हिंदू धर्म में अनेक व्रत एवं त्योहार हैं जिनमें से एकादशी के व्रत को सर्वोत्तम माना जाता है। पुराणों के अनुसार एकादशी का व्रत करने से सहस्त्र गायों का दान करने जितना पुण्य मिलता है। सभी एकादशियों में से मोहिनी एकादशी को भी विशेष महत्व दिया गया है। भगवान विष्णु की उपासना करने एवं अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु मोहिनी एकादशी फलदायी मानी गई है।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
कब पड़ रही है मोहिनी एकादशी
वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी पड़ती है। इस बार 19 मई, 2024 को रविवार के दिन मोहिनी एकादशी पड़ रही है। मोहिनी एकादशी पारण मुहूर्त 20 मई को सुबह 05 बजकर 27 मिनट से शुरू होगा और 08 बजकर 11 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी।
18 मई, 2024 को सुबह 11 बजकर 24 मिनट से एकादशी तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 19 मई, 2024 को 01 बजकर 52 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में इस एकादशी को पवित्र और फलदायी माना गया है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत एवं पूजन करता है, उसके जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति मोह-माया से निकल कर मोक्ष पाने की ओर अग्रसर होता है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
बन रहा है शुभ योग
मोहिनी एकादशी पर सिद्धि योग बन रहा है और 19 मई, 2024 को सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर इस योग की शुरुआत होगी और यह 20 मई, 2024 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।
कुल 27 योगों में से एक सिद्धि योग भी है। इसे सिद्ध योग के नाम से भी जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में सिद्ध योग को बहुत ही शुभ और शक्तिशाली योग बताया गया है। यह कोई दुर्लभ योग नहीं है बल्कि अत्यंत मंगलकारी है। इस योग में किए गए कार्य निश्चित ही सफल होते हैं।
मोहिनी एकादशी की पूजन विधि
जानिए कि मोहिनी एकादशी पर पूजन एवं व्रत करने की विधि क्या है:
- एकादशी तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में उठें और इसके बाद स्नान कर के साफ धुले हुए वस्त्र धारण कर लें।
- इसके बाद कलश स्थापना कर के भगवान विष्णु की उपासना करें। मोहिनी एकादशी पर व्रत कथा का पाठ करें या किसी अन्य व्यक्ति से इस कथा को सुनें। रात्रि को भगवान विष्णु का स्मरण करें एवं उनके नाम या मंत्र का जाप करें।
- आप इस रात्रि को कीर्तन भी कर सकते हैं। अगले दिन द्वादश तिथि पर अपने व्रत का पारण करें। व्रत का पारण करने से पहले किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन करवाएं और उन्हें दक्षिणा दें। इसके बाद ही आप स्वयं भोजन करें।
पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट
भगवान विष्णु ने लिया था मोहिनी अवतार
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था। उस समय अमृत पान करने को लेकर देवताओं और असुरों के बीच आपाधापी शुरू हो गई। देवताओं और असुरों के बीच इस तनातनी को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और असुरों को अपने मोह जाल में फंसाकर पहले देवताओं को अमृत पिला दिया। उस दौरान राहु नाम के एक राक्षस ने देवता का रूप धारण कर अृमत का पान कर लिया। इससे क्रोध में आकर मोहिनी अवतार लिए विष्णु जी ने उस असुर का अपने सुदर्शन चक्र से सिर काट दिया। तभी से, इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
मोहिनी एकादशी का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर और संत वशिष्ठ ने भगवान राम को मोहिनी एकादशी के महत्व के बारे में बताया था। यदि कोई व्यक्ति पूरे मन और श्रद्धा के साथ मोहिनी एकादशी का व्रत रखता है, तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
अनेक तीर्थस्थानों की यात्रा करने, यज्ञ करने और हजार गायों का दान करने से जितना पुण्य मिल सकता है, उतना सिर्फ मोहिनी एकादशी पर व्रत रखने से मिल जाता है।
इसके अलावा मोहिनी एकादशी को लेकर यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से श्रद्धालु को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
