साल 2025 में कब मनाया जाएगा ज्ञान और श्रद्धा का पर्व गुरु पूर्णिमा? जानें दान-स्नान का शुभ मुहूर्त!

साल 2025 में कब मनाया जाएगा ज्ञान और श्रद्धा का पर्व गुरु पूर्णिमा? जानें दान-स्नान का शुभ मुहूर्त!

गुरु पूर्णिमा 2025: सनातन धर्म में गुरुओं को विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि मनुष्य जीवन से अज्ञानता का अंधकार गुरु ही दूर करते हैं। साथ ही, इंसान को जीवन में सही मार्ग पर लेकर जाते हैं। इसी क्रम में, हर साल गुरु पूर्णिमा का पर्व बेहद आस्था और धूमधाम से मनाया जाता है जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न अंग है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा कहते हैं। गुरु पूर्णिमा एक ऐसा दिन होता है जब शिष्यों द्वारा गुरु का पूजन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। हर माह में आने वाली पूर्णिमा का अपना महत्व होता है, लेकिन यह पूर्णिमा गुरुओं को समर्पित होने के कारण बहुत शुभ मानी जाती है। 

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गुरु पूर्णिमा का दिन कई मायनों में बेहद ख़ास होता है क्योंकि इस अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं के प्रति आदर और सम्मान प्रकट करते हैं। साथ ही, महाभारत के रचयिता और भगवान विष्णु के अंश माने जाने वाले महर्षि वेदव्यास की पूजा-अर्चना भी की जाती है। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष लेख के माध्यम से हम जानेंगे गुरु पूर्णिमा 2025 की तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त और भी बहुत कुछ। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं गुरु पूर्णिमा की तिथि और समय पर।

गुरु पूर्णिमा 2025 : तिथि और समय

गुरु पूर्णिमा को गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का पर्व हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो सामान्य रूप से जून-जुलाई में आता है। इस साल 10 जुलाई 2025 को गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी और यह तिथि दान-पुण्य और गुरुओं को दक्षिणा देने के लिए श्रेष्ठ होती है। चलिए अब जानते हैं गुरु पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त पर। 

गुरु पूर्णिमा की तिथि: 10 जुलाई 2025, गुरुवार

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 10 जुलाई 2025 की रात 01 बजकर 39 मिनट से,

पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: 11 जुलाई 2025 की रात 02 बजकर 08 मिनट तक। 

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गुरु का अर्थ और प्रकार 

सबसे पहले बात करेंगे गुरु पूर्णिमा के अर्थ की, तो गुरु दो शब्दों से मिलकर बना है “गु” का अर्थ अज्ञान और ‘रु” का संबंध दूर करने या हटाने से है। सरल शब्दों में कहें तो, गुरु वह व्यक्ति होता है जो हमारे जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं और हमें ज्ञान के मार्ग पर लेकर जाते हैं। शिष्य के जीवन में सकारात्मकता का संचार करते हैं और उन्नति प्राप्त करने में सहायता करते हैं। हालांकि, गुरु दो प्रकार के होते हैं पहला शिक्षा गुरु और दूसरा दीक्षा गुरु। शिक्षा गुरु शिक्षित करता है जबकि दीक्षा गुरु शिष्य के भीतर व्याप्त गुणों को निकालकर उसे जीवन में सत्य के पथ पर लेकर जाता है। 

गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व 

गुरु पूर्णिमा का पर्व प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है और इस त्योहार को महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन के अवसर पर मनाने की परंपरा है। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में गुरु का दर्जा भगवान से ऊंचा माना गया है क्योंकि गुरु ही होता है जो अपने शिष्य को ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग दिखाता है। हमारे धर्म में गुरुओं को स्थान कितना ख़ास है, वह इस श्लोक से ही पता चलता है: गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।   इस श्लोक का अर्थ है कि गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही शिव हैं और गुरु ही ब्रह्मा हैं, उन सद्गुरु को हमारा प्रणाम।

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गुरु पूर्णिमा के दिन किया गया दान-पुण्य, व्रत और पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होती  है। इस दिन शिष्य गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनके संकल्पों का पालन करने का प्रण लेते हैं। गुरु पूर्णिमा पर प्रत्येक शिष्य अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके पास जाता है और उनकी चरण वंदना करके उन्हें दक्षिणा देते हैं। यह दिन केवल शिक्षित करने वाले गुरुओं को नहीं बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आपका मार्गदर्शन करने वाले गुरु को समर्पित होता है। गुरु पूर्णिमा पर मंत्र लेने की परंपरा है और इस मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति आध्यात्मिक प्रगति और मानसिक शांति प्राप्त करता है।

गुरु पूर्णिमा पर महर्षि वेदव्यास पूजा का महत्व

महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास की पूजा के बिना गुरु पूर्णिमा का पर्व अधूरा माना जाता है क्योंकि इन्हें संसार के प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को वेदव्यास जयंती के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। इन्हें जगत के पालनहार का ही स्वरूप माना जाता है। व्यास जी द्वारा चारों वेदों की रचना की गई है  धार्मिक मान्यता के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने चारों वेदों का संकलन किया था जिनकी उत्पत्ति साक्षात ब्रह्मा जी के मुख से हुई थी। ऋषि वेदव्यास ने चारों वेदों के अलावा कई पुराणों की भी की रचना की है। 

