बुध का मिथुन राशि में उदय: एस्ट्रोसेज एआई आपको हमेशा से अपने लेखों के माध्यम से ग्रहों की चाल, दशा, स्थिति और राशि में होने वाले छोटे से छोटे बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान करता रहा है क्योंकि इनका सीधा असर मनुष्य जीवन पर पड़ता है। इसी क्रम में, ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को एक विशेष स्थान प्राप्त है और इन्हें बुद्धि, तर्क, संचार, व्यापार और वाणी का कारक ग्रह माना जाता है। जब भी बुध देव अपनी राशि या चाल में बदलाव करते हैं, तो इसका प्रभाव समस्त संसार पर दिखाई देता है, विशेष रूप से बुध से जुड़े क्षेत्रों पर। इनकी चाल में होने वाला परिवर्तन व्यक्ति के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में बड़े परिवर्तन लेकर आने की क्षमता रखते हैं। अब यह जल्द ही मिथुन राशि में अपनी अस्त अवस्था से बाहर आते हुए उदित होने जा रहे हैं।

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ऐसे में, हमारा यह लेख आपको बुध का मिथुन राशि में उदय से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, बुध मिथुन राशि में कब और किस समय उदित होंगे? इनके उदित होने से आपकी राशि को कैसे परिणाम मिलेंगे? क्या होता है ग्रह का उदित होना? मिथुन राशि में बुध के उदित होने से किन राशियों को सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और किन राशियों को इस अवधि में सावधानी बरतनी होगी? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस लेख में मिलेंगे जिसे ख़ासतौर पर हमारे अनुभवी और विद्वान ज्योतिषियों द्वारा ग्रह-नक्षत्रों की चाल, स्थिति तथा दशा का विश्लेषण करने के बाद तैयार किया गया है। तो आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले नज़र डालते हैं बुध उदित के समय पर।
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बुध का मिथुन राशि में उदय: तिथि और समय
बुद्धि, संवाद, तर्क, चतुराई, मित्र और गणित के कारक ग्रह के रूप में बुध देव हर राशि में लगभग 23 से 27 दिन तक रहते हैं और इस दौरान वह उदय, वक्री, मार्गी एवं अस्त होते हैं। बुध ग्रह अब 11 जून 2025 की सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर मिथुन राशि में उदित हो जाएंगे जो कि इनकी अपनी राशि है। बता दें कि बुध महाराज पिछले महीने 18 मई 2025 को मेष राशि में अस्त हो गए थे। मिथुन राशि में बुध के उदित होने को शुभ माना जाएगा क्योंकि उदित होने पर यह अपनी शक्तियों को पुनः प्राप्त कर लेंगे। ऐसे में, यह जातकों को एक बार फिर से पूरी क्षमता के साथ परिणाम दे सकेंगे। चलिए अब आपकी रूबरू करवाते हैं इस दौरान होने वाले ग्रहों की युतियों से।
मिथुन राशि में तीन ग्रह होंगे एक साथ
जून माह के दौरान मिथुन राशि में कई बड़े ग्रहों के गोचर होंगे और ऐसे में, इस राशि में अनेक युतियों तथा शुभ-अशुभ योगों का निर्माण होगा। बता दें कि मिथुन राशि में इस समय बुध के अलावा सूर्य और गुरु ग्रह भी मौजूद होंगे। ऐसे में, बुद्धि और व्यापार के कारक बुध और आत्मा के कारक सूर्य के एक साथ बैठे होने से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। लेकिन, बुध अपनी पूरी क्षमता से परिणाम उदित होने के बाद ही दे पाएंगे। वहीं, सूर्य, बुध और गुरु के एक साथ होने पर मिथुन राशि में त्रिग्रही योग भी बनेगा। हालांकि, गुरु और बुध की युति को अशुभ माना जाता है क्योंकि इससे केंद्राधिपति दोष का निर्माण होता है।
मिथुन राशि में बनने वाले योगों और दोषों को जानने के बाद अब हम आपको अवगत करवाते हैं उदित अवस्था के बारे में।
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किसे कहते हैं ग्रह का उदित होना?
