बुध का मिथुन राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में बुध महाराज को “ग्रहों के युवराज” का दर्जा प्राप्त है जो कि बुद्धि, वाणी, तर्क, संचार कौशल और व्यापार के कारक माने गए हैं। इन्हें सभी 12 राशियों में कन्या और मिथुन राशि का स्वामित्व प्राप्त है। ऐसा कहा जाता है कि यदि कुंडली में बुध ग्रह शुभ या बलवान स्थिति में होते हैं, तो जातक अपनी बुद्धि का इस्तेमाल सही दिशा में करने में सक्षम होता है। ऐसे में, वह अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। साथ ही, मज़बूत बुध वाले व्यक्ति को जीवन में सुख-शांति और सुख-सुविधाओं से पूर्ण जीवन का आशीर्वाद मिलता है। वहीं, जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होते हैं, उनकी निर्णय लेने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। ऐसे में, बुध देव का राशि परिवर्तन महत्वपूर्ण माना जाता है जो अब जल्द ही मिथुन राशि में गोचर करने जा रहे हैं।

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बता दें कि बुध ग्रह का मिथुन राशि में गोचर मनुष्य जीवन को विशेष रूप से प्रभावित करेगा। ऐसे में, आपके मन में भी इस गोचर को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे जैसे कि क्या यह राशि परिवर्तन आपके करियर-व्यापार के लिए शुभ रहेगा? क्या आपकी आर्थिक स्थिति होगी मज़बूत या परेशान करेंगी धन से जुड़ी समस्याएं? किन राशियों के लिए शुभ और किन राशियों के लिए अशुभ रहेगा यह गोचर? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे “बुध गोचर” के इस ब्लॉग में प्राप्त होंगे। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बुध गोचर के बारे में सब कुछ।
बुध का मिथुन राशि में गोचर: तिथि और समय
ज्योतिष में बुध ग्रह को तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है और यह सूर्य के सबसे करीब स्थित है इसलिए यह समय-समय पर अस्त होते रहते हैं। हालांकि, बुध महाराज का गोचर हर 23 से 27 दिन के बाद होता है जो अब 06 जून 2025 की सुबह 09 बजकर 15 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। बता दें कि मिथुन राशि के स्वामी बुध महाराज ही हैं और ऐसे में, इनका गोचर अपनी ही राशि में होगा। इस प्रकार, बुध का मिथुन राशि में गोचर ज्यादातर राशियों को शुभ परिणाम दे सकता है, लेकिन फिर भी कुछ राशियों को इस दौरान सतर्क रहना होगा।
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बुध का मिथुन राशि में गोचर: युति और राजयोग
जब कोई ग्रह अपना राशि परिवर्तन करता है, तब ग्रहों की स्थिति के आधार पर कई तरह के शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है। इसी क्रम में, बुध महाराज अपनी राशि में बदलाव करते हुए मिथुन राशि में गोचर करेंगे, उस समय वहां बृहस्पति देव पहले से विराजमान होंगे। इसके परिणामस्वरूप, बुध और गुरु ग्रह मिथुन राशि में युति का निर्माण करेंगे। बता दें कि ज्योतिष में बुध को बुद्धि और गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह माना जाता है। इन दोनों ग्रहों के संबंध तटस्थ है और ऐसे में, मिथुन राशि में बुध और गुरु के एक साथ होने से यह जातक की बुद्धि को मज़बूत बनाएंगे। लेकिन, इनका प्रभाव आपके जीवन पर कैसा होगा, यह पूर्ण रूप से कुंडली में बुध और बृहस्पति ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है।
बुधादित्य योग: बुध के मिथुन राशि में प्रवेश के कुछ समय बाद सूर्य महाराज भी इस राशि में आ जाएंगे। ऐसे में, बुध और सूर्य की युति से बेहद शुभ माने जाने वाले बुधादित्य योग का निर्माण होगा। हालांकि, इस योग का निर्माण 15 जून 2025 को सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ होगा। इसके अलावा, सूर्य गोचर के साथ ही मिथुन राशि में बुध, सूर्य और गुरु ग्रह के एक साथ होने से त्रिग्रही योग भी बनेगा।
आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बुध मिथुन राशि में कैसे प्रभाव देते हैं।
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बुध का मिथुन राशि में प्रभाव
- जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि मिथुन राशि के अधिपति देव बुध महाराज हैं इसलिए इनकी स्थिति को मिथुन राशि में बेहद शक्तिशाली माना जाता है।
- बुध ग्रह की यह स्थिति जातक को बुद्धिमान, प्रभावी संचार कौशल और बहुमुखी प्रतिभा वाला बनाती है।
- ऐसे जातक पेशेवर जीवन के साथ-साथ निजी जीवन में भी अपनी चमक बिखेरते हैं। वाणी के कारक ग्रह के रूप में बुध आपको शब्दों का सही इस्तेमाल करने का गुण प्रदान करते हैं।
- इसके अलावा, बुध मिथुन राशि के तहत पैदा होने वाले जातकों की रुचि उन क्षेत्रों में होती है जिसमें वाणी और संचार कौशल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- आपको नई-नई चीज़ें सीखना पसंद हो सकता है, लेकिन आप ज्यादा देर तक एक ही काम को लगातार नहीं कर सकते हैं।
- कुंडली में मिथुन राशि में बुध के तहत पैदा होने वाले लोग मल्टी टैलेंटेड होते हैं। ऐसे में, यह एक समय पर एक साथ कई कामों को कर सकते हैं।
- ऐसे जातकों की सोच-विचार करने की क्षमता बहुत मज़बूत होती है इसलिए यह चीज़ों या बातों को जल्द ही स्वीकार लेते हैं। साथ ही, इन्हें अपने नज़रिये में बदलाव करने में ज्यादा समय नहीं लगता है।
यहाँ हमने आपको बुध के मिथुन राशि में प्रभावों से अवगत करवाया है। अब हम जानेंगे बुध ग्रह से बनने वाले अशुभ योगों के बारे में।
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बुध ग्रह से बनने वाले अशुभ योग
