाता भगवान शनि के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर न्याय के देवता शनि देव का जन्म हुआ था इसलिए इसे शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। चलिए जानते हैं शनि जयंती की तिथि और समय।
ज्येष्ठ अमावस्या 2025: तिथि एवं शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह तिथि शनि जन्मोत्सव के रूप में भी मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, सामान्य तौर पर यह तिथि हर साल मई या जून के महीने में आती है। आइए अब नज़र डालते हैं ज्येष्ठ अमावस्या 2025 कब है और क्या रहेगा पूजा मुहूर्त।
ज्येष्ठ अमावस्या 2025 तिथि: 27 मई 2025, मंगलवार
अमावस्या तिथि आरंभ: 26 मई 2025 की दोपहर 12 बजकर 14 मिनट पर,
अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई 2025 की सुबह 08 बजकर 34 मिनट तक।
नोट: उदया तिथि के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती का पर्व 27 मई 2025 को मनाया जाएगा।
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ज्येष्ठ अमावस्या पर बनेंगे ये दुर्लभ योग
ज्येष्ठ अमावस्या का अपना विशेष स्थान है क्योंकि इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री जैसे महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं जिससे इस दिन की पवित्रता बढ़ जाती है। हालांकि, इस बार की ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती ख़ास रहने वाली है क्योंकि इस दिन बेहद शुभ सुकर्मा योग बन रहा है जो कि 27 मई 2025 की रात 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
बता दें कि सुकर्मा योग को बहुत कल्याणकारी माना जाता है। इस योग में किये जाने वाले धार्मिक कार्यों, दान-पुण्य और शनि पूजन से कई गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही, ज्येष्ठ अमावस्या पर सूर्य और बुध के एक ही राशि में विराजमान होने से इस दिन बुधादित्य योग भी बनेगा जिससे शनि जयंती के महत्व में वृद्धि होगी।
ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों में ज्येष्ठ मास में स्नान एवं दान-पुण्य को शुभ माना गया है। इस तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन किया गया जल का दान आपके सुख-सौभाग्य को बढ़ाता है। साथ ही, आपको असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक दृष्टि से देखें, तो ज्येष्ठ अमावस्या तीर्थस्थलों के पवित्र कुंड और नदियों में स्नान करने के लिए उत्तम होती है। इस अमावस्या पर पवित्र स्नान करने से जातक को पितृ दोष और सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। भारत के उत्तरी हिस्से में ज्येष्ठ अमावस्या को पावन और पुण्यदायी माना जाता है।
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बात करें ज्योतिष की, तो अमावस्या तिथि के स्वामी पितर माने गए हैं। इस वजह से हर माह की अमावस्या पर व्रत एवं पूजा करके पिंडदान और तर्पण करना कल्याणकारी होता है। ज्येष्ठ अमावस्या पर नवग्रहों में से एक और सूर्यपुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था जिससे इसकी महत्ता में वृद्धि होती है। ऐसे में, यह तिथि शनि आराधना और शनि ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती के साथ-साथ वट सावित्री व्रत को भी किया जाता है। अब हम बात करते हैं शनि जयंती के महत्व की।
ज्येष्ठ अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें?
