एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं। इस ब्लॉग में हम आपको स्वतंत्रता दिवस 2025 और जीवन पर इसके ज्योतिषीय प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं।

हर साल 15 अगस्त को पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। साल 1947 में भारत को ब्रिटिशों की गुलामी से आज़ादी मिली थी और उसी का जश्न मनाने के लिए हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस बार भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है और पूरे देश में परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और ध्वजारोहण समारोह आयोजित किए जाते हैं।
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स्वतंत्रता दिवस 2025 की मुख्य बातें और पंचांग की जानकारी
- तिथि: 15 अगस्त, 2025
- महत्व: ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का जश्न।
- इस दिन परेड, सांस्कृतिक त्योहार, ध्वजारोहण र्कायक्रम और देशभक्ति के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- राष्ट्रीय अवकाश: देशभर में इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है।
- 79वीं वर्षगांठ: 15 अगस्त, 2025 को भारत का 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा।
- तिथि: रात्रि के 11 बजकर 49 मिनट तक सप्तमी है और उसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी।
- नक्षत्र: सुबह 07 बजकर 36 मिनट तक अश्विनी नक्षत्र है और उसके बाद भरणी नक्षत्र लग जाएगा।
- योग: पंचांग के अनुसार सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक गंड योग है और फिर वृद्धि योग लग जाएगा।
- दिन: शुक्रवार
भारत दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण लोकतंत्रों में से एक है और वर्तमान में भारत बढ़ती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग बन चुका है। चूंकि, भारत की ज्यादातर आबादी युवा है इसलिए इसे कभी-कभी ‘युवाओं का देश’ भी कहा जाता है। 15 अगस्त या स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर युवाओं के अंदर देशभक्ति और भी ज्यादा बढ़ जाती है जिससे उन्हें अपने राष्ट्र के इतिहास को समझने, उसकी सभ्यता और संस्कृति को अपनाने एवं उसके समर्थन में कोई कदम उठाने का साहस मिलता है।
अब हम ज्योतिष और राशिफल की सहायता से 79वे स्वतंत्रता दिवस पर भारत के भविष्य के बारे में जानने का प्रयास करेंगे। क्या आने वाले समय में भारत विश्व गुरु बन पाएगा (जैसे कि कई ज्ञानी और अनुभवी ऋषियों ने भविष्यवाणी की है), क्या भारत का बड़े स्तर पर आर्थिक विकास हो पाएगा, इंफ्रास्ट्रक्चर और अर्थव्यवस्था का विकास होगा या भारत को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा? इन सभी सवालों का जवाब आगे इस ब्लॉग में दिया गया है।
इससे आपको यह अंदाज़ा हो जाएगा कि 15 अगस्त, 2025 के बाद से आने वाले वर्षों में भारत में किस तरह की परिस्थितियां बनेंगी और हमारा देश किस दिशा में जाएगा। 79 साल पहले इसी दिन 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को भारत ने आज़ादी की सांस ली थी। लगभग एक शताब्दी तक ब्रिटिशों की गुलामी सहने के बाद भारत आज़ाद हो पाया था। अब हमारे पास अपनी चुनी हुई सरकार और एक ऐसा झंडा है जो भारत की विविधता में एकता को दर्शाता है।
हमें इस सम्मान और भारत पर गर्व है। स्वतंत्रता दिवस का अवसर एकजुटता और ईमानदारी का एक सूत्र है जो हमारे देश को एक साथ बांधकर रखता है। आज प्रत्येग नागरिक 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है और तिरंगा झंडा लहराता है। यह हमें इस बात की याद दिलाता है कि जब हम तैयार हों, तो जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। इसके अलावा हमें एक विशेष उद्देश्य की ओर निरंतर काम और प्रयास करते रहना होगा।

