बैसाखी 2025: बैसाखी बसंत की फसलों का पर्व है जो मुख्यतः पंजाब और भारत के उत्तरी भाग में धूमधाम से मनाया जाता है। सिख कैलेंडर के अनुसार, बैसाखी को नए साल की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है जिसे हिंदू वर्ष के दूसरे माह वैशाख के प्रथम दिन मनाया जाता है। वहीं, ग्रेगोरियन कैलेंडर में बैसाखी का पर्व सामान्य रूप से हर साल 13 या 14 अप्रैल के दिन पड़ता है और इस वर्ष यह 14 अप्रैल, सोमवार को पड़ेगा। बैसाखी पर मेष संक्रांति को भी मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य महाराज मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करते हैं। मान्यता है कि इस अवसर पर अपनी राशि के अनुसार उपाय करने से आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। तो आइए बिना देर किए शुरुआत करते हैं एस्ट्रोसेज एआई के इस ख़ास लेख “बैसाखी 2025” की और जानते हैं इस पर्व से जुड़ीं सारी महत्वपूर्ण बातें।

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जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि सिख समुदाय के लोग बैसाखी को नए साल के तौर पर मनाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और भजन-कीर्तन जैसे धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी बैसाखी का त्योहार महत्वपूर्ण माना गया है। बैसाखी को दिल्ली समेत पंजाब, हरियाणा में बेहद उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। जहाँ पंजाब, हरियाणा के लिए बैसाखी फसलों का पर्व है, तो वहीं इसे बिहार में सतुआन के नाम से जाना जाता है और इस दिन सत्तू खाने की परंपरा है।
बैसाखी 2025: तिथि और पूजा मुहूर्त
सिखों के नए वर्ष के प्रतीक बैसाखी का पर्व हर साल हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत के प्रथम माह में आता है। हालांकि, पूरे देश में यह उत्साह से मनाया जाता है, लेकिन इसकी अलग ही रौनक पंजाब में दिखाई देती है। बता दें कि सन् 1699 में बैसाखी पर ही सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह ने पवित्र खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस वर्ष बैसाखी 14 अप्रैल 2025, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त पर।
बैसाखी 2025 की तिथि: 14 अप्रैल 2025, सोमवार
बैसाखी संक्रांति का क्षण: सुबह 03 बजकर 30 मिनट
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इस शुभ योग में मनाया जाएगा बैसाखी का त्योहार
सिख धर्म के लिए बैसाखी को बेहद महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है क्योकि यह उन तीन त्योहारों में से एक है जिसको सिखों के तीसरे गुरु, ‘गुरु अमर दास’ जी ने मनाया था। हालांकि, मेष संक्रांति और बैसाखी एक दिन मनाए जाने के कारण इस दिन साधारण उपाय भी करना फलदायी साबित होता है, लेकिन जब बैसाखी पर कोई शुभ योग बनता है तो इसका महत्व बढ़ जाता है। इसी क्रम में, बैसाखी 2025 पर बुध और शुक्र की मीन राशि में युति होने से लक्ष्मी नारायण योग बनने जा रहा है इसलिए इस दिन आप धन की देवी लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ सरल उपाय कर सकते हैं।
बैसाखी का अर्थ और महत्व
बैसाखी 2025 के इस खूबसूरत पर्व को फसलों का त्योहार कहा जाता है जिसे सिखों के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी बिना भेदभाव के मनाते हैं। इस पर्व को नए साल के रूप में मनाने के पीछे वजह यह है कि 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन खालसा की स्थापना की थी और इसके साथ ही, उन्होंने सभी जातियों के बीच व्याप्त भेदभाव को समाप्त करते हुए हर इंसान को समान घोषित कर दिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बैसाखी पर सूर्य देव राशि चक्र की पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं।
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इस दिन भगवान सूर्य और लक्ष्मीनारायण की पूजा करना शुभ सिद्ध होता है। ऐसा करने से आपको जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बैसाखी का संबंध फसलों से माना गया है क्योंकि रबी की फसल वैशाख माह आते-आते पक जाती हैं और उनकी कटाई शुरू हो जाती है। इस प्रकार, बैसाखी पर फसलों की कटाई करके घर लेकर आने की खुशी में सब भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और अनाज की पूजा करते हैं। इसके बाद, शाम के समय खुशियां मनाते हैं और भांगड़ा करते हैं
कैसे मनाई जाती है बैसाखी?
