गुरु के उदित होने से बजने लगेंगी फिर से शहनाई, मांगलिक कार्यों का होगा आरंभ!

गुरु के उदित होने से बजने लगेंगी फिर से शहनाई, मांगलिक कार्यों का होगा आरंभ!

गुरु का मिथुन राशि में उदय: ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति देव को नवग्रहों में प्रमुख माना जाता है जिन्हें सभी नौ ग्रहों में मंत्री का पद प्राप्त है। वहीं, सनातन धर्म में गुरु ग्रह को देवताओं के गुरु कहा जाता है इसलिए यह गुरु के नाम से भी जाने जाते हैं। इस प्रकार, बृहस्पति महाराज को ज्योतिष और हिंदू धर्म दोनों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह शुभ और लाभकारी ग्रह माने जाते हैं इसलिए इनकी चाल, दशा और राशि में होने वाला परिवर्तन संसार सहित देश-दुनिया को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। अब गुरु ग्रह जल्द ही अपनी स्थिति में बदलाव करते हुए मिथुन राशि में उदित होने जा रहे हैं जिसका प्रभाव मनुष्य जीवन पर भी दिखाई दे सकता है। 

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इसी क्रम में, एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में आपको “गुरु का मिथुन राशि में उदय” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि और समय आदि। शायद ही आप जानते होंगे कि शुभ और लाभकारी ग्रह के रूप में गुरु महाराज हर इंसान के जीवन को गहराई से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। बता दें कि बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में रहते हुए अस्त हो गए थे और अब इनका उदय होना संसार में और सभी 12 राशि के जातकों के जीवन में अच्छे-बुरे परिणाम लेकर आ सकता है। गुरु देव की उदित अवस्था में कैसे मिलेंगे आपको परिणाम और किन समस्याओं का आपको सामना करना पड़ेगा? इन सबके बारे में हम आगे बात करेंगे, फिलहाल जान लेते हैं गुरु उदित की तिथि और समय। 

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गुरु का मिथुन राशि में उदय: तिथि और समय 

हम सभी यह बात भली-भांति जानते हैं कि प्रत्येक ग्रह एक निश्चित समय के बाद अपनी राशि में परिवर्तन करता है। इसी प्रकार, गुरु देव एक लंबे समय तक एक राशि में रहते हैं और इसके बाद दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। साथ ही, यह अपनी दशा और स्थिति में भी काफ़ी समय बाद बदलाव करते हैं। बृहस्पति महाराज पिछले एक महीने से मिथुन राशि में अस्त अवस्था में रहने के पश्चात 09 जुलाई 2025 की रात 10 बजकर 50 मिनट पर मिथुन राशि में उदित हो जाएंगे। बता दें कि गुरु ग्रह की उदित अवस्था को बहुत शुभ माना जाता है। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं उदित अवस्था के बारे में। 

मिथुन राशि में गुरु और सूर्य की युति 

बृहस्पति महाराज को जहां देवताओं के गुरु और शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है। वहीं, नवग्रहों में सूर्य देव को “ग्रहों के राजा” माना गया है। ऐसे में, यह दोनों ग्रह जब एक राशि में एक साथ बैठे होते हैं, तो इसे बहुत शुभ कहा जाता है। अब यह दोनों शुभ ग्रह सूर्य और गुरु, बुध देव की राशि मिथुन में विराजमान हैं और यहां युति का निर्माण कर रहे हैं। इसके फलस्वरूप, सूर्य और गुरु ग्रह के संयोजन से जातकों को सकारात्मक परिणाम मिलेंगे, विशेष रूप से सरकार और सरकार से जुड़े लोगों को शुभ फल प्रदान करेंगे। वहीं, आपकी संतान का प्रदर्शन पढ़ाई में शानदार रहेगा। 

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किसे कहते हैं ग्रह का उदित होना?