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स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्राचीन और नवीन युग का तुलनात्मक अध्ययन
तकनीक और नए विचारों में उन्नति
प्राचीन भारत: उस समय कृषि और शारीरिक श्रम पर निर्भरता थी। तकनीक तक पहुंच कम थी, लैंडलाइन एक लग्ज़री हुआ करता था और इंटरनेट सुविधा तो बहुत ही कम थी।
नए युग का भारत: अब भारत विश्व स्तर पर आईटी केंद्र बन चुका है। यहां पर कई स्टार्टअप, एआई इनोवेशन, फिनटेक, डिजीटल इकोनॉमी शुरू हुई है। स्मार्टफोन और इंटरनेट देश के कोने-कोने तक पहुंच चुके हैं।
स्वतंत्रता दिवस 2025 पर शिक्षा व्यवस्था और नागरिकों की सोच में बदलाव
प्राचीन भारत: पढ़ाई में रटने पर ध्यान दिया जाता था, करियर जैसे कि डॉक्टर, इंजीनियर या सरकारी नौकरी ही करनी होती है। शिक्षा एक विशेषाधिकार हुआ करता था।
नए युग का भारत: अब कोई कौशल सीखने पर ज़ोर दिया जाता है, कई तरह की कला, एड-टेक और रचनात्मक सोच रखने को बढ़ावा दिया जाता है। अब छात्र गेमिंग, ज्योतिष, साइकोलॉजी और व्यवसायी बनने जैसे अलग करियर विकल्प भी चुन रहे हैं।
स्वतंत्रता दिवस 2025 अर्थव्यवस्था और रोज़गार
प्राचीन भारत: कृषि आधारित, सीमित जॉब सेक्टर, लघु उद्योगों पर निर्भरता।
नए युग का भारत: सेवाएं, आईटी, स्टार्टअप, ग्लोबल आउटसोर्सिंग, गिग इकोनॉमी और रिमोर्ट वर्क का चलन बढ़ा है। अब बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा काम करने लगे हैं।
राजनीति और शासन
प्राचीन भारत: स्वतंत्रता संग्राम, आजादी के बाद देश बनाने और केंद्रीकृत शासन पर ध्यान था।
नए युग का भारत: डिजीटल शासन जैसे कि आधार, यूपीआई, युवाओं की भागीदारी और सोशल मीडिया पर राजनेताओं की बहस में वृद्धि हुई है।
संस्कृति और पहचान
प्राचीन भारत: रीति-रिवाज़, परंपराएं और अध्यात्म जीवन में गहराई से निहित थे। उस समय भारत पर क्षेत्रवाद हावी था।
नए युग का भारत: परंपरा और आधुनिकता का संगम जिसमें अध्यात्म (जैसे कि योग, ज्योतिष और आयुर्वेद) भी शामिल है। वहीं वैश्विक सांस्कृतिक प्रभाव (संगीत, फैशन और जीवनशैली) भी देखा जा रहा है।
स्वतंत्रता दिवस 2025 पर महिलाएं और सशक्तिकरण
प्राचीन भारत: उस समय भारत में महिलाओं और पुरुषों की भूमिकाएं तय की गई थीं, सीमित अधिकार थे और महिलाओं के लिए अवसर बहुत कम थे।
नए युग का भारत: अब महिलाएं सीईओ, राजनेता, सिपाही और इंफ्लूएंसर हैं। घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर सुरक्षा को लेकर नए कानून बनाए गए हैं और एक समानाधिकार को मज़बूती मिली है।
इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरी जीवन
प्राचीन भारत: बुनियादी सड़कें, सीमित पब्लिक ट्रांसपोर्ट और खराब कनेक्टिविटी।
नए युग का भारत: स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ मेट्रो सिटीज़, एक्सप्रेसवे, बुलेट ट्रेन और तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ते हुए महानगर। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में अभी भी तेजी लाने की जरूरत है।
स्वतंत्रता दिवस 2025: ज्योतिषीय महत्व
- स्वतंत्र भारत की कुंडली में वृषभ लग्न उदित हो रहा है और लग्न भाव का स्वामी शुक्र तीसरे भाव में बैठा है।
- लग्न में राहु की स्थिति एक मज़बूत अवस्थिति का संकेत कर रही है। लेकिन अक्सर यह दर्शाता है कि हम कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं।
- वृषभ स्थिर राशि है। वृषभ लग्न के जातक दूसरों के लिए मुश्किलें खड़ी करने के बजाय अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए जाने जाते हैं।
