आपमें से कई लोगों ने पहली बार ‘छिद्र दशा’ के बारे में सुना होगा। आमतौर पर इस शब्द का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है और जो लोग वैदिक ज्योतिष का गहराई से अध्ययन करते हैं, केवल वही इस शब्द से परिचित होते हैं। खैर, इसका मतलब होता है विंशोत्तरी दशा या आपकी कुंडली में ग्रह की वह समयावधि जो आपके लिए नकारात्मक हो।

वैदिक ज्योतिष में ‘छिद्र दशा’ एक विशेष ज्योतिषीय चरण को दर्शाता है। दशा वो समयावधि होती है, जब कोई विशेष ग्रह व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है। छिद्र (का अर्थ छेद या पीड़ा होता है) एक ऐसी स्थिति को दर्शाता है जिसमें ग्रह की दशा के कारण समस्या या तनाव उत्पन्न हो रहा हो।
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हालांकि, यह शब्द एक ऐसी परिस्थिति को संदर्भित कर सकता है जहां पर दशा नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हो या व्यक्ति के जीवन में बाधा उत्पन्न कर रही हो जिससे उसे अड़चनों या अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ रहा हो। इसे व्यक्ति के जीवन में एक ‘छेद’ के रूप में देखा जा सकता है जो उसकी सफलता और स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर रहा हो। कुछ ग्रंथों में उल्लिखित है कि छिद्र दशा से संघर्ष और मुश्किलें आती हैं जो इस बात पर निर्भर करता है कि इसमें कौन-कौन से ग्रह शामिल हैं, कुंडली में उनकी स्थिति क्या है और अन्य ग्रहों के प्रभाव से उन पर क्या असर पड़ रहा है।
छिद्र ग्रहों से संबंधित कुछ सामान्य विचार:
- चुनौतीपूर्ण स्थितियों में अशुभ ग्रह: शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों का संबंध चुनौतियों से होता है। यदि ये अशुभ ग्रह कुंडली में विशेष भावों में स्थित हों या दृष्टि डाल रहे हों, तो वह व्यक्ति के जीवन में ऐसी कठिनाईयां उत्पन्न कर सकते हैं जिन्हें छेद, फटा हुआ या चुनौतियों से भरा हुआ समझा जाएगा।
- कमज़ोर शुभ ग्रह: जब शुभ ग्रह जैसे कि बृहस्पति या शुक्र कमज़ोर या नीच स्थान में हो जैसे कि छठे, आठवें या बारहवें भाव में हों या नीच राशि में हों या वे राहु-केतु के अक्ष पर हों, तो इस स्थिति में शुभ ग्रह भी व्यक्ति के जीवन में रुकावटें और असंतुलन पैदा कर सकता है।
- पीड़ित लग्न: यदि लग्न भाव का स्वामी कमज़ोर हो या अशुभ स्थान में हो, तो इससे भी छिद्र का आभास हो सकता है। इससे व्यक्ति के जीवन और उसके उद्देश्य के बीच अलगाव पैदा हो सकता है।
- दुष्टान भाव में ग्रह: छठे, आठवें या बारहवें भावों में बैठे ग्रहों को दुष्टान भाव कहा जाता है और ये अड़चनें, समस्याएं एवं छिपे हुए शत्रुओं से संबंधित होते हैं। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में छेद या अंतराल की तरह महसूस हो सकता है। इसका सेहत, संपत्ति या रिश्तों जैसे विभिन्न पहलुओं पर असर पड़ता है।
- पीड़ित या अस्त ग्रह: जो ग्रह अस्त हों या जिन पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, वे नुकसान या समस्या दे सकते हैं।
छिद्र ग्रहों का उदाहरण
- शनि: ये ग्रह अक्सर देरी, प्रतिबंध और बाधाएं देने का काम करता है। यदि शनि कुंडली में अशुभ स्थान जैसे कि छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, तो इसकी वजह से जीवन में कठिनाईयां और रुकावटें आ सकती हैं।
- राहु/केतु: ये दोनों छाया ग्रह कंफ्यूज़न, छिपे हुए डर और जीवन को बदलने वाली घटनाओं का कारक होते हैं जिससे जीवोन में स्थिरता या सुरक्षा की भावना प्रभावित हो सकती है।
- मंगल: यदि मंगल पीड़ित हो तो इसकी वजह से आक्रामकता, मतभेद और जल्दबाज़ी में फैसले लिए जा सकते हैं जिससे व्यक्ति के जीवन की गति बाधित हो सकती है।
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छिद्र दशा का प्रभाव
- जीवन में बाधाएं
छिद्र दशा के दौरान व्यक्ति को अपने जीवन के विभिन्न हिस्सों जैसे कि करियर, रिश्तों, वित्त या सेहत में अचानक रुकावटों या बाधाओं का अनुभव हो सकता है।
यह एक ऐसी समयावधि की ओर संकेत करता है जब प्रगति में अवरोध आ जाए या व्यक्ति को ठहराव महसूस हो। - रिश्तों में चुनौतियां