ज्योतिष की दुनिया में सूर्य देव को छोड़कर हर ग्रह अपनी स्थिति और चाल में बदलाव करते हुए उदय, अस्त, वक्री और मार्गी होता है। इसी क्रम में, उदय का अर्थ जानने से पहले अस्त अवस्था के बारे में जानना आवश्यक होगा। जब कोई ग्रह अपने परिक्रमा पथ पर चलते हुए सूर्य के बेहद नज़दीक चला जाता है, तो वह अस्त हो जाता है और अपनी शक्तियों को खो देता है। ऐसे में, वह पूरी क्षमता से फल नहीं दे पाता है। 

गुरु ग्रह तक़रीबन 30 दिन मिथुन राशि में अस्त रहने के बाद 09 जुलाई 2026 को सूर्य से एक निश्चित दूरी पर आने के बाद उदित हो जाएंगे। इसके परिणामस्वरूप, वह पुनः अपनी शक्तियों को प्राप्त कर लेंगे और विश्व समेत सभी राशियों को पूरी क्षमता से परिणाम देने लगेंगे।

शुभ कार्यों की होगी शुरुआत

हिंदू धर्म में शुभ और मांगलिक कार्यों को शुभ मुहूर्त में करने का विधान है, खासतौर पर विवाह को। आपको बता दें कि विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए गुरु ग्रह की स्थिति देखी जाती है। जब यह अस्त अवस्था में होते हैं, तो हर तरह के शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है और इसे ही “तारा डूबना” भी कहा जाता है। अब गुरु ग्रह के पुनः उदित होने पर शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों का आरंभ हो जाएगा। चलिए आपको अवगत करवाते हैं मनुष्य जीवन में गुरु ग्रह का प्रभाव।  

मनुष्य जीवन पर गुरु ग्रह का प्रभाव 

मानव जीवन को बृहस्पति देव अत्यधिक प्रभावित करते हैं, कैसे? आइए जानते हैं। 

  • अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु महाराज लग्न भाव में विराजमान होते हैं, तो वह व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है। साथ ही, इनके प्रभाव से जातक का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है। 
  • बृहस्पति देव का प्रभाव व्यक्ति को धार्मिक प्रवृत्ति का बनाता है और उसकी रुचि धार्मिक कार्यों में बढ़ने लगती है। 
  • ऐसा जातक घूमने-फिरने का शौकीन होता है और साथ ही, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए उत्साहित रहता है। 

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गुरु ग्रह की दृष्टि का प्रभाव 

  • जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि गुरु देव को शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है। इसी प्रकार, इनकी दृष्टि भी बेहद शुभ मानी गई है जो वृद्धि को दर्शाती है। 
  • इस अवधि में गुरु दक्षिणा के रूप में गुरु को दी गई वस्तु और धन आदि की बृहस्पति ग्रह कई गुना करके आपको वापस करते हैं।
  • धर्म स्थान के कारक ग्रह हैं बृहस्पति महाराज और ऐसे में, धर्म-कर्म के कार्यों को लेकर किए गए दान से धन कभी कम नहीं होता है, बल्कि इनकी धन-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।

अब हम आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व 

गुरु ग्रह का ज्योतिषीय महत्व 

  • ज्योतिष की दुनिया में गुरु ग्रह को राशि चक्र की 12 राशियों में धनु और मीन राशि का स्वामित्व प्राप्त है। 
  • बृहस्पति महाराज की उच्च राशि कर्क होती है और यह मकर राशि में नीच अवस्था में होते हैं।
  • बात करें दृष्टि की, तो गुरु देव को पांचवीं, सातवीं और नौवीं दृष्टि पर स्वामित्व प्राप्त हैं। 
  • यह मनुष्य जीवन में शिक्षा, धन, ज्ञान, शिक्षा, संतान और बड़े भाई के कारक ग्रह माने जाते हैं। 
  • वहीं, सभी 27 नक्षत्रों में विशाखा, पूर्वाभाद्रपद और पुनर्वसु नक्षत्रों के स्वामी बृहस्पति देव हैं। 
  • कालपुरुष कुंडली में गुरु महाराज बारहवें और नौवें भाव को नियंत्रित करते हैं। 
  • जिन जातकों की कुंडली में गुरु महाराज धन भाव में बैठे होते हैं, वह व्यक्ति बहुत धनवान और अमीर होता है। 
  • गुरु ग्रह आपके पांचवें भाव में उपस्थित होने पर या फिर पांचवें भाव पर दृष्टि होने पर जातक को उच्च शिक्षा और अच्छी संतान का आशीर्वाद देते हैं। 

