बुध का मेष राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, संचार, विश्लेषण करने की क्षमता, तर्क और वाणिज्य का कारक माना गया है। यह वाणी, लेखन, शिक्षा, व्यापार, नेटवर्किंग और तकनीकी प्रगति को नियंत्रित करता है। बुद्धि का कारक होने की वजह से बुध ग्रह व्यक्ति की तर्क करने की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति को आकार देने में अहम भूमिका निभाता है। बुध ग्रह मिथुन एवं कन्या राशि के स्वामी हैं और वह कन्या राशि में उच्च के होते हैं, यहां बुध की शक्ति सबसे अधिक होती है। बुध एक तटस्थ ग्रह है जो अपने संपर्क में आने वाले ग्रहों और राशियों के अनुसार खुद को ढ़ाल लेता है।

अब बुध का मेष राशि में गोचर होने जा रहा है। राशि चक्र की पहली राशि मेष पर मंगल ग्रह का आधिपत्य है। इस गोचर का प्रत्येक राशि पर विशेष प्रभाव देखने को मिलेगा। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं कि बुध का मेष राशि में गोचर करने की तिथि क्या है। साथ ही जानेंगे इसके ज्योतिषीय महत्व और प्रभाव के बारे में भी। इस शक्तिशाली गोचर का न सिर्फ मानव जीवन पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि यह सामूहिक चेतना, राष्ट्रीय विकास और वैश्विक घटनाओं को भी प्रभावित करेगा।
बुध के मंगल की राशि में प्रवेश करने का 12 राशियों पर क्या असर पड़ेगा? इस दौरान मेष राशि के जातकों के निजी और पेशेवर जीवन में क्या बदलाव आ सकते हैं? क्या इस दौरान आपको बड़ा निवेश करना चाहिए? इस ब्लॉग में इन सभी सवालों के साथ और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
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बुध का मेष राशि में गोचर: तिथि और समय
बुध ग्रह हमारी वाणी, लेखन, शिक्षा, बुद्धिमत्ता, ट्रेड, गणित और ह्यूमर का कारक है। वहीं मेष राशि को निर्भीकता, नेतृत्व करने की क्षमता और नई शुरुआत करने की इच्छा के लिए जाना जाता है। अब 07 मई, 2025 को सुबह 03 बजकर 53 मिनट पर बुध ग्रह मेष राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं।
बुध के मेष राशि में प्रवेश करने पर मनुष्य की मानसिक क्षमता साहस और महत्वाकांक्षा से भर जाती है। वह व्यक्ति अपने विचारों के बारे में खुलकर बात करते हैं और बातचीत एवं बौद्धिक कार्यों में जोखिम उठाने के लिए तैयार रहते हैं। यह नई शुरुआत और सीधी बात करने का समय है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बुध और मंगल का कैसा संबंध है।
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वैदिक ज्योतिष में बुध और मंगल ग्रह का संबंध
वैदिक ज्योतिष में बुध और मंगल ग्रह दो अलग-अलग लेकिन शक्तिशाली ऊर्जाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंगल एक साहसी ग्रह है जो कि कार्य, आक्रामकता, साहस और प्रयास करने का कारक है। यह हमारी शारीरिक ऊर्जा, इच्छाशक्ति एवं संघर्ष और नेतृत्व करने की क्षमता को नियंत्रित करता है। वहीं, दूसरी ओर, बुध ग्रह को बुद्धि, संचार, तर्क और विश्लेषात्मक सोच का कारक माना गया है। यह हमारी वाणी, तर्क, व्यावसायिक कौशल और परिवर्तन को स्वीकार करने की क्षमता को नियंत्रित करता है। जब ये दो ग्रह एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं, तब मन और कार्य, वाणी और शक्ति एवं रणनीति और उसे अमल करने के बीच में एक अद्धितीय गतिशीलता देखने को मिलती है।
वैदिक ज्योतिष में मंगल और बुध के बीच के संबंध को पारंपरिक रूप से शत्रु का ही माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन ग्रहों की स्वाभाविक प्रवृत्तियों के बीच अक्सर आपस में टकराव देखने को मिलता है। मंगल सोचने से पहले कार्य करता है जबकि बुध कार्य करने से पहले सोच-विचार करता है। मंगल में आवेग और जुनून होता है जबकि बुध सोच-समझकर कार्य करने वाला और भावनाओं के बजाय तर्क को महत्व देने वाला होता है। इसलिए जब बुध मंगल के प्रभाव में आता है, तब इससे तेज बुद्धि, तीखी वाणी और बातों में दृढ़ता देखने को मिलती है लेकिन इससे बातों में आक्रामकता, अधीरता और बेचैनी भी आ सकती है।
