शुक्र-बुध की युति से बनेगा लक्ष्मीनारायण योग, इन जातकों की चमकेगी किस्मत!

शुक्र-बुध की युति से बनेगा लक्ष्मीनारायण योग, इन जातकों की चमकेगी किस्मत!

एस्ट्रोसेज एआई हमेशा यही कोशिश करता है कि हर नए ब्लॉग के साथ आपको ज्योतिष से जुड़ी ताजा और सबसे जरूरी जानकारी दी जाए, ताकि आप ज्योतिष की रहस्यमयी दुनिया की हर बड़ी घटना से जुड़े रहें। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे लक्ष्मी नारायण योग की जो कर्क राशि में शुक्र और बुध के युति से बनने जा रहा है। इसके अलावा, यह योग किस राशि के जातकों के लिए शुभ साबित होगा यह भी इस ब्लॉग के जरिए जानेंगे। बता दें कि यह विशेष योग 21 अगस्त 2025 की मध्यरात्रि 01 बजकर 8 मिनट पर बनने वाला है।

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क्या है लक्ष्मीनारायण योग

लक्ष्मी नारायण योग वैदिक ज्योतिष में एक बहुत ही शुभ योग माना जाता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि, बुद्धि और समाज में मान-सम्मान लाने वाला होता है। यह योग तब बनता है जब कुंडली में शुक्र और बुध की स्थिति और आपसी संबंध अच्छे होते हैं। यह योग इस बात का प्रतीक होता है कि जब दिव्य बुद्धि भगवान विष्णु (नारायण) और देवी लक्ष्मी का मिलन होता है, तब जीवन में संतुलन और खुशहाली आती है। जिन लोगों की कुंडली में यह योग होता है, उनका जीवन अक्सर शांतिपूर्ण, संतुलित और नैतिकता से भरा होता है। ऐसे लोग समाज सेवा की भावना भी रखते हैं और उन्हें जीवन में सफलता और सम्मान भी मिलता है।

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लक्ष्मी नारायण योग कब बनता है?

  • जब बुध और शुक्र एक साथ हों यानी युति कर रहे हों या एक-दूसरे को देख रहे हों।
  • ये दोनों ग्रह लग्न (जन्म कुंडली का पहला भाव) से केंद्र (पहले, चौथे, सातवें, दसवें) या त्रिकोण (पहले, पांचवें, नौवें) भावों में स्थित हों।
  • दोनों ग्रह अच्छी स्थिति में हों यानी नीच के न हों (कमजोर न हों) और राहु, केतु, शनि या मंगल जैसे पाप ग्रहों से पीड़ित न हों।

लक्ष्मी नारायण योग बनने के कारक

लक्ष्मी नारायण योग दरअसल कुंडली में धन और आर्थिक सफलता की संभावना को दिखाता है, जो खास ग्रहों की स्थिति से बनता है। लेकिन सिर्फ ग्रहों की स्थिति से ही सब कुछ तय नहीं होता। जीवन में कब क्या होगा, हमारी मेहनत और बाकी कई ज्योतिषीय बातें भी इसके असर पर बड़ा फर्क डालती हैं। जिन लोगों की कुंडली में यह योग बना होता है, उन्हें इसका पूरा फायदा तभी मिलता है जब वे अपनी किस्मत के साथ-साथ मेहनत, समझदारी और सही फैसलों से भी काम लें। 

आखिर में, लक्ष्मी योग हमें यह सिखाता है कि ग्रह भले ही हमारे जीवन को एक दिशा दें, लेकिन हमारी असली सफलता और किस्मत हमारे खुद के काम और कोशिशों से ही बनती है। अगर हम अपने लक्ष्यों को सही मेहनत और अपनी कुंडली में मिले योगों के साथ जोड़कर आगे बढ़ें, तो जीवन में समृद्धि और खुशहाली जरूर मिलती है।

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इस योग के पूरी तरह से प्रभावी होने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी होनी चाहिए:

  • बुध (नारायण) और शुक्र (लक्ष्मी) शुभ और मजबूत स्थिति में होने चाहिए।
  • ये दोनों ग्रह केंद्र (पहले, चौथे, सातवें, दसवें) या त्रिकोण (पहले,पांचवें, नौवें) भावों में स्थित होने चाहिए।
  • लग्न भी मजबूत होना चाहिए।
  • यह योग पाप ग्रहों (जैसे राहु, केतु, शनि, मंगल आदि) से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
  • बुध और शुक्र को शुभ भावों (जैसे पहला, दूसरा, पांचवां, सातवां, नौवां या ग्यारहवां भाव) के स्वामी होना चाहिए या ऐसे भावों में स्थित होना चाहिए।
  • इन सभी शर्तों के पूरे होने पर लक्ष्मी नारायण योग व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि और सफलता देने में पूरी तरह सक्षम होता है।

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कर्क राशि में लक्ष्मी नारायण योग: प्रभाव और फल