इसमें रिश्तों में गलतफहमियां या अलगाव हो सकता है खासतौर पर रोमांटिक संबंध या पारिवारिक रिश्तों में।
गंभीर मामलों में यह भावनात्मक अलगाव का कारण बन सकता है। - मानसिक तनाव
जिन लोगों की कुंडली में छिद्र दशा चल रही होती है, उन्हें मानसिक रूप से तनाव महसूस हो सकता है या उन्हें ध्यान लगाने में दिक्कत हो सकती है जिससे तनाव, चिंता और कभी-कभी डिप्रेशन भी हो सकता है।
ऐसा अक्सर कुंडली में प्रमुख ग्रहों के पीड़ित होने पर होता है। - वित्तीय समस्याएं
वित्तीय समस्याएं, आकस्मिक खर्चे या आय में कमी आ सकती है।
निवेश से मनचाहा रिटर्न नहीं मिल पाता है और व्यवसाय या ट्रेड में नुकसान हो सकता है। - स्वास्थ्य समस्याएं
पीड़ित ग्रह के कारण ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जिनका निदान या इलाज करना मुश्किल होता है और रिकवरी भी धीमी हो सकती है।
यह सर्जरी या दुर्घटनाओं के संकेत भी दे सकता है जिनका प्रभाव लंबे समय तक रहता है। - अप्रत्याशित बाधाएं
व्यक्ति को अपने निजी या पेशेवर कार्यों में बार-बार और अनजान रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है। ये बाधाएं अचानक आ सकती हैं जैसे कि कोई प्रगति को रोक रहा है।
अब स्पष्ट हो गया कि छिद्र दशा क्या होती है, चलिए अब जान लेते हैं कि छिद्र ग्रह क्या होते हैं और इनका मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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छिद्र ग्रह क्या हैं
छिद्र ग्रह एक और ज्योतिषीय अवधारणा है। इसका मतलब एक ऐसे ग्रह से है जो बहुत ज्यादा पीड़ित है लेकिन बहुत कम डिग्री (0 से 3 डिग्री) या उच्च डिग्री (27 से 29 डिग्री) पर स्थित है। ऐसा ग्रह अपना परिणाम देने में असमर्थ होता है क्योंकि उसके पास उसकी संपूर्ण शक्ति नहीं होती है और वह कुंडली में वह अपनी भूमिका एवं महत्व को लेकर अनभिज्ञ होता है।
चलिए अब हम इसे उदाहरण से समझते हैं, यदि कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ने का नोटिस दे चुका है और जल्द की कंपनी को छोड़ने वाला है, तो वह अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अधिक उत्सुक नहीं होगा। वहीं दूसरी ओर, जब काई नया कर्मचारी कंपनी में आता है, तब उसे कंपनी में अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में ज्यादा पता नहीं होता है और अपने काम को पूरी तरह से समझने एवं उससे क्या अपेक्षाएं हैं, इसे जानने में समय लगता है।
कुछ ऐसा ही ग्रहों के साथ भी है। यदि ग्रह अशुभ ग्रहों के साथ युति में बहुत ज्यादा पीड़ित है या उस पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है या ग्रह बहुत कम या उच्च डिग्री पर है, तो वह ग्रह अच्छे या शानदार परिणाम देने में असमर्थ होगा और इस दौरान जीवन में कई चुनौतियां, निराशा और बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
राजेश खन्ना की कुंडली से समझें
आइए भारत के पहले सुपरस्टार श्री राजेश खन्ना की जन्मकुंडली से इसे समझने की कोशिश करते हैं। इससे छिद्र दशा और ग्रहों को समझते हैं और चुनौतीपूर्ण दशा एवं उसके प्रभाव को पहचानने के लिए उनकी कुंडली का गहन विश्लेषण करते हैं।
सभी जानते हैं कि राजेश खन्ना भारत के पहले सुपरस्टार थे और उन्होंने अपने फिल्मी करियर में असीम लोकप्रियता हासिल की थी। 1965 से लेकर 1972 तक राजेश लगभग हर भारतीय के दिलो-दिमाग पर छाए हुए थे। वह भारत के पहले रोमांटिक हीरो थे जो हर तरह से सुपरस्टार थे। उनका सुंदर और मनमोहक चेहरा, अद्भुत स्टाइल और आकर्षक मुस्कान लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती थी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजेश खन्ना को उनके निसंतान चाचा और चाची ने बचपन में ही गोद ले लिया था और उन्हें अपने असली माता-पिता के साथ बहुत कम समय के लिए ही रहने को मिला था। जी हां, बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं और यह उनकी कुंडली में भी नज़र आता है। एक्टर का जन्म 29 दिसंबर, 1942 को सूर्य ग्रह की महादशा में हुआ था।