जन्मकुंडली में जब मंगल और बुध अच्छे स्थान में हों या सकारात्मक प्रभाव दे रहे हों, तब जातक वाद-विवाद में निपुण होता है, वकील, रणनीतिज्ञ या व्यवसायी बन सकता है। ये तेजी से सोचते हैं और सोच-विचार कर के कार्य करते हैं। हालांकि, यदि ये दोनों ग्रह अशुभ स्थान में या पीड़ित हैं, तब वाणी में कठोरता, विवाद करने की प्रवृत्ति, आवेग में आकर निर्णय लेने और मानसिक तनाव की स्थिति देखी जा सकती है। गोचर के दौरान विशेष रूप से मंगल और बुध का संबंध दिलचस्प होता है जैसे कि मंगल की राशि मेष में बुध का गोचर करना। यहां पर बुध आपकी वाणी को प्रभावित करने के साथ-साथ कार्य करने के लिए प्रेरित करता है और ऐसे में आप निडर होकर अपने विचारों को दूसरे के सामने रखने में सक्षम होते हैं।
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बुध का मेष राशि में गोचर: स्थिति को समझें
वैदिक ज्योतिष में मंगल की अग्नि तत्व की राशि मेष और बुद्धि एवं संचार के कारक बुध के बीच का संबंध काफी दिलचस्प और शक्तिशाली है। मेष साहसी और क्रियाशील राशि है जिसे अपनी आवेगपूर्ण ऊर्जा, दृढ़ इच्छाशक्ति और नेतृत्व करने की इच्छा के लिए जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर, बुध तर्क, बुद्धि, वाणी, सीखने और परिवर्तन को स्वीकार करने को दर्शाता है। बुध के मेष राशि में आने पर यह संचार में उग्रता और आत्मविश्वास लेकर आएगा। यह अपने शांत और सोच-समझकर कार्य करने के स्वभाव को स्पष्टता से बात करने, तेज-तर्रार और उत्साह से भरपूर स्वभाव में बदल लेता है।
यह विचार करने के साथ-साथ कार्य करने का समय होता है। मेष राशि में बुध के होने से व्यक्ति तेजी से सोचता है और उसकी वाणी में तीखापन आता है एवं वह निडरता से अपने विचारों को व्यक्त कर पाता है। जिन लोगों की कुंडली में मेष राशि में बुध होते हैं, वे बिना किसी हिचकिचाहट के अपने मन की बात कह देते हैं, कभी-कभी ये मुंहफट या आक्रामक भी लग सकते हैं। हालांकि, ये आत्मविश्वास के साथ स्पष्ट बातें करते हैं और प्रेरणाप्रद होते हैं। मेष राशि बुध को अपनी बात बोलने और बातचीत में जोखिम उठाने का साहस देती है जबकि बुध मेष राशि की आवेगशील ऊर्जा को विवेक और स्पष्टता प्रदान करता है। इस संयोजन से सेल्स, भाषण देने वाले, नेतृत्व करने वाले पदों पर काम करने वालों, मीडिया, मार्केटिंग या व्यवसायियों को लाभ मिलता है। इन क्षेत्रों में जल्दी सोचने और मजबूती से अपने विचारों को व्यक्त करने की जरूरत होती है।
हालांकि, चुनौतियां भी उत्पन्न हो सकती हैं। बुध के मेष राशि में आने से अधीरता, विवाद करने का स्वभाव या जल्दबाज़ी में निर्णय लेने की प्रवृत्ति भी आ सकती है। मेष राशि के काम को तुरंत करने और बुध के तार्किक होकर सोचने के गुण के बीच आपको संतुलन बनाकर चलना होगा।
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बुध का मेष राशि में गोचर: सूर्य और बुध मेष राशि में बना रहे हैं शुभ योग
बुध के मेष राशि में गोचर करने पर सभी ग्रहों के राजा सूर्य भी मेष राशि में गोचर करेंगे। सूर्य इस राशि में 14 मई, 2025 को वृषभ राशि में गोचर करने तक इसी राशि में रहेंगे। यह संयोजन बुधादित्य योग नामक शुभ योग का निर्माण कर रहा है। बुध का मेष राशि में गोचर होने पर यह योग विशेष रूप से शक्तिशाली हो जाएगा क्योंकि बुध और सूर्य दोनों एकसाथ उग्र और ऊर्जा की राशि मेष में आते हैं।
मेष राशि पर मंगल का स्वामित्व है एवं यह ग्रह कार्य करने, साहस और प्रयास करने का प्रतीक है। मेष राशि में उच्च का सूर्य असीम शक्ति, नेतृत्व करने की क्षमता, अधिकार और आत्मविश्वास प्रदान करता है। जब बुध सूर्य जैसे शक्तिशाली ग्रह के साथ होता है, तब वह इस ग्रह की कुछ गतिशील ऊर्जा को अपना लेता है जिससे संचार, बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। इस स्थिति को खासतौर पर भाषण देने वाले, प्रशासन, शिक्षा, मार्केटिंग और राजनीति से संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले जातकों के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। यह युति 14 मई, 2025 तक रहेगी और इसके बाद सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे जिससे यह योग समाप्त हो जाएगा।
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कुंडली में कमज़ोर बुध को मजबूत करने के उपाय