- जो भी इन्हें परेशान या प्रताड़ित करता है, तो उसे ये अनुशासित करते हैं। इस समय हमारे देश में भी कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनी हुई हैं। हालांकि, भारत पहले खुद किसी देश पर हमला नहीं करता है लेकिन जो भी देश के अंदर परेशानी पैदा करने की कोशिश करता है, उसे सही सबक सिखाया जाएगा।
- लग्न में स्थिर राशि का उदय होना देश की अखंडता और एकता पर ज़ोर देता है। यह इसके अस्तित्व को निरंतर समर्थन करता है।
- कुंडली का दूसरा भाव बैंक और वित्तीय संस्थानों के बारे में बताता है। दूसरे घर में ग्रहों का सेनापति मंगल बैठा है, जो कि सातवें और द्वादश भाव का स्वामी है। यह विदेशी निवेश का समर्थन करता है और लोगों एवं वित्तीय संगठनों की सहायता करता है। इसके अलावा मंगल की वजह से हमारे सबसे लोकप्रिय राजनेता गौरवान्वित बयान देते हुए नज़र आते हैं।
- कुंडली का तीसरा भाव मित्र राष्ट्रों और सहयोगियों के बारे में बताता है। सूर्य, बुध, शुक्र और शनि के साथ चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में तीसरे भाव में उपस्थित है। इस तरह तीसरे घर में पंचग्रह योग बन रहा है। इतने सारे ग्रहों के प्रभाव के कारण भारत के कई पड़ोसी देश हैं और कई देशों के साथ भारत की सीमता मिलती है।
- चूंकि, तीसरे घर में अलग-अलग तरह के कई ग्रह हैं, इसलिए पड़ोसी देशों में हमारे कुछ मित्र देश नकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं जबकि कुछ तटस्थ व्यवहार कर सकते हैं।
- कुंडली के छठे भाव में बृहस्पति बैठा है जो कि आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी है।
- सातवें भाव में केतु वृश्चिक राशि में है।
- लग्न कुंडली से तुलना करें, तो नवमांश कुंडली में एकादश भाव मीन राशि में उदित हो रहा है। इससे देश आर्थिक विकास करने के लिए अच्छी स्थिति में है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के साथ-साथ नई ऊंचाईयों को छूने की क्षमता रखता है।
- तीसरे भाव में सूर्य का होना दर्शाता है कि भारत को सम्मान मिलेगा और हमारा देश दुनियाभर में प्रसिद्ध होगा। हालांकि, छठे भाव में चंद्रमा, केतु और राहु के प्रभाव के कारण हम अपने विरोधियों पर हमेशा जीत हासिल करेंगे।
- लग्न कुंडली में मंगल के दूसरे भाव से नवमांश कुंडली में दसवे भाव में जाना यह दर्शाता है कि हम अपने प्रयासों से विश्व को बेहतर बनने की ओर लेकर जा सकते हैं।
- नवमांश कुंडली में शनि और शुक्र ग्यारहवें भाव में हैं। यह दर्शाता है कि भारत किसी भी चुनौती का सामना करने से नहीं डरता है और किसी भी काम को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने को तैयार है। इससे हमारी सेना और अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिल सकती है।
- अब हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि भारत को वर्तमान में बृहस्पति, शनि और राहु के गोचर से लाभ मिल रहा है। यह आने वाले वर्षों में भारत को प्रगति की ओर आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, हमें सावधानी बरतनी चाहिए और अपने कुछ मित्र एवं पड़ोसी देशों के साथ शत्रुता को बढ़ने से रोकना चाहिए। कुछ पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर तनाव बढ़ सकता है लेकिन कुछ देशों के साथ नई मित्रता भी शुरू हो सकती है।
- देश में अधिक व्यावसायिक संस्थान बनेंगे और बैंकों की स्थिति बेहतर हो सकती है।
- चंद्रमा की महादशा और सूर्य की अंतर्दशा का प्रभाव आर्थिक रूप से अस्थिरता ला सकता है और सरकार एवं जनता को परेशान कर सकता है।
- मंगल की महादशा सितंबर 2025 में शुरू होगी और सितंबर 2032 तक आने वाले सात वर्षों तक चलेगी।
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स्वतंत्रता दिवस पर भारत पर मंगल की महादशा का ज्योतिषीय प्रभाव