ज्योतिष के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध देव शत्रु ग्रह के साथ युति करते हैं या फिर अपनी दृष्टि डालते हैं, तब अशुभ योग बनता है। बुध ग्रह से बनने वाले अशुभ योगों के नाम इस प्रकार हैं:
बुध-शनि योग: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध और शनि देव एक साथ मौजूद होते हैं, तब बुध-शनि योग का निर्माण होता है। इस योग के नकारात्मक प्रभाव से जातक हद से ज्यादा विश्लेषणात्मक, दूसरों की आलोचना करने वाला बन सकता है या फिर आप तनाव या डिप्रेशन में आ सकते हैं
बुध ग्रह दोष: कुंडली में बुध ग्रह दोष उस समय बनता है जब बुध महाराज शनि, राहु या मंगल जैसे पापी ग्रहों के साथ बैठे होते हैं या फिर इन ग्रहों की बुध पर दृष्टि होती है। यह अशुभ योग जातक के जीवन में संचार, शिक्षा और व्यापार से जुड़ी समस्या लेकर आता है।
अब हम बात करेंगे कि कुंडली में बुध की अशुभ स्थिति को आप कैसे पहचान सकते हैं।
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कुंडली में बुध कमज़ोर होने पर दिखते हैं ये 8 लक्षण
- गलत निर्णय: कुंडली में दुर्बल बुध होने पर व्यक्ति सही निर्णय लेने में असमर्थ होता है। ऐसे में, आप गलत निर्णय ले सकते हैं।
- कमजोर याददाश्त: अशुभ बुध होने पर व्यक्ति बातें भूलने लगता है और काम में ध्यान नहीं लगता है।
- बोलने में समस्या: जातक का बुध कमजोर होने पर वाणी से जुड़ी समस्या परेशान करने लगती है।
- तनाव या चिंता: अशुभ बुध के प्रभाव से जातक किसी बात को लेकर तनाव या चिंता में आ जाता है।
- व्यापार में हानि: व्यापार के कारक ग्रह होने के नाते बुध की कमज़ोर अवस्था व्यापार में हानि का कारण बनती है और आपको बिज़नेस में बार-बार नुकसान होता है।
- त्वचा एवं नस संबंधित समस्या: अशुभ बुध की वजह से व्यक्ति को त्वचा से जुड़ी एलर्जी और हाथ-पैर सुन्न होना जैसी समस्याएं रह सकती हैं।
- दूसरों से बातचीत में समस्या: जातक निर्बल बुध के प्रभाव के कारण अपनी बातें दूसरों के सामने सही से रख नहीं पाता है इसलिए गलतफहमी होना, अपनी बात न समझ पाना आदि जैसी समस्याएं पैदा होने लगती हैं।
- शिक्षा में रुकावट: व्यक्ति का मन पढ़ाई से हट जाता है और विषय समझने में भी कठिनाई का अनुभव होता है।
बुध का मिथुन राशि में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपाय
- प्रतिदिन या बुधवार के दिन बुध ग्रह के बीज मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का जाप करें। संभव हो, तो बुधवार के दिन व्रत करें और आप इस व्रत का आरंभ शुक्ल पक्ष के बुधवार से कर सकते हैं। इस दिन हरे कपड़े धारण करें या फिर हरे चने का सेवन करें।
- बुधवार के दिन हरे रंग के कपड़े, हरी सब्जियां और हरी चूड़ियां आदि का दान करें।
- बुध से शुभ परिणामों के लिए बुधवार के दिन दूर्वा (हरी घास), पान आदि चीज़ें भगवान गणेश को समर्पित करें।
- बुधवार के दिन पन्ना रत्न धारण करना फलदायी रहेगा। इस रत्न को आप बुधवार के दिन चांदी या सोने की अंगूठी में जड़वाकर छोटी उंगली में धारण करें। लेकिन, ऐसा करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह अवश्य करें।
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बुध का मिथुन राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
बुध आपकी कुंडली में तीसरे और छठे भाव के स्वामी होकर आपके तीसरे भाव में जा रहें हैं। वैसे… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
बुध आपकी कुंडली में दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
बुध आपकी लग्न या राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके चौथे भाव के भी… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में तीसरे और द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और बुध का … (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
बुध आपकी कुंडली में दूसरे तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में यह… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
बुध आपकी कुंडली में आपके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ आपके कर्म भाव के…(विस्तार से पढ़ें)
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तुला राशि
बुध आपकी कुंडली में भाग्य तथा द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में बुध का…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
बुध आपकी कुंडली में आठवें तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में यह… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
बुध आपकी कुंडली में सातवें तथा दशम भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में यह आपके…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
बुध आपकी कुंडली में छठे तथा भाग्य भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान में बुध… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
बुध आपकी कुंडली में पांचवें तथा आठवें भाव के स्वामी होकर आपके पंचम… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
बुध आपकी कुंडली में चौथे तथा सातवें भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
वाणी और संचार के ग्रह बुध 06 जून 2025 को वृषभ राशि से निकलकर अपनी राशि मिथुन में गोचर कर जाएंगे।
मिथुन राशि के जातक बुद्धिमान, प्यारे और बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध ग्रह को नवग्रहों के युवराज का दर्जा प्राप्त है।