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन प्याज, लहसुन और शराब आदि तामसिक वस्तुओं के सेवन से बचना चाहिए।
- इस तिथि पर ईर्ष्या, लालच और झूठ से बचें।
- इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- गरीब और जरूरतमंद इंसान का अपमान करने से बचें और अपने सामर्थ्य के अनुसार उनकी मदद करें।
- पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करें और उनके नाम से घर की दक्षिण दिशा में देसी घी का दीपक जलाएं।
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन व्रत करें और पीपल के पेड़ के सामने दीपक प्रज्वलित करें। साथ ही, पीपल के पेड़ की 07 या 11 बार परिक्रमा करें।
- ज्येष्ठ अमावस्या पर सूर्योदय से पहले उठें और पवित्र नदी में स्नान करें।
- घर का झाड़ू-पोछा लगाने के बाद गंगाजल या गोमूत्र का पूरे घर में छिड़काव करें।
शनि जयंती का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व
धार्मिक एवं ज्योतिषीय दृष्टि से, शनि जयंती को बेहद ख़ास माना जाता है क्योंकि यह भगवान शनि के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। सनातन धर्म में शनि देव का अपना महत्व है जो भगवान सूर्य और देवी छाया के पुत्र हैं और न्याय के देवता हैं। वहीं, ज्योतिष में नवग्रहों में शनि ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जो जातकों को उनके अच्छे या बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। भगवान शनि का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या को हुआ था।
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ऐसे में, शनि जयंती के दिन शनि देव अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं इसलिए यह तिथि शनि उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। शनि जयंती विशेषकर उन लोगों के लिए फलदायी साबित होती है जिनकी कुंडली में शनि की साढ़े साती, ढैय्या या शनि की महादशा चल रही होती है। शनि जयंती पर शनि पूजन, व्रत एवं शनि शांति के लिए उपाय करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शीघ्र ही आपको इनके अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है।
शनि जयंती 2025 पर न करें ये काम
- शनि देव की पूजा और उनके दर्शन करते समय कभी भी भगवान शनि की मूर्ति के सामने नहीं खड़ा होना चाहिए।
- शनि पूजन के दौरान कभी भी शनि देव की आंखों में न देखें, बल्कि उनके चरणों के दर्शन करने चाहिए।
- शनि जयंती के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु घर लेकर आने से बचें। ऐसा करने से भगवान शनि नाराज़ हो जाते हैं।
- इस तिथि पर लकड़ी, सरसों का तेल, काली उड़द और जूते-चप्पल खरीद कर अपने घर न लेकर आए, वरना आपको शनि देव के अशुभ प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।
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शनि जयंती 2025 पर शनि देव को प्रसन्न करने के लिए राशि अनुसार करें ये उपाय
मेष राशि: मेष राशि वाले नौकरी के बेहतर अवसरों और मानसिक शांति के लिए शनि जयंती पर शनि देव को सरसों का तेल, गुड़ और तिल अर्पित करें।
वृषभ राशि: धन-समृद्धि के लिए वृषभ राशि के जातक शनि जयंती के अवसर पर केसर, गेहूं और घी शनि देव को चढ़ाएं। साथ ही, 108 बार ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय‘ मंत्र का जाप करें।
मिथुन राशि: मिथुन राशि वाले रिश्ते में प्रेम को बढ़ाने के लिए चावल, काले कपड़े और कपूर का दान करें।
कर्क राशि: शनि जयंती पर कर्क राशि के लोग अच्छे करियर और स्वास्थ्य के लिए लोहे के बर्तन, लाल रंग के कपड़े और तिल के तेल का दान कर सकते हैं।
सिंह राशि: करियर में सफलता पाने के लिए शनि जयंती पर आपके लिए लोहे के बर्तन, लाल रंग के कपड़े दान करना और सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ रहेगा।
कन्या राशि: परिवार में सुख-शांति के लिए कन्या राशि वाले शनि जयंती के दिन फल, सब्जी और मिठाई का भगवान विष्णु को भोग लगाएं और उनकी पूजा करें।
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तुला राशि: तुला राशि के जातक घर-परिवार की सुख-शांति के लिए चावल, दूध और घर का बना खाना बांटें।
वृश्चिक राशि: शनि जयंती पर वृश्चिक राशि वाले रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए शनि देव को फल, नीला कपड़ा और तांबा अर्पित करें।
धनु राशि: धनु राशि वालों को व्यापार में सफलता पाने के लिए इस दिन सोना, चावल और हरी सब्जियों का दान करना चाहिए।
मकर राशि: जीवन में धन-समृद्धि की प्राप्ति के लिए शनि जयंती पर मंदिरों में लोहा, गुड़ या बाल दान करें।
कुंभ राशि: कुंभ राशि वालों के लिए शनि जयंती पर काले तिल और लोहे के बर्तन दान करना फलदायी रहेगा।
मीन राशि: शनि जयंती के दिन मीन राशि वाले विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। साथ ही, इस दिन पीली सरसों को अपने सिर के चारों तरफ घुमाएं और फिर बहते हुए पानी में प्रवाहित करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या 27 मई 2025 को मनाई जाएगी।
शनि जयंती के अवसर पर न्याय के देवता शनि देव की पूजा करने का विधान है।
वट सावित्री व्रत 26 मई 2025, सोमवार को किया जाएगा।