भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 न सिर्फ एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि हर भक्त के हृदय की सबसे मधुर भावना है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की दिव्य स्मृति को समर्पित होता है, जिनका अवतरण द्वापर युग में अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। इस दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए साधक अष्टमी का व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

सिर्फ इतना ही नहीं इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व कई मायनों में खास रहने वाला है, क्योंकि इस बार दुर्लभ ग्रह योगों और शुभ संयोगों का निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि जब-जब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दुर्लभ नक्षत्रों और योगों में आती है, तब वह विशेष फलदायी और पुण्य दायक मानी जाती है। इस दिन देशभर के मंदिरों में झूलों की सजावट, रासलीला, मटकी फोड़ और रात्रि जागरण का आयोजन होता है। भक्त व्रत रखते हैं, कथा सुनते हैं और मध्यरात्रि के समय श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं।
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अब इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं अपने इस खास ब्लॉग की तरफ और जन्माष्टमी के विषय पर जानकारी हासिल करेंगे। साथ ही, जानेंगे वर्ष 2025 में जन्माष्टमी का पर्व किस दिन मनाया जाएगा, इस दिन कौन से शुभ योग बन रहे हैं, इस दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं। साथ ही जानेंगे कि इस योग से किन जातकों को लाभ होगा।
जन्माष्टमी 2025 शुभ योग और मुहूर्त
जन्माष्टमी तिथि: 16 अगस्त, 2025
निशीथ पूजा मुहूर्त : मध्यरात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