सितंबर 2025, के आसपास भारत मंगल की महादशा से गुज़रेगा। यह समयावधि लगभग अगले सात वर्षों तक चलेगी और इसकी समाप्ति सितंबर 2032 में होगी। भविष्यवाणी के अनुसार इस समय देश में तेज बदलाव और विकास होगा एवं देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के अवसरों के साथ-साथ चुनौतियों का सामना करेगा।
- मंगल ग्रह का संबंध ऊर्जा, अनुशासन और युद्ध से है। ऐसा माना जाता है कि यह ग्रह सेना पर अधिक खर्च, सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और नई संधियों या गठबंधनों का प्रतिनिधित्व करता है।
- भारत वैश्विक मामलों पर अधिक मुखर रुख अपना सकता है और किसी भी तरह के आक्रमण से खुद की रक्षा करने में सक्षम होगा।
- सीमा पर तनाव और पड़ोसी देशों के साथ मतभेद होने की आशंका है।
- अनुमान है कि रक्षा उद्योग जिसमें स्टार्टअप भी शामिल हैं और इनसे संबंधित शेयर में तेजी से बढ़ोतरी होगी।
- विरोध प्रदर्शन और आंतरिक अस्थिरता बढ़ सकती है। इसके साथ ही समुदायों के बीच तनाव बढ़ने की भी आशंका है। इससे पुलिस बल अत्यधिक कठोर हो सकता है और अधिक आधिकारिक उपाय किए जा सकते हैं।
- आत्मनिर्भर भारत बनने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, अंतरिक्ष और परिवहन के क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट पर तेजी से काम होगा।
- पहचान की चेतना में वृद्धि के साथ एक अधिक सशक्त और प्रभुत्वशाली भारत की आशा की जा सकती है।
- अन्य लोगों के अनुसार मंगल जो कि भारत की कुंडली में दूसरे भाव में संचित धन और परिवार का प्रतिनिधित्व करता है, वह देश के भंडार, संपत्ति और स्नेह एवं सद्भाव पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- कुछ स्रोतों के अनुसार मंगल की महादशा के दौरान भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली वित्तीय राष्ट्रों की सूची में शामिल हो सकता है। इसके बाद आने वाली राहु की महादशा के दौरान भी विकास जारी रहेगा।
- वहीं मंगल की स्थिति के कारण राष्ट्रीय सद्भाव और शांति के मार्ग में व्यवधान देखने पड़ सकते हैं।
- आर्थिक संकट, वित्तीय कठिनाइयों और कृषि संकट चिंता का विषय बन सकते हैं।
- भूमि और रियल एस्टेट इंडस्ट्री में तेजी आएगी जिससे निवेशकों को लाभ हो सकता है।
- कुछ लोगों का मानना है कि इस समयावधि में भूमि, इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि, रक्षा और फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री अच्छा प्रदर्शन करेंगी। मंगल भूमि, रक्षा और रसायनों का प्रतीक है।
- आपसी शत्रुता, आंतरिक हिंसा, सीमा पर विवाद, जंग की बात एवं सैन्य गतिविधियां बढ़ेंगी। ये सभी मंगल की महादशा के नकारात्मक पहलू हैं।
- मंगल की महादशा में भारत को कई बदलाव और कठिनाइयां देखनी पड़ सकती हैं लेकिन इसके साथ ही उन्नति के अवसर भी प्राप्त होंगे। इस उग्र लेकिन परिवर्तनकारी दौर से निपटने के लिए रणनीति बनाने, नेतृत्व करने और आंतरिक एवं बाहरी दोनों स्तर पर चुनौतियों पर फोकस करने की आवश्यकता होगी।
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भारत की ताजिक कुंडली और भविष्यफल
- भारत के लिए इस साल मुंथा सप्तम भाव में रहेगी जिससे अशांति और विदेशी देशों के साथ संघर्ष हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सातवां भाव युद्ध और बाहरी संघर्ष का प्रतीक होता है।
- मुंथा मंगल की राशि वृश्चिक में स्थित है। यह सूर्य का वर्ष है और भारत के लिए मंगल की महादशा शुरू हो रही है जो कि इस साल रियल एस्टेट में तेजी आने के संकेत दे रहा है लेकिन यह आंतरिक और बाहरी मतभेद और अशांति की ओर भी इशारा कर रहा है। इससे भारत के विकास में बड़ी चुनौतियां सामने आ सकती हैं।
- इस दौरान आतंकवाद जैसे विदेशी तत्व खतरा बन सकते हैं।