हम यह बात भली-भाँति जानते हैं कि नवग्रहों में प्रत्येक ग्रह समय-समय पर उदय,अस्त, वक्री और मार्गी होता है जिसका अत्यधिक प्रभाव संसार पर पड़ता है। बात करें उदय की, तो उससे पहले आपको अस्त अवस्था के बारे में जानना होगा। बता दें कि जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत करीब चला जाता है, तब वह अस्त हो जाता है। सामान्य शब्दों में कहें तो, सूर्य के तीव्र प्रभाव की वजह से ग्रह अपनी सभी शक्तियां खो देता है और जातकों को पूरी क्षमता के साथ परिणाम देने में असमर्थ होता है।
इसी प्रकार, ग्रह का उदय होना एक ऐसी अवधि होती है जब अस्त ग्रह सूर्य से एक निश्चित दूरी पर आ जाता है और पुनः उदित हो जाता है। साथ ही, उदित होकर वह अपनी सभी शक्तियां को पुनः प्राप्त कर लेता है और एक बार फिर से अपनी पूरी क्षमता से परिणाम देने लगता है।
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ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व
- बुध ग्रह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है जिन्हें “ग्रहों के राजकुमार” का दर्जा प्राप्त है। यह सूर्य देव के सबसे निकट स्थित है।
- बुध ग्रह मनुष्य जीवन में बुद्धि, वाणी और संचार आदि को नियंत्रित करते हैं जो कि द्विस्वभाव ग्रह हैं।
- काल पुरुष कुंडली में बुध देव मिथुन और कन्या राशि के अधिपति देव हैं। यह कन्या राशि में उच्च के होते हैं और मीन इनकी नीच राशि मानी गई है।
- सभी दिशाओं में बुध महाराज उत्तर दिशा के स्वामी हैं और इनकी महादशा 17 वर्ष की होती है।।
- बुध देव के मित्र सूर्य और शुक्र हैं जबकि यह चंद्रमा से शत्रुता के भाव रखते हैं। वहीं, बृहस्पति देव और शनि ग्रह से इनके संबंध तटस्थ है।
- बुध को हरा रंग प्रिय है और सप्ताह में इन्हें बुधवार का दिन समर्पित है।
- बुध से प्रभावित जातक हंसी-मज़ाक करना और बोलना पसंद करते हैं।
- बुध ग्रह के आशीर्वाद से जातक करियर और व्यापार में सफलता प्राप्त करता है।
- साथ ही, बुध देव त्वचा और सीखने की क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
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कुंडली में कमज़ोर बुध के संकेत
याददाश्त का कमज़ोर होना: ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध देव कमजोर होते हैं, वह ज्यादा देर तक बातें याद नहीं रख पाता है। साथ ही, व्यक्ति पूरी एकाग्रता के साथ काम करने में असमर्थ होता है।
संवाद करने में परेशानी: दुर्बल बुध क्वे प्रभाव से जातक की वाणी और संचार कौशल प्रभावित होता है और उसे तुतलाना, हकलाना और सही शब्दों का चयन न कर पाना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सही निर्णय न लेना: बुध की अशुभ अवस्था का प्रभाव व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता पर भी पड़ता है और ऐसे में, वह सही समय पर सही निर्णय लेने में असमर्थ होता है इसलिए वह गलत फैसले लेने लगता है।
चिंता और तनाव: कुंडली में बुध के दुर्बल होने का एक संकेत व्यक्ति का हमेशा चिंता या तनाव में डूबे रहना भी होता है। ऐसा जातक अधिकतर तनाव या चिंता में रहता है।
व्यापार में हानि: बुध को व्यापार के कारक ग्रह कहा जाता है और इनके अशुभ प्रभाव के कारण जातक को व्यापार, लेखन, संवाद और शिक्षा आदि से जुड़े कारोबार में समस्या के साथ-साथ हानि का सामना करना पड़ता है।
त्वचा और नस संबंधित समस्या: बुध महाराज के नकारात्मक प्रभाव होने से व्यक्ति त्वचा, एलर्जी और हाथ-पैर सुन्न होना जैसी समस्याओं से परेशान रहता है।
विचार न रख पाना: कुंडली में बुध ग्रह दुर्बल होता है, तो जातक अपने विचार दूसरों के सामने नहीं रख पाता है जिसके चलते गलतफहमी, बात समझने और समझाने में समस्या होती है।
शिक्षा में समस्या: बुध के कमज़ोर होने पर शिक्षा से जुड़ी समस्याएं जैसे कि पढ़ाई में मन न लगना और विषय न समझ पाना आदि का सामना करना पड़ता है।
निराश होना: वाणी और बुद्धि के कारक ग्रह है इसलिए निर्बल होने पर बुद्धि के अभाव में जातक निराश हो जाता है।
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बुध का मिथुन राशि में उदय: सरल एवं अचूक उपाय
- बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन या फिर बुधवार के दिन बुध ग्रह के बीज मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” या “ॐ गण गणपतये नमो नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- बुधवार को व्रत करना फलदायी साबित होता है। हालांकि, बुध देव के लिए व्रत शुक्ल पक्ष के बुधवार से करना आरंभ करें।
- संभव हो, तो बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े धारण करें। आप चाहे तो, इस दिन हरे चने का सेवन करें।
- बुधवार को हरा मूंग, हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और हरी सब्जियां आदि दान करना शुभ होता है।
- बुधवार के दिन भगवान गणेश को पान और दूर्वा अर्पित करें।
- बुध ग्रह की कृपा पाने के लिए बुधवार के दिन पन्ना रत्न चांदी या सोने की अंगूठी में छोटी उंगली में धारण करें। लेकिन, ऐसा किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह के बाद ही करें।
- नियमित रूप से गाय की सेवा करने से भी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही, बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं।
- बुध देव की शांति के लिए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
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बुध का मिथुन राशि में उदय: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में तीसरे तथा छठे भाव के स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी ग्रह होते हैं और वर्तमान… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
बुध ग्रह आपके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ चौथे भाव के भी स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
बुध आपकी कुंडली में तीसरे तथा द्वादश भाव के स्वामी ग्रह होते हैं और यह … (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली के लाभ और धन भाव का स्वामी होता है और बुध का… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
बुध आपकी लग्न या राशि के स्वामी ग्रह होने के साथ-साथ आपके दशम भाव… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में भाग्य भाव का के स्वामी होने के साथ-साथ… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में आठवें भाव के स्वामी होने के साथ-साथ… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में सातवें भाव के स्वामी ग्रह होते हैं। साथ ही साथ यह … (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में छठे तथा भाग्य भाव के स्वामी ग्रह होते हैं और बुध… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में पांचवें तथा आठवें भाव के स्वामी ग्रह माने गए हैं अर्थात… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में चौथे तथा सातवें भाव के स्वामी होते हैं और बुध का… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बुध ग्रह 11 जून 2025 को मिथुन राशि में उदित हो जाएंगे।
बुध ग्रह को मिथुन राशि का स्वामित्व प्राप्त है।
जब कोई ग्रह अपने पथ पर चलते हुए सूर्य से एक निश्चित दूरी पर आ जाता है और अपनी शक्तियां पुनः हासिल कर लेता है, तो इसे ग्रह का उदित होना कहते हैं।