यदि यह योग कुंडली में सक्रिय और मजबूत हो, तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह के शुभ फल मिलते हैं। इसके प्रभाव कुछ इस प्रकार होते हैं:

  • धन और आर्थिक समृद्धि मिलती है।
  • अच्छी शिक्षा और तेज़ बुद्धि प्राप्त होती है।
  • कलात्मक प्रतिभा और अच्छी बोलचाल की क्षमता मिलती है।
  • व्यक्ति में आकर्षण होता है और वह समाज में लोकप्रिय होता है।
  • संबंधों में मधुरता और ऐश्वर्यपूर्ण जीवन का अनुभव होता है।
  • समाज में सम्मान और पहचान मिलती है।

इस योग को सौभाग्य, सुंदरता और बुद्धिमत्ता का योग माना जाता है, जिसमें भौतिक सुख और आध्यात्मिक समृद्धि दोनों का संतुलन होता है। कुछ प्रसिद्ध लोगों की कुंडली में भी यह योग पाया जाता है, जैसे रानी मुखर्जी और अल्बर्ट आइंस्टीन। लेकिन सिर्फ योग का होना ही काफी नहीं होता। इसके असली फल कब मिलेंगे, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि इस समय किस ग्रह की महादशी चल रही है। अगर लक्ष्मी योग से जुड़े शुभ ग्रहों की महादशी चल रही हो, तो जीवन में बड़ा लाभ मिल सकता है। लेकिन अगर उस समय कोई अशुभ ग्रह प्रभाव में हो, तो इस योग के प्रभाव थोड़े कम हो सकते हैं। इसलिए कुंडली देखते समय महादशाओं का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है, तभी इस योग का पूरा असर समझा जा सकता है।

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लक्ष्मी नारायण योग: इन राशियों को मिलेगा लाभ

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए शुक्र और बुध का दूसरा भाव (जो धन और परिवार का भाव है)में आना बहुत शुभ माना जाता है। यहां लक्ष्मी नारायण योग बनने से आपको नई आर्थिक संभावनाएं मिल सकती हैं। अगर आपका कोई पैसा कहीं अटका हुआ था तो अब उसके वापस मिलने के पूरे योग बन रहे हैं। यह योग रचनात्मक क्षेत्रों (जैसे गायन, अभिनय आदि) में काम करने वाले लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है। परिवार का माहौल शांतिपूर्ण रहेगा और यदि किसी तरह के झगड़े या गलतफहमियां चल रही थी तो वे अब सुलझेगी। इस समय आपकी बोलने की कला भी प्रभावशाली होगी।

आप अपनी बुद्धिमत्ता और समझदारी से कई समस्याओं को केवल बातचीत से ही हल कर पाएंगे। कुल मिलाकर यह समय मिथुन राशि वालों के लिए धन, शांति और लोकप्रियता लाने वाला होगा।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए यह योग 21 अगस्त से प्रभाव में आएगा और उनकी कुंडली के नौवें भाव में बनेगा, जो भाग्य और ईश्वर कृपा का संकेत है। इस समय भाग्य का साथ मिलने की पूरी संभावना है। व्यापार करना वालों के अच्छे समाचार मिल सकते हैं और जो लोग नौकरी की तलाश में हैं, उन्हें सभी सफलता मिलने के योग बन रहे हैं। 

कोई पुराना रुका हुआ काम पूरा होगा, जिससे आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। उच्च अधिकारियों या सरकार से संबंध मजबूत होंगे और जीवन में सकारात्मकता का अनुभव होगा। इस दौरान आपको अपने गुरुओं और मेंटर्स से भरपूर मार्गदर्शन और सहयोग मिल सकता है।

मीन राशि

मीन राशि की बात करें तो यह योग आपके पांचवें भाव में बन रहा है, जो संतान, निवेश और रचनात्मकता से जुड़ा होता है। इस समय संतान से जुड़ी कोई शुभ सूचना मिल सकती है। यदि आपने कहीं निवेश किया हुआ है, तो अब उसका अच्छा लाभ मिल सकता है। रचनात्मक क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को विशेष सफलता मिलेगी।

परिवार का माहौल खुशनुमा रहेगा और जीवनसाथी के साथ मिलकर किसी निवेश की योजना बन सकती है। शेयर बाजार से जुड़े लोगों की भी इस समय बड़ा मुनाफा मिलेगा। अगर कुंडली के अन्य ग्रह भी सहयोग करें। कुल मिलाकर यह समय मीन राशि वालों के लिए आर्थिक उन्नति और पारिवारिक सुख-संतोष का संकेत देता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. लक्ष्मी नारायण योग कौन से ग्रह बनाते हैं?

बुध और शुक्र

2. यह योग किन भावों में प्रभावी होता है?

केंद्र भाव (1, 4, 7, 10), त्रिकोण भाव (5वां और 9वां) या दूसरा और 11वां भाव।

3. क्या यह एक प्रकार का राजयोग है?

हाँ