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गुरु पूर्णिमा पर स्नान का महत्व 

धार्मिक दृष्टि से दान-स्नान का अत्यंत महत्व होता है, विशेष रूप से गुरु पूर्णिमा के दिन। ऐसा कहा जाता है कि इस तिथि पर गंगा नदी या फिर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि ऐसा करना आपके लिए संभव न हो, तो आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। गुरु पूर्णिमा पर किए गए पवित्र नदियों के जल से स्नान व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आता है और भाग्य का साथ मिलता है। साथ ही, ऐसे मनुष्य को कभी भी धन की समस्या परेशान नहीं करती है। गुरु पूर्णिमा पर किसी गरीब या ब्राह्मण को पीले रंग के वस्त्र और मिठाई देने से जीवन में उत्पन्न सभी समस्याओं का अंत हो जाता है। 

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि 

  • गुरु पूर्णिमा पर जातक को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • इसके बाद, पूजास्थल की साफ़-सफ़ाई करें और सभी देवी-देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें। अब इनकी प्रतिमा को हाथ जोड़कर प्रणाम करें और घी का दीपक जलाएं।
  • इसके पश्चात, पूजा स्थान पर या फिर एक चौकी पर अपने गुरु की तस्वीर या चित्र की स्थापना करके उन्हें फल-फूल एवं माला अर्पित करें और भक्तिभाव से उनकी आराधना करें। 
  • गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन के साथ-साथ भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। 
  • आप अपनी इच्छा अनुसार इस दिन गुरुजन के लिए व्रत भी कर सकते हैं। 
  • इस अवसर पर महर्षि वेदव्यास की पूजा करना भी शुभ माना जाता है और ऐसा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।  
  • पूजा समाप्त होने के बाद आप अपने गुरु के घर जाकर उनके चरण छूकर उनका आशीर्वाद लें। 

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गुरु पूर्णिमा पर ज़रूर करें ये काम

  • गुरु पूर्णिमा के अवसर पर किसी व्यक्ति को केसर या चंदन का तिलक करें। ऐसा करने से गुरु ग्रह कुंडली में मज़बूत होते हैं। 
  • घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें। 
  • अगर आप गुरुमुख नहीं हैं, तो आपको शंकराचार्य महाराज, भगवान शिव और दत्तात्रेय, वेदव्यास जी की तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाकर फूल चढ़ाने चाहिए।
  • इस दिन घर में धूप या चंदन की अगरबत्ती जलानी चाहिए। साथ ही, पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना गया है।
  • गुरु पूर्णिमा पर विष्णु जी की कृपा पाने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं। 

गुरु पूर्णिमा की कथा 

गुरु पूर्णिमा से जुड़ी मान्यता है कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा पर महाभारत और वेदों के रचयिता वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। एक बार व्यास जी ने बचपन में अपने माता-पिता से भगवान के दर्शन की इच्छा प्रकट की, परंतु उनकी माता सत्यवती ने अपने पुत्र की इस इच्छा को पूरा करने से इंकार कर दिया। लेकिन व्यास जी के जिद करने पर माता ने उन्हें वन जाने की इजाज़त दे दी और उनसे कहा कि घर की याद आने पर लौट आना।

इसके पश्चात वेदव्यास जी वन जाकर कठोर तपस्या करने लगे और इस तप के प्रभाव से उन्हें संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त हो गया। इसके बाद, महर्षि ने वेदों के साथ-साथ अठारह पुराण, महाभारत और ब्रह्मसूत्र की रचना की। महर्षि वेदव्यास को चारों वेदों का ज्ञान था और इनके प्रति आदर व आभार प्रकट करने के लिए हर साल व्यास जी के जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। 

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गुरु पूर्णिमा पर गुरु कृपा पाने के लिए करें ये उपाय 

  • गुरु ग्रह की कृपा पाने के लिए भगवान विष्णु की गुरु पूर्णिमा पर पूजा करें और उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • करियर में प्रगति हासिल करने के लिए गुरु पूर्णिमा पर अपनी किताब के पहले पेज पर रोली से स्वस्तिक बनाएं। इसके बाद, पुस्तक पर अपनी इच्छा लिखकर किताब को माँ सरस्वती के पास रख दें।
  • गुरु पूर्णिमा पर गुरु यंत्र की स्थापना करने से आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है। 
  • जिन छात्रों को पढ़ाई में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ और गाय की सेवा करनी चाहिए।
  • गुरु पूर्णिमा के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को पीला अनाज जैसे कि तुअर दाल और पीली मिठाई का दान करना चाहिए।     

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. गुरु पूर्णिमा 2025 में कब है?

इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा। 

2. गुरु पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा करनी चाहिए?

गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु, विष्णु जी और महर्षि वेदव्यास जी की पूजा की जाती है। 

3. आषाढ़ पूर्णिमा कब है 2025 में? 

आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत इस साल 10 जुलाई 2025 को रखा जाएगा।