देवताओं के गुरु करेंगे अपने शत्रु की राशि में प्रवेश, इन 3 राशियों पर टूट सकता है मुसीबत का पहाड़!

देवताओं के गुरु करेंगे अपने शत्रु की राशि में प्रवेश, इन 3 राशियों पर टूट सकता है मुसीबत का पहाड़!

गुरु का मिथुन राशि में गोचर:  वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह को महत्वपूर्ण ग्रह का दर्जा प्राप्त है जो कि शुभ ग्रह माने जाते हैं। इन्हें देवताओं के गुरु होने के कारण देव गुरु भी कहा जाता है इसलिए इनका महत्व ज्योतिष और हिंदू धर्म दोनों में बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों पर देवगुरु बृहस्पति मेहरबान हो जाते हैं, तो उस इंसान का भाग्योदय होना निश्चित होता है। ऐसे में, गुरु ग्रह की चाल, दशा या राशि परिवर्तन को विशेष माना जाता है जो अब जल्द ही अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। 

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एस्ट्रोसेज एआई का यह ख़ास ब्लॉग हमारे पाठकों के लिए तैयार किया गया है जिसके माध्यम से आपको “गुरु का मिथुन राशि में गोचर” के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। बता दें कि गुरु लंबे समय तक एक राशि में रहते हैं इसलिए इनका गोचर सभी राशियों के साथ-साथ मनुष्य जीवन और संसार को काफ़ी प्रभावित करता है। ऐसे में, गुरु का यह गोचर कुछ राशियों को अच्छे और कुछ राशियों को थोड़े कमज़ोर परिणाम दे सकता है। लेकिन, आप चिंता न करें क्योंकि यहाँ हम आपको बृहस्पति ग्रह की कृपा पाने के लिए सरल उपाय भी बताएंगे। तो आइए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं गुरु गोचर के बारे में। 

गुरु का मिथुन राशि में गोचर: तिथि और समय

ज्ञान के कारक ग्रह के रूप में गुरु महाराज एक राशि में 13 महीने रहते हैं और इसके बाद, वह एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। अब बृहस्पति देव 15 मई 2025 की रात 02 बजकर 30 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बता दें कि मिथुन राशि के स्वामी बुध देव हैं जिनके प्रति गुरु ग्रह शत्रुता के भाव रखते हैं। ऐसे में, गुरु देव का मिथुन राशि में   प्रवेश कुछ राशियों को सकारात्मक और कुछ को नकारात्मक परिणाम दे सकता है। अब हम बिना देर किए जानते हैं मिथुन राशि में गुरु ग्रह की विशेषताओं के बारे में। 

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गुरु मिथुन राशि में विशेषताएं

गुरु ग्रह के विस्तार और लाभकारी गुण जब मिथुन राशि के जिज्ञासु और संचार कौशल के गुणों से मिलते हैं, तब जातकों के व्यक्तित्व में कुछ इस तरह के गुण दिखाई देते हैं। 

  • जिन लोगों की कुंडली में मिथुन राशि में गुरु ग्रह विराजमान होते हैं, वह सामान्यतः जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं इसलिए इनके भीतर ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होती है। 
  • ऐसे जातकों को नई-नई चीज़ें सीखना, नए-नए विषय तलाशना और वाद-विवाद में शामिल होना बहुत  पसंद होता है। 
  • गुरु मिथुन राशि के तहत पैदा होने वाले जातक मिलनसार होते हैं और इन्हें सामाजिक जीवन में मेलजोल बढ़ाना अच्छा लगता है। 
  • यह अपने ज्ञान को दूसरों के साथ शेयर करते हुए दिखाई दे सकते हैं। साथ ही, यह अपने बेहतरीन संचार कौशल के दम पर लोगों से जुड़ने में कामयाब होते हैं। 
  • ऐसे लोग जिनका जन्म गुरु मिथुन राशि के अंतर्गत होता है, वह चीज़ों को जल्दी से सीखने में सक्षम होते हैं।
  • इन जातकों को एक विषय से दूसरे विषय, कार्यों या आइडिया में बदलाव करने में समय नहीं लगता है। 
  • सामान्य तौर पर, यह जातक एक नियमित दिनचर्या का पालन करने के बजाय हर दिन कुछ नया करने में विश्वास करते हैं।

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ज्योतिषीय दृष्टि से गुरु ग्रह 

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है जिन्हें ‘गुरु’ के नाम से भी जाना जाता है। यह धनु राशि और मीन राशि के अधिपति देव हैं जो कर्क राशि में उच्च होते हैं और मकर इनकी नीच राशि है। गुरु महाराज को शिक्षक, ज्ञान, बड़े भाई, संतान, धार्मिक कार्य, शिक्षा, धन, पवित्र स्थल,  पुण्य, विस्तार और दान का कारक माना जाता है। सभी 27 नक्षत्रों में बृहस्पति महाराज को विशाखा, पूर्वाभाद्रपद और पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। 

बता दें कि किसी व्यक्ति की कुंडली में जन्म राशि से दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में बृहस्पति की स्थिति शुभ फल प्रदान करती है। जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते हैं, उन्हें अपने जीवन में प्रगति की प्राप्ति होती है। इनकी कृपा से जातक को पेट से जुड़े रोगों से छुटकारा मिलता है। अगर किसी कमज़ोर भाव पर गुरु की दृष्टि पड़ जाती है, तो वह भाव मजबूत हो जाता है।

चलिए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं बृहस्पति ग्रह से जुड़ी रोचक बातों से। 

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गुरु ग्रह से जुड़ी दिलचस्प बातें