यदि जन्म कुंडली में बुध कमजोर या पीडित है, तो इससे व्यक्ति की संचार क्षमता, बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। बुध के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं:
- हमेशा खासतौर पर व्यापारिक लेन-देन को लेकर ईमानदार रहें। किसी भी तरह का धोखा, छल या विश्वासघात न करें।
- आप चार मुखी या दस मुखी रुद्राक्ष धारण कर बुध को प्रसन्न कर सकते हैं। हालांकि, इस उपाय को करने से पहले आप किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श जरूर कर लें।
- बुधवार के दिन व्रत रखें और नियमित रूप से विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।
- किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद पन्ना रतन धारण करें।
- बुधवार के दिन बुध ग्रह से संबंधित चीज़ों जैसे कि साबुत मूंग दाल, हरी घास, पालक, गरीब या जरूरतमंद लोगों को दान करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें और बुध को मजबूत करने के लिए उनका आशीर्वाद लें।
- आप ज्यादा से ज्यादा हरे रंग के कपड़े पहनने की कोशिश करें क्योंकि हरे रंग का संबंध बुध ग्रह से होता है।
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बुध का मेष राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के पहले भाव में बुध का गोचर होने जा रहा है लेकिन आपके लग्न भाव के स्वामी के साथ शत्रुता रखने और आपके तीसरे एवं छठे भाव का स्वामी होने की वजह से बुध आपके लिए … (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के दूसरे और पांचवे भाव का स्वामी बुध है जो कि आपके बारहवें भाव में गोचर करने जा रहा है। बुध का मेष राशि में गोचर करने के दौरान… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लग्न और चौथे भाव का स्वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके ग्यारहवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। इस दौरान… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
बुध कर्क राशि के तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी हैं और बुध का मेष राशि में गोचर होने के दौरान… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि के दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं। बुध का मेष राशि में गोचर होने के दौरान बुध आपके नौवें भाव में रहेंगे। बुध आपके लिए… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि के लिए बुध आपके लग्न और दसवें भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके आठवें भाव में गोचर करने जा रहे हैं। जब बुध सातवें भाव में… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि के नौवें और बारहवें भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान बुध आपके सातवें भाव में प्रवेश करेंगे। यह समय… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
इस राशि के आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी बुध ग्रह है जो कि अब बुध का मेष राशि में गोचर होने पर आपके… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
बुध धनु राशि के सातवें और दसवें भाव का स्वामी बुध ग्रह है जो कि अब आपके पांचवें भाव में गोचर करने जा रहा है… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि के छठे और नौवें भाव का स्वामी बुध ग्रह है जो कि अब आपके चौथे भाव में गोचर करने जा रहे हैं। यह भाव… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
बुध आपके तीसरे भाव में गोचर करने जा रहे हैं, जहां बुध स्वयं को सबसे अधिक सहज महसूस करते हैं इसलिए आने वाला समय आपके लिए… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
मीन राशि के दूसरे भाव में बुध का यह गोचर होने जा रहा है। यह भाव परिवार, बचत और वाणी का होता है। बुध मीन राशि के चौथे और … (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. 07 मई, 2025 को सुबह 03 बजकर 53 मिनट पर बुध मेष राशि में प्रवेश करेंगे।
उत्तर. इस गोचर से संचार में साहस और ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा।
उत्तर. बुध के सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाने और मानसिक स्पष्टता पाने के लिए आप इस गोचर के दौरान बुध के बीज मंत्र का जाप करें।