- बैसाखी का इंतज़ार बेसब्री से सिख समुदाय के लोगों को रहता है और इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र स्थान को दूध से शुद्ध किया जाता है।
- इसके पश्चात, पवित्र किताब को ताज के साथ उसके स्थान पर रख दिया जाता है और इस दौरान हाथों की साफ-सफ़ाई का ख़ासतौर पर ध्यान रखा जाता है।
- पवित्र किताब को ताज के साथ रखने के बाद इसका पाठ किया जाता है और सभी अनुयायी गुरु के प्रवचन को ध्यानपूर्वक सुनते हैं।
- बैसाखी के अवसर पर भक्तों के लिए अमृत भी तैयार करने का रिवाज है और बाद में इसको सभी को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
- परंपराओं के अनुसार, एक पंक्ति में लगकर अनुयायी अमृत को 5 बार ग्रहण करते हैं या फिर इसे अरदास के बाद गुरु को प्रसाद का भोग लगाकर सभी अनुयायियों में बांट दिया जाता है।
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बैसाखी पर ज़रूर करें इन चीज़ों का दान
- बैसाखी 2025 पर दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन खरबूजा, तरबूज, घड़ा, पंखा, शरबत, पानी आदि चीजों का दान करना शुभ रहता है।
- आप अपनी इच्छा के अनुसार चीनी, गुड़, कच्चे आम और आम पन्ना आदि का भी दान कर सकते हैं।
- बैसाखी के दिन सत्तू का दान भी पुण्यकारी होता है, वहीं इस पर्व पर जौ दान को स्वर्ण दान के समान माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि इन चीज़ों का दान करने से जातक को रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मेष संक्रांति होने की वजह से इस दिन पूजा, जप, तप, दान और स्नान-ध्यान करने का विधान है। आप मेष संक्रांति पर मसूर की दाल, गेंहू, गुड़, चावल और लाल रंग से जुड़ीं चीज़ों का दान कर सकते हैं।
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बैसाखी 2025 पर राशि अनुसार जरूर करें ये ज्योतिषीय उपाय
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए बैसाखी पर सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करना शुभ रहेगा।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातक इस दिन तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपको देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा।
मिथुन राशि
बैसाखी पर मिथुन राशि वालों के लिए भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल चढ़ाना उत्तम रहेगा।
कर्क राशि
कर्क राशि के लोगों को बैसाखी के दिन शिवलिंग का दूध से अभिषेक करना चाहिए।
सिंह राशि
सिंह राशि वाले इस दिन देवी दुर्गा को लाल फूल चढ़ाएं और उनके सामने दीपक जलाकर अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें।
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कन्या राशि
कन्या राशि वालों को बैसाखी के दिन भगवान बुद्ध को जल अर्पित करना चाहिए। इस उपाय से करियर में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए इस दिन भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाना लाभकारी रहेगा।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वाले बैसाखी के शुभ अवसर पर उत्तम सेहत और बुरी शक्तियों से सुरक्षा के लिए हनुमान जी को सफेद वस्त्र अर्पित करें।
धनु राशि
बैसाखी पर धनु राशि के लोग भगवान कृष्ण को पीले रंग के फूल चढ़ाएं।
मकर राशि
मकर राशि वालों को बैसाखी के अवसर पर भगवान शनि को काले तिल अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से करियर में स्थिरता आती है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातक जीवन में सुख-सौभाग्य के लिए इस दिन समुद्र के देवता वरुण देव को जल अर्पित करें।
मीन राशि
बैसाखी के पर्व पर मीन राशि के लोग भगवान विष्णु को पीले फूल चढ़ाएं और उनके सामने दीपक जलाकर जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्ति की प्रार्थना करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस वर्ष बैसाखी का पर्व 14 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा।
मेष संक्रांति 14 अप्रैल 2025 के दिन ही मनाई जाएगी।
बैसाखी 2025 के दिन सूर्य देव और लक्ष्मीनारायण की पूजा करना शुभ होता है।