मोहिनी एकादशी से जुड़ी अन्य पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार सरस्वती नदी के किनारे एक भद्रावती नाम का स्थान था। इस जगह पर चंद्रवंशी राजा धृतिमान का शासन हुआ करता था। वे बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के थे और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते थे।
उनके पांच पुत्र थे लेकिन उनका पांचवा पुत्र धृष्टबुद्धि पापी था। वह स्त्रियों पर अत्याचार करता था और उनके साथ अनैतिक व्यवहार करता था। उसे जुआ खेलने एवं मांस-मदिरा का सेवन करने का भी शौक था। अपने पुत्र की इस प्रवृत्ति से राजा बहुत परेशान थे इसलिए राजा ने अपने पुत्र का त्याग कर दिया। पिता के त्याग करने के बाद धृष्टबुद्धि ने कुछ दिनों तक अपने आभूषण और वस्त्र बेचकर अपना जीवनयापन किया लेकिन इसके बाद उसके पास भोजन के लिए पैसे नहीं बचे और वो भूखा-प्यासा इधर-उधर भटकने लगा।
अपनी क्षुधा को शांत करने के लिए उसने डकैती का सहारा लेना शुरू किया और उसे रोकने के लिए राजा ने उसे बंदी बना लिया। इसके पश्चात् उसे राज्य से निष्किासित कर दिया गया। अब वह जंगल में रहकर अपने भोजन के लिए पशु-पक्षियों को मारने लगा। भूख से व्याकुल होकर वह ऋषि कौंडिन्य के आश्रम में पहुंचा। उस समय वैशाख का महीना चल रहा था और ऋषि गंगा नदी में स्नान कर रहे थे। उस समय ऋषि कौंडिन्य के कपड़े गीले थे और उनके वस्त्रों से कुछ बूंदें धृष्टबुद्धि के ऊपर गिर गईं। इससे धृष्टबुद्धि की पाप बुद्धि में परिवर्तन आया। उसने ऋषि के आगे अपने अपराधों को स्वीकार किया और अपने पाप कर्मों से मुक्ति पाने का मार्ग पूछा।
इस पर ऋषि कौंडिन्य ने धृष्टबुद्धि को वैशाख माह में शुक्ल पक्ष के दौरान एकादशी का व्रत करने को कहा। उनका कहना था कि इस व्रत को करने से उसके सभी पाप मिट जाएंगे। धृष्टबुद्धि ने ऐसा ही किया और उसके सभी पाप मिट गए एवं उसे विष्णु लोक की प्राप्ति हुई। मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत करने से भी व्यक्ति को भौतिकवाद से छुटकारा मिल जाता है।
आपकी कुंडली में भी है राजयोग? जानिए अपनी राजयोग रिपोर्ट
मोहिनी एकादशी के व्रत के नियम
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद धुले हुए वस्त्र पहनें। दशमी तिथि की शाम से ही मोहिनी एकादशी व्रत की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।
- एकादशी तिथि पर सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इस दिन सूर्यास्त से पूर्व ही भोजन करना उचित माना गया है। एकादशी तिथि के समाप्त होने तक व्रत रखना होता है। इस व्रत को करने के दौरान किसी भी तरह का बुरा या नकारात्मक विचार अपने मन में आने न दें। इसके अलावा आप इस दिन झूठ बोलने से भी बचें।
- जो भी व्यक्ति मोहिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसे एकादशी की रात्रि को सोना नहीं चहिए। पूरी रात भगवान विष्णु की उपासना करें और उनके मंत्र का जाप करें।
- इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी बहुत शुभ माना गया है।
- इस शुभ दिन पर ब्राह्मण एंव गरीब लोगों को वस्त्र, भोजन और दक्षिणा का दान देना चाहिए।
- एकादशी पर चावल और जौ न खाएं। ऐसा करने से मनुष्य के अच्छे कर्म नष्ट हो जाते हैं।
- इस दिन बाहर का खाना खाने से भी बचना चाहिए। भोजन में लहसुन और प्याज़ का उपयोग भी न करें।
- मोहिनी एकादशी पर क्रोध करने से बचें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
मोहिनी एकादशी के लिए ज्योतिषीय उपाय
- अगर आप आर्थिक तंगी से ग्रस्त हैं और बहुत प्रयास करने के बाद भी आपके जीवन से धन की कमी दूर नहीं हो रही है, तो आप मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को गाय के दूध से तैयार खीर का भोग लगाएं। इसके साथ ही मां लक्ष्मी को लाल रंग के वस्त्र भी अर्पित करें। इस उपाय को करने से आपकी पैसों की तंगी की समस्या अवश्य दूर हो जाएगी।
- मोहिनी एकादशी पर राहगीरों को जल पिलाएं एवं पशु-पक्षियों के लिए भी जल की व्यवस्था करें। मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए गरीबों को अन्न, जूते-चप्पल या छाता आदि दान करें।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. यदि कोई व्यक्ति पूरे मन और श्रद्धा के साथ मोहिनी एकादशी का व्रत रखता है, तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
उत्तर 2. पीले रंग के वस्त्र, फल,अनाज आदि का दान करना चाहिए।
उत्तर 3. मोहिनी एकादशी व्रत के दिन रात को जागरण करते हुए जगत पालनहार की उपासना करनी चाहिए।
उत्तर 4. हां यह एकादशी हर साल आती है।