बसंत पंचमी 2025: माघ माह अपने साथ कई बड़े पर्व एवं त्योहार लेकर आता है और इनमें से ही एक है बसंत पंचमी का पर्व। हिंदू धर्म में इस त्योहार को विशेष स्थान प्राप्त है जो कि पूरे देश में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इसे वसंत पंचमी, श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व ज्ञान की देवी माता सरस्वती को समर्पित होता है। हालांकि, बसंत पंचमी को अत्यंत शुभ माना गया है और इस तिथि पर कुछ कार्यों को बिना सोचे-समझे किया जा सकता है जिनके बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे।

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एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए “बसंत पंचमी 2025” का यह विशेष ब्लॉग लेकर आया है जिसके माध्यम से आपको न सिर्फ इस पर्व की तिथि, महत्व और मुहूर्त के बारे में जानकारी मिलेगी, बल्कि इस दिन क्या करें और क्या न करें, किन उपायों को करने से देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त होगी, इस बारे में भी हम आपको विस्तार से बताएंगे। साथ ही, बसंत पंचमी के दिन बनने वाले शुभ योगों से भी आपको अवगत करवाएंगे। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और सबसे पहले जानते हैं कि इस पर्व की तिथि और मुहूर्त के बारे में।
बसंत पंचमी 2025: तिथि एवं पूजा मुहूर्त
बात करें बसंत पंचमी की, तो हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। सामान्य रूप से बसंत पंचमी प्रत्येक वर्ष जनवरी के अंत या फरवरी के आरंभ में आती है। शायद ही आप जानते होंगे कि वसंत पंचमी की तिथि पूर्वाह्न काल के आधार पर निर्धारित होती है। इस प्रकार, पंचमी तिथि जब पूर्वाह्न काल के दौरान सबसे प्रबल होती है, उस समय से ही वसंत पंचमी की शुरुआत होती है। आइए अब नज़र डालते हैं बसंत पंचमी 2025 की समय और तिथि पर।
बसंत पंचमी की तिथि: 02 फरवरी 2025, रविवार
सरस्वती पूजा का मुहूर्त: सुबह 09 बजकर 16 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
अवधि: 3 घंटे 18 मिनट
पंचमी तिथि का आरंभ: 02 फरवरी 2025 की सुबह 09 बजकर 16 मिनट से,
पंचमी तिथि की समाप्ति: 03 फरवरी 2025 की सुबह 06 बजकर 54 मिनट तक।
बसंत पंचमी की तिथि और मुहूर्त को जानने के बाद अब आपको अवगत करवाते हैं इस दिन बन रहे शुभ योगों से।
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बसंत पंचमी पर होगा इन दो शुभ योगों का निर्माण
सनातन धर्म में शुभ योगों को बहुत महत्व दिया जाता है और जब कोई शुभ योग किसी बड़े त्योहार के दिन बनता है, तो उस पर्व का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसी क्रम में, बसंत पंचमी 2025 बेहद ख़ास होने वाला है क्योंकि इस दिन एक नहीं अनेक शुभ योगों का निर्माण हो रहा है जिसमें शिव योग, सिद्ध योग और बुधादित्य जैसे योग शामिल हैं। बता दें कि शिव योग और सिद्ध योग को बेहद शुभ माना जाता है। शिव योग में भगवान शिव के पूजन से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं, बुधादित्य योग सूर्य और बुध के एक राशि या भाव में होने पर बनता है और इसे कार्यों में सफलता और सकारात्मक परिणाम देने वाला कहा गया है।
बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व
सबसे पहले हम बात करेंगे बसंत पंचमी के अर्थ की, बसंत शब्द का संबंध वसंत ऋतु से है जबकि पंचमी का तात्पर्य पांचवें दिन से है। बसंत पंचमी को बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक माना जाता है और इस दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा करने का विधान है इसलिए ही इस तिथि पर सरस्वती पूजन भी किया जाता है।
बसंत पंचमी के पर्व को ज्ञान, विद्या और कला के लिए विशेष माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी सरस्वती का जन्म हुआ था जो कि ज्ञान, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी हैं। बसंत पंचमी पर छात्र, कलाकार, लेखक और संगीतकार विशेष रूप से माता सरस्वती की उपासना करते हैं ताकि उन्हें अपनी पढ़ाई और कार्यों में सफलता की प्राप्ति हो सके।
बसंत के महत्व की बात करें, तो बसंत का महाकवि कालिदास ने ऋतुसंहार काव्य में ”सर्वप्रिये चारुतर बसंते” के रूप में वर्णन किया है। श्रीहरि विष्णु के अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि ”ऋतूनां कुसुमाकरः” अर्थात ‘ऋतुओं में मैं बसंत हूँ’ कहकर खुद को बसंत का स्वरूप बताया है। इसके अलावा, बसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति ने पहली बार मानव के हृदय में प्रेम का संचार किया था इसलिए इस दिन माता सरस्वती के अलावा कामदेव और रति की भी उपासना करनी चाहिए। इनकी कृपा से वैवाहिक जीवन में खुशहाल और सुखमय बीतता है। सरस्वती माता की पूजा से जातक का जीवन ज्ञान से प्रकाशित होता है।
