अजा एकादशी 2025: अजा एकादशी सनातन धर्म में अत्यंत पावन और फलदायी मानी जाती है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है और भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित होती है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत और उपवास रखने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अजा का अर्थ होता है- जिसका कभी जन्म न हो, अर्थात् यह एकादशी हमें आध्यात्मिक जन्म और शुद्धि का अवसर देती है। इस व्रत का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि कहा जाता है कि सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र को इस व्रत के प्रभाव से ही अपने खोए हुए राज्य, पत्नी और पुत्र की पुन: प्राप्ति हुई थी। अत: यह व्रत कठिन जीवन परिस्थितियों से मुक्ति और आत्मबल की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। जो भी श्रद्धालु इस दिन नियम, संयम और भक्ति के साथ उपवास करते हैं, उन्हें भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
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एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम अजा एकादशी 2025 व्रत के बारे में सब कुछ जानेंगे, साथ ही इसके महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए बिना किसी देरी के अपने ब्लॉग की शुरुआत करते हैं।
अजा एकादशी 2025: तिथि और समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अगस्त की शाम 05 बजकर 24 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 19 अगस्त की दोपहर 03 बजकर 34 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त को किया जाएगा।
अजा एकादशी पारण मुहूर्त : 20 अगस्त की सुबह 05 बजकर 52 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक।
अवधि : 2 घंटे 36 मिनट
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अजा एकादशी का महत्व
अजा एकादशी सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र और पुण्यदायिनी तिथि मानी जाती है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। इस दिन व्रत और उपवास रखने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने पिछले पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है, और इस दिन भक्तजन विशेष रूप से भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं। यह एकादशी कष्टों के निवारण, पापों के प्रायश्चित और सद्गति की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है, जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक इस व्रत को करता है, उसे स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत के साथ-साथ दान, जप और भगवान विष्णु का स्मरण करना विशेष फलदायी माना जाता है।
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अजा एकादशी 2025 की पूजा विधि
- अजा एकादशी का व्रत करने के लिए दशमी के दिन सादा और सात्विक भोजन करें। रात को जल्दी सो जाएं और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- घर के पूजा स्थान को साफ कर वहां भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- इसके बाद दीपक जलाएं और भगवान विष्णु को चंदन, फूल, तुलसी, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। इस दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें या विष्णु सहस्रनाम पढ़ें।
- इस दिन पूजा के दौरान श्री विष्णु जी की कथा व अजा एकादशी व्रत कथा को श्रद्धा से सुनें या पढ़ें।
- व्रतधारी दिनभर उपवास करें। इस दिन केवल फलाहार या पानी पी सकते हैं।
- दिन में भगवान का नाम जपें, भजन करें और धार्मिक पुस्तकें पढ़ें।
- इस दिन रात को भगवान विष्णु की आरती करें और भजन कीर्तन करें।
- रात में एक बार कुछ फल या दूध ले सकते हैं।
- द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद और मध्याह्न से पहले व्रत खोलें। पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें। फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें।
अजा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हरिश्चंद्र नामक एक राजा थे। वे सत्यवादी, धर्मनिष्ठा और प्रजावत्सल थे। एक बार उन्होंने अपने राज्य स्त्री और पुत्र व अन्य सभी कुछ त्याग दिया और एक चांडाल के यहां श्मशान में काम करने लगे। उन्हें यह कष्ठ एक ऋषि के श्राप के कारण मिला था। राजा हरिश्चंद्र अत्यंत दुखी थे, पर उन्होंने सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा। वे श्मशान में कार्य करते हुए अपना जीवन यापन कर रहे थे और अपने पुत्र को भी खो चुके थे। वह प्रतिदिन सोचते थे कि उन्हें इस कष्ट से कब मुक्ति मिलेगी। एक दिन महर्षि गौतम वहां आए। उन्होंने राजा हरिश्चंद्र की दयनीय स्थिति देखी और उन्हें अजा एकादशी व्रत करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा – हे राजन यदि आप भाद्रपद कृष्ण एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करते हैं,तो आपके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे और आप अपने पूर्व जीवन की अवस्था में लौट आएंगे। राजा ने महर्षि के कहे अनुसार श्रद्धा से अजा एकादशी का व्रत किया। व्रत पूर्ण होते ही उनके समस्त पाप समाप्त हो गए। उनकी पत्नी और पुत्र पुन: प्राप्त हो गए और स्वर्ग से देवदूत रथ लेकर आए तथा उन्हें स्वर्ग ले गए।