कुंडली में गुरु की कमज़ोर स्थिति कैसे आपके जीवन पर प्रभाव डालती है, आइए जानते हैं। 

कमज़ोर गुरु का जीवन पर प्रभाव 

  1. जिन लोगों की कुंडली में गुरु महाराज अशुभ स्थिति में होते हैं, उन्हें धन कमाने की राह में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  2. बृहस्पति देव के दुर्बल होने पर जातक को कमज़ोर याददाश्त, पेट से जुड़े रोग, किडनी, कान, गला और आंख से संबंधित रोग परेशान कर सकते हैं। 
  3. ज्ञान के कारक ग्रह होने के नाते गुरु देव के निर्बल होने पर जातक का ध्यान पढ़ाई से भटक जाता है और कई कोशिश के बाद भी उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है। 
  4. गुरु ग्रह भाग्य के कारक ग्रह भी हैं और इनके कुंडली में कमज़ोर होने पर व्यक्ति को अपने कार्यों में समस्याओं से जूझना पड़ता है। साथ ही, आपको अपने भाग्य का साथ नहीं मिलता है। 
  5. बृहस्पति देव की दुर्बल अवस्था के कारण जातक का प्रमोशन अटक जाता है, व्यापार बंद की कगार पर पहुँच जाता है और मान-सम्मान में भी कमी आती है।

गुरु का मिथुन राशि में उदय के दौरान ज़रूर करें ये उपाय 

  • कुंडली में गुरु ग्रह को मज़बूत करने के लिए जातक हर गुरुवार नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी मिलाकर स्नान करें। साथ ही, इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें।   
  • बृहस्पति देव से शुभ परिणामों की प्राप्ति के लिए गुरुवार का व्रत करें और गुरु ग्रह की उपासना करें। आपके लिए ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः’  मंत्र का 3 या 5 माला जाप करना फलदायी रहेगा।  
  • जिन लोगों की कुंडली में गुरु देव अशुभ होते हैं, उन्हें गुरु ग्रह के बीज मंत्र ‘ऊँ बृं बृहस्पतये नम:’ का 108 बार जाप करना चाहिए। 
  • अगर आप गुरु ग्रह से सकारात्मक परिणाम पाना चाहते हैं, तो आप इनका रत्न पुखराज या फिर उपरत्न सुनेला भी धारण कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से पहले आपको किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है। 
  • गुरु महाराज को बलवान करने के लिए आप बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीब एवं जरूरतमंदों की सहायता करें। 
  • संभव हो, तो पीले रंग की वस्तुओं जैसे केला, हल्दी, केसर, पीतल और पीले वस्त्र आदि का दान करें। 

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बृहस्पति का मिथुन राशि में उदय: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

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धनु राशि वालों के लिए बृहस्पति देव आपकी राशि के स्वामी होने के साथ-साथ आपके लग्न…(विस्तार से पढ़ें)

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मीन राशि वालों के लिए बृहस्पति देव आपके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ कर्म…(विस्तार से पढ़ें)

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गुरु का मिथुन राशि में उदय कब होगा?

बृहस्पति देव 09 जुलाई 2025 को मिथुन राशि में उदित हो जाएंगे।

मिथुन राशि का स्वामी कौन है?

राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन के स्वामी बुध देव हैं। 

गुरु ग्रह को मज़बूत करने के लिए क्या करें?

बृहस्पति देव को मज़बूत करने के लिए गुरुवार का व्रत करें और पीले वस्त्र धारण करें।