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ज्योतिष में बसंत पंचमी का महत्व
ज्योतिष की दृष्टि से भी बसंत पंचमी का अपना अलग स्थान है। ऐसा कहते हैं कि इस तिथि पर सरस्वती पूजन से गुरु, बुध, चंद्र और शुक्र के अशुभ प्रभावों को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है। इस दिन देवी सरस्वती का पूजन उन लोगों के लिए शुभ होता है जो इन चारों ग्रहों की महादशा या अंतर्दशा से गुजर रहे हैं। बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की कृपा आपको इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति दिला सकती है।
बसंत पंचमी पर होता है अबूझ मुहूर्त
हिंदू धर्म में शुभ एवं मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त को महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए कोई भी शुभ कार्य करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है। इसी क्रम में, सनातन धर्म में ढाई अबूझ मुहूर्त के बारे में बताया गया है जिनमें बसंत पंचमी का दिन भी शामिल होता है। बसंत पंचमी पर एक विशेष मुहूर्त होता है और इस तिथि पर किसी भी शुभ कार्य को बिना मुहूर्त के संपन्न किया जा सकता है क्योंकि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल होती है।
बसंत पंचमी के मौके पर चंद्र देव की स्थिति भी शुभ होती है जो व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास और मानसिक शांति का आशीर्वाद देती है। साथ ही, इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना बेहद शुभ होता है। बसंत पंचमी के दिन को विद्यारंभ, नवीन विद्या प्राप्ति, विवाह और ग्रह-प्रवेश आदि के लिए बहुत शुभ माना गया है।
आइए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा विधि से।
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बसंत पंचमी की पूजा विधि
- बसंत पंचमी पर प्रातःकाल उठकर घर की सफाई करने के बाद स्नान करें।
- स्नान से पूर्व शरीर पर नीम एवं हल्दी का मिश्रण लगाएं क्योंकि पीला/सफेद रंग देवी सरस्वती को पसंदीदा है।
- पूजा स्थान पर देवी सरस्वती और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
- देवी की मूर्ति के पास पुस्तक, पत्रिका या कोई वस्तु रखें।
- बसंत पंचमी 2025 की पूजा करने के लिए पूजा थाली तैयार करें और उसमें फूल, कुमकुम, चावल और हल्दी आदि सामग्री रखें।
- अब यह सामग्री माँ सरस्वती और गणेश जी को अर्पित करें। इसके बाद उनसे प्रार्थना करें।
- अंत में माता सरस्वती की आरती करें और माता को प्रसाद का भोग लगाएं। इसके पश्चात सबको प्रसाद दें और स्वयं भी खाएं।
देवी सरस्वती की इस मंत्र से करें वंदना
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के बाद नीचे दिए गए श्लोक से सरस्वती वंदना करें।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
बसंत पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा
धर्म ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार, एक बार संसार के भ्रमण पर ब्रह्मा जी निकले थे। जब उन्होंने सारा ब्रह्मांड देखा, तो उन्हें संसार मूक नजर आया यानी कि पूरी दुनिया में बहुत खामोशी छाई हुई थी। इसे देखने के बाद ब्रह्मा जी को एहसास हुआ कि संसार की रचना में कुछ कमी रह गई है।
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इसके बाद, एक जगह पर ब्रह्माजी कुछ समय के लिए ठहर गए और उन्होंने अपने कमंडल से थोड़ा जल निकला और उसका छिड़काव किया। जहां ब्रह्मा जी ने जल छिड़का वहां पर ज्योतिपुंज में से एक देवी अवतरित हुईं जिन्होंने अपने हाथों में वीणा ली हुई थी और चेहरे पर अत्यंत तेज था। यह देवी माता सरस्वती थी, इन्होने प्रकट होने के बाद ब्रह्मा जी को प्रणाम किया और तब से ही बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के अवतरण के रूप में मनाया जाने लगा।
उसके बाद ब्रह्माजी ने माता सरस्वती से कहा कि संसार में सभी लोग मूक हैं और इनमें से कोई भी संवाद नहीं कर पाते हैं। माता सरस्वती ने पूछा कि प्रभु! मेरी क्या आज्ञा है? ब्रह्माजी ने कहा, देवी अपनी वीणा से इन्हें ध्वनि प्रदान करें ताकि लोग आपस में बातचीत कर सकें। इसके बाद, मां सरस्वती ने संसार को आवाज प्रदान की।
बसंत पंचमी के दिन क्या करें?
- बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती को मीठे पीले चावल और लड्डू का प्रसाद के रूप में भोग लगाएं।
- इस अवसर पर पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
- वसंत पंचमी के दिन पितृ तर्पण अवश्य करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
- इस तिथि पर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- विद्यार्थियों को बसंत पंचमी के दिन किताब, कलम, पेन आदि पढ़ाई की सामग्री की पूजा करनी चाहिए।
बसंत पंचमी पर क्या न करें?
- वसंत पंचमी पर किसी को भी अपशब्द या कटु वचन बोलने से बचें।
- इस दिन किसी के साथ लड़ाई-झगडा करने से बचना चाहिए।
- वसंत पंचमी पर आपको मांस-मदिरा के सेवन से भी परहेज़ करना चाहिए।
- इस दिन बिना स्नान करें न तो भोजन खाएं और न ही बनाएं।
- इस पर्व पर पेड़-पौधे नहीं काटने चाहिए, अपितु नए पौधे लगाने चाहिए।
बसंत पंचमी पर राशि अनुसार करें उपाय, देवी सरस्वती की मिलेगी कृपा
मेष राशि: बसंत पंचमी पर आप घर में या देवी सरस्वती के मंदिर में “सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥” का 108 बार जाप करें।
वृषभ राशि: वृषभ राशि वाले इस दिन देवी सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। साथ ही, परिवार के सदस्यों की खुशहाली और करियर में तरक्की के लिए प्रार्थना करें।
मिथुन राशि: दूध में केसर मिलाकर देवी सरस्वती को प्रसाद के रूप में भोग लगाएं और कन्याओं को दें।
कर्क राशि: कर्क राशि के छात्र अपनी पढ़ाई के कमरे में उत्तर दिशा में टेबल लगाएं। आप अपनी किताबें स्टडी रूम में हल्के रंग के कॉम्पैक्ट रैक या कैबिनेट में उत्तर या पूर्व दिशा में रखें।
सिंह राशि: माँ सरस्वती की कृपा पाने के लिए बसंत पंचमी पर इनकी पूजा के दौरान “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महा सरस्वत्यै नम:” मंत्र का जाप करें और उन्हें पान या फल चढ़ाएं।
कन्या राशि: इस राशि वाले बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती को मिठाई अर्पित करें और ऐसे में, आप उन्हें 3 बेसन के लड्डू, कुमकुम और इत्र चढ़ाएं।
तुला राशि: बसंत पंचमी के दिन घर में अगरबत्ती जलाएं और गरीबों को दान करें।
वृश्चिक राशि: देवी सरस्वती एवं हनुमान जी की पूजा-अर्चना करें और अनाथालयों में मिठाई का दान करें।
धनु राशि: जीवनसाथी के साथ अपने रिश्ते को मधुर बनाने के लिए बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनें।
मकर राशि: गरीब या जरूरतमंद बच्चों को किताब, पेन, कॉपी, पेंसिल और पढ़ाई की अन्य सामग्री दान में दें।
कुंभ राशि: बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं।
मीन राशि: इस दिन मीन राशि वाले माता सरस्वती को अगरबत्ती, दीपक दिखाएं और प्रसाद का भोग लगाएं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
वर्ष 2025 में बसंत पंचमी 02 फरवरी 2025, रविवार को मनाई जाएगी।
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा का विधान है।
हाँ, बसंत पंचमी की तिथि अबूझ मुहूर्त में आती है।