  • गुरु ग्रह को अंग्रेजी भाषा में जुपिटर कहा जाता है। रोमन पौराणिक कथाओं में बृहस्पति का नाम देवता के राजा बृहस्पति के नाम से लिया गया है। 
  • गुरु ग्रह का वातावरण जीवन के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। 
  • बात करें गुरु ग्रह के आकार और दूरी की तो, धरती से गुरु ग्रह की दूरी लगभग 43,440.7 मील (69,911 किलोमीटर) है और यह आकार में पृथ्वी से 11 गुना बड़ा है। 
  • गुरु ग्रह की औसत दूरी 84 मिलियन मील (778 मिलियन किलोमीटर) है। 
  • सौरमंडल के सभी ग्रहों की तुलना में गुरु ग्रह का दिन सबसे छोटा माना जाता है। इस ग्रह पर एक दिन सिर्फ़ 10 घंटों का होता है। 
  • इसी प्रकार, गुरु ग्रह को सूर्य के चारों तरफ एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 12 वर्षों का समय लगता है। 

अब हम जान लेते हैं कुंडली में गुरु ग्रह के कमज़ोर और मज़बूत होने के लक्षण। 

कुंडली में कमज़ोर गुरु का प्रभाव

  • गुरु के कमज़ोर होने पर छात्रों को पढ़ाई में एक के बाद एक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसका असर शिक्षा पर पड़ता है। 
  • जिन जातकों की कुंडली में गुरु दुर्बल होता है, उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिलता है। साथ ही, आपको धन हानि भी उठानी पड़ती है।
  • ऐसे लोगों का विवाह होने में अड़चनें आती रहती हैं जिसकी वजह गुरु दोष होता है। 
  • गुरु की दुर्बलता की वजह से आप अति आत्मविश्वासी और दूसरों से जुड़े निर्णय लेने वाले बन सकते हैं। 
  • साथ ही, आप बेकार की चीज़ों पर काफ़ी धन खर्च करते हुए दिखाई दे सकते हैं। 
  •  बृहस्पति देव के अशुभ होने से जातक बेचैन, अधीर और अपनी क्षमता से ज्यादा काम अपने कंधों पर लेने वाला बन सकता है। 

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गुरु का मिथुन राशि में गोचर के दौरान ज़रूर करें ये उपाय 

  • करियर में सफलता प्राप्ति के लिए गुरुवार के दिन गुरु ग्रह से जुड़ी पीली वस्तुओं जैसे कि हल्दी, पीले फल, चना आदि का दान करें। साथ ही, धार्मिक या पढ़ाई की पुस्तकों का दान करना भी शुभ रहेगा। 
  • धन-समृद्धि में वृद्धि के लिए गुरुवार को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। इसके अलावा, बृहस्पतिवार व्रत की कथा भी पढ़ें। 
  • गुरु ग्रह का आशीर्वाद पाने के लिए गुरुवार के दिन नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें। 
  • संभव हो, तो गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और उसके सामने दीपक जलाएं। 
  • गुरु ग्रह को समर्पित गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को पीले चंदन या केसर का तिलक करें और फिर पूजा करें। अगर केसर न हो, तो आप हल्दी का तिलक भी कर सकते हैं। 
  • पति-पत्नी के बीच चल रहे मतभेदों को शांत करने के लिए गुरुवार के दिन बृहस्पति देव या भगवान विष्णु की प्रतिमा को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करें। इसके पश्चात, उनकी पीले चंदन और पीले पुष्पों से पूजा करें।
  • गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करने के बाद भगवान सत्यनारायण की या फिर बृहस्पतिवार की कथा सुनें। ऐसा करना फलदायी माना जाता है। 
  • गुरु ग्रह को मज़बूत बनाने के लिए गुरुवार को ज्यादा से ज्यादा पीले रंग के कपड़े धारण करें।

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गुरु का मिथुन राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि

मेष राशि में गुरु देव भाग्य स्थान यानी नवम भाव और व्यय स्थान यानी द्वादश भाव के स्वामी हैं और मिथुन… (विस्तार से पढ़ें) 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु देव को अष्टम भाव और एकादश भाव का स्वामी माना जाता है और… (विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लिए गुरु देव सप्तम भाव और दशम भाव के स्वामी ग्रह हैं। मिथुन राशि में गुरु…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज छठे भाव और नवम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 के… (विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति आपके पंचम भाव और अष्टम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025… (विस्तार से पढ़ें) 

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति चतुर्थ भाव और सप्तम भाव के स्वामी हैं। मिथुन राशि में गुरु… (विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

गुरु गोचर 2025 की बात करें तो तुला राशि के जातकों के लिए गुरु आपके लिए तीसरे भाव और छठे भाव… (विस्तार से पढ़ें) 

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए गुरु बृहस्पति दूसरे और पंचम भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 आपके लिए… (विस्तार से पढ़ें) 

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए गुरु महाराज बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह आपकी राशि के…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति महाराज तीसरे भाव और द्वादश भाव के स्वामी हैं और गुरु गोचर 2025… (विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुम्भ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति महाराज दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। गुरु गोचर 2025 आपकी… (विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

गुरु गोचर 2025 आपके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि गुरु महाराज आपकी राशि… (विस्तार से पढ़ें)

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. गुरु का मिथुन राशि में गोचर कब होगा?

मिथुन राशि में गुरु ग्रह 15 मई 2025 को प्रवेश करेंगे। 

2. मिथुन राशि का स्वामी कौन है?

बुध ग्रह को मिथुन राशि पर स्वामित्व प्राप्त हैं। 

3. बुध और गुरु मित्र हैं?  

ज्योतिष के अनुसार, बुध और गुरु ग्रह को एक-दूसरे के शत्रु माना जाता है।