- देश के अंदर अशांति और बाहरी संघर्ष भारत पर हावी होने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन भारत इनका मुकाबला करने में सक्षम होगा। हालांकि, सरकारी के लिए यह समय मुश्किल हो सकता है क्योंकि उन्हें इस दौर में देश पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाले कई आंतरिक और बाहरी कारकों से निपटना पड़ेगा एवं देश को इन समस्याओं से बचाने के लिए कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत होगी।
- शनि के मजबूत स्थिति में होने से शेयर मार्केट, करेंसी और कॉमर्स जैसे क्षेत्रों को लाभ होगा जिससे बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की एक खास और मजबूत पहचान बनेगी। भारत की लीडरशिप को भी पहचान मिलेगी।
- दसवें भाव में राहु की उपस्थिति से विरोधी देशों को दबाने और जनता की नज़रों में लगातार बने रहने के संकेत हैं। भारत कई क्षेत्रों में विकास करेगा और अपने विरोधियों को कड़ी टक्कर देने में सक्षम होगा।
- तीसरे भाव में शुक्र और बृहस्पति मीडिया एवं सोशल मीडिया, शिक्षा और देश के व्यवसायों में अभूतपूर्व बदलावों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- तीसरे भाव में सूर्य की बुध के साथ स्थिति बताती है कि इस समय कुछ ऐसे देशों का अहंकार सामने आ सकता है जो भारत को अपना दोस्त तो मानते हैं लेकिन मन ही मन उसकी उपलब्धियों से ईर्ष्या रखते हैं। अब उनकी वास्तविकता दुनिया के सामने आ सकती है और इससे भारत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच सकती है।
- तृतीय भाव के स्वामी चंद्रमा के द्वादश भाव में विराजमान होने से भारत कई देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करेगा। ऐसे में भारत के व्यवसाय में वृद्धि होगी और उसे कई महत्वपूर्ण संगठनों में अधिमान्य प्रतिनिधित्व मिल सकता है।
- राजनीति की बात करें, तो इस साल ग्रहों की स्थिति मोदी सरकार के लिए आंतरिक मुश्किलें पैदा कर सकती है। इसके अलावा विपक्ष की ओर से बार-बार चुनौतियां पैदा करने की वजह से सरकार की समस्याएं बढ़ सकती हैं और उनकी जवाबदेही भी बढ़ जाएगी। इसके बावजूद केंद्र सरकार अपने कई पुराने वादों को पूरा करने में सफल हो सकती है।
- इस साल सरकार यूनिवर्सल टैक्स सिस्टम स्थापित करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर फैसला ले सकती है।
- कुछ जगहों पर जीएसटी को घटाया या किसी पक्ष को बदला जा सकता है।
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भारत के मौसम, नागरिकों और अन्य विभिन्न क्षेत्रों में बदलाव
- अगले साल अप्रैल और मई के बीच में प्राकृतिक असंतुलन के कारण फसल में गिरावट और कृषि उद्योग को बड़ा वित्तीय नुकसान होने की आशंका है। इससे देश में खाद्यान्न की कमी का खतरा मंडरा सकता है।
- इस साल संक्रामक बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है।
- कुछ जीवाणुओं या छोटे परजीवियों की वजह से शारीरिक समस्याएं और ज्यादा बदतर बन सकती हैं।
- अगस्त से सितंबर के बीच प्राकृतिक आपदाएं, बारिश और बाढ़ जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम खराब होने की वजह से प्राकृतिक आपदाएं और अन्य समस्याएं आ सकती हैं।
- हिंसक घटनाओं, देश के अंदर सामुदायिक विवाद होने और आग लगने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। इससे निपटने के लिए सरकार की ओर से महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।
हमें भारत के नागरिक होने के नाते देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए। जातिवाद से अपने देश को कमजोर करने के बजाय हमें भारत को एक मजबूत और सशक्त एवं सक्षम देश बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. 79 वर्ष।
उत्तर. 15 अगस्त, 1947
उत्तर. पाकिस्तान।