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जब 1947 में उनकी चंद्रमा की महादशा शुरू हुई, तब उन्हें उनके चाचा गोद ले चुके थे और वो अपनी मां से दूर रहते थे जिसका उनके भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा था और यह अलगाव एवं उदासीनता के रूप में सामने आया। उनके साथ काम करने वाले अभिनेता, निर्देशक और निर्माताओं को अक्सर उनके कठोर व्यवहार का सामना करना पड़ता था। जैसे-जैसे वो बड़े हुए और खुद को व्यक्त करने लगे, वैसे-वैसे उनके स्वभाव में ये चीज़ें और ज्यादा दिखाई देने लगीं। उन्होंने अपनी भावनात्मक परेशानियों को आत्मविनाशकारी तरीके से व्यक्त किया जिससे करियर में इतनी लोकप्रियता हासिल करने के बाद भी वो अंधेरे में चले गए।
- उनकी कुंडली में चंद्रमा राहु के साथ तीसरे भाव में युति में है और 29 डिग्री 22” 13′ पर स्थित है।
- चंद्रमा राहु-केतु के अक्ष पर और बालावस्था में है जो कि चंद्रमा की महादशा को छिद्र दशा बनाता है।
- चंद्रमा मां का कारक होता है और राजेश खन्ना को अपनी मां का प्यार और सुरक्षा नहीं मिल पाई थी।
- चूंकि, उनकी कुंडली में चंद्रमा ने छिद्र ग्रह की तरह काम किया है और अत्यधिक उच्च डिग्री पर है। ऐसे में चंद्रमा परिणाम देने में असमर्थ था और उसने जीवन में चुनौतियां पैदा की। उन्हें अपने बचपन में भावनात्मक सुरक्षा नहीं मिली जिसकी वजह से उनका बचपन काफी चुनौतीपूर्ण रहा है।
- इस वजह से वह हमेशा मीडिया के सामने अपने बचपन के बारे में बात करने से कतराते थे और उनके साथ कई फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री आशा पारेख ने बताया था कि शुरुआती दिनों में राजेश के अंदर हीन भावना थी और वे अक्सर तनाव में रहते थे।
- चंद्रमा के पीड़ित होने की वजह से उन्हें भावनात्मक अलगाव और शराब की लत लगी।
- अगर हम उनकी कुंडली में बृहस्पति को देखें, तो बृहस्पति 28 डिग्री 49” 55’ पर स्थित है जो कि छिद्र ग्रह की तरह काम कर रहा है और उसकी स्थिति अधिक अशुभ न होने और किसी अशुभ ग्रह की उस पर दृष्टि नहीं पड़ रही है लेकिन तब भी वह बहुत अच्छे परिणाम देने में असमर्थ है। हालांकि, यह शत्रु राशि में लग्न भाव में स्थित है।
- 1982 में उनकी बृहस्पति की महादशा शुरू हुई थी जो कि 1998 तक चली थी। इस दौरान राजेश खन्ना बॉक्स ऑफिस पर लगातार कई फ्लॉप फिल्में देने के बाद लाइमलाइट से दूर हो गए थे।
- उन्हें कई प्रतिभाशाली अभिनेताओं जैसे कि अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर आदि ने पीछे छोड़ दिया था।
- इस दौरान उन्होंने राजनीति में अपनी किस्मत आज़माई और 1991 में उन्हें सफलता का स्वाद चखने को मिला लेकिन 1996 के बाद उनकी राजनीति से रुचि कम होने लगी। असल में बृहस्पति की महादशा के कारण राजेश खन्ना ने एक करियर से दूसरा करियर चुना लेकिन उन्हें किसी में भी सफलता और संतुष्टि नहीं मिली।
- उन्होंने बृहस्पति की महादशा में बिज़नेस में भी हाथ आज़माया लेकिन वहां भी वो खाली हाथ ही रह गए क्योंकि उनकी कुंडली में बृहस्पति ने छिद्र ग्रह की तरह काम किया।
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छिद्र महादशा या ग्रह मुश्किल और परीक्षा लेने वाले हो सकते हैं लेकिन यह स्वाभाविक रूप से नकारात्मक नहीं हैं। भले ही ये मुश्किलें लेकर आते हों लेकिन इनका उद्देश्य पुरानी संरचनाओं को हटाना और नए विकास के लिए जगह बनाना होता है। यदि इसे जागरूकता के साथ अपनाया जाए, तो यह परिवर्तन का एक शक्तिशाली चरण बन सकता है जो संतुलित और समृद्ध भविष्य की ओर ले जा सकता है। इस चुनौतीपूर्ण समय का लाभ उठाने के लिए धैर्य, आत्मचिंतन और बदलाव को स्वीकार करना ज़रूरी है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. छिद्र दशा मुश्किलें और चुनौतियां लेकर आ सकती है लेकिन यह व्यक्ति को आगे बढ़ने के सबक भी सिखाती है।
उत्तर. नहीं, जब ग्रह 27 या इससे उच्च डिग्री पर होता है या 0 से 3 डिग्री के बीच में और अशुभ ग्रह के प्रभाव में होता है, तब उसे छिद्र ग्रह माना जाता है।
उत्तर. हां, कोई भी ग्रह अशुभ प्रभाव में आने पर छिद्र ग्रह बन सकता है।