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अजा एकादशी पर क्या करें और क्या न करें
क्या करें
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी या जल से स्नान करें।
- पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें तुलसी, पीले फूल, पंचामृत, धूप-दीप अर्पित करें।
- इस दिन भगवत गीता का पाठ जरूर करें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, पैसे या ज़रूरत की चीज़ों का दान करें।
- पवित्रता का पालन करें और मन को शांत रखें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
क्या न करें
- एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित होता है। यह नियम भगवान विष्णु की पूजा से जुड़ा है।
- व्रतधारी दिन में न सोए और मन में गलत भाव न लाएं।
- झूठ, क्रोध, निंदा, अपशब्द से बचें और पूरी तरह सात्विक आचरण करें।
- मांसाहार, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि न खाएं क्योंकि तामसिक भोजन एकादशी के दिन वर्जित होता है।
- शुभ कार्य जैसे-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि न करें क्योंकि चातुर्मास की शुरुआत होने से ये सभी कार्य वर्जित हो जाते हैं।
- एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, बल्कि पहले से तोड़े हुए पत्ते ही भगवान को चढ़ाए।
अजा एकादशी के दिन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए जरूर करें ये आसान उपाय
धन प्राप्ति के लिए
अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष पीले पुष्प, तुलसी पत्र और केसर मिश्रित खीर अर्पित करें। इसके बाद ॐ श्रीं नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। यह उपाय आर्थिक स्थिति को सुधारता है और धन की वृद्धि करता है।
पारिवारिक कलह शांति के लिए
एकादशी की सुबह स्नान करके गाय के घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु के समक्ष ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 21 बार उच्चारण करें। दीपक में लौंग डालें और घर के प्रत्येक कोनों में घुमा लें। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
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संतान सुख व संतोष के लिए
इस दिन भगवान विष्णु को सफेद मिठाई का भोग लगाएं। फिर दंपत्ति साथ में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। यह उपाय संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए शुभ होता है।
मन की शांति व मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए
एकादशी व्रत के दौरान सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। शांत स्थान पर बैठकर “ॐ नमो नारायणाय का जाप 108 बार करें। इससे मन स्थिर रहता है और मानसिक शांति मिलती है।
बुरी नज़र या बाधा से बचाव के लिए
अजा एकादशी की रात को मुख्य द्वार पर हल्दी और कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। द्वार पर घी का दीपक जलाएं और नींबू पर सात बार ऊंट के बाल घुमा कर बाहर फेंक दें। यह घर को नजर दोष और शत्रु बाधा से बचाता है।
बेहतर स्वास्थ्य के लिए
सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना जरूर करें। साथ ही भगवान विष्णु को उनके प्रिय चीज़ों का भोग अवश्य लगाएं।
सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए
अजा एकादशी के दिन तुलसी पौधे की पूजा-अर्चना करना उत्तम फलदायी माना जाता है। आपको बता दें तुलसी पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए इस उपाय को करने से व्यक्ति का वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है। साथ ही, रिश्ते भी मजबूत होते हैं।
मनचाही नौकरी पाने के लिए
अजा एकादशी के दिन पूजा के दौरान एक सिक्के पर रोली, अक्षत और फूल चढ़ाएं। इसके बाद उसे लाल कपड़े में बांधकर घर या ऑफिस में रख दें। ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में तरक्की के योग बनने लग जाते हैं और मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
सभी कार्यों में सफलता के लिए
हिंदू धर्म में सभी कार्यों में सफलता प्राप्ति के लिए अन्न और वस्त्र का दान करना शुभ साबित होगा। साथ ही, व्यक्ति को उत्तम परिणाम भी प्राप्त होते हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त को किया जाएगा।
इस दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा होती है।
आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए भगवान विष्णु के समक्ष पीले पुष्प, तुलसी पत्र और केसर मिश्रित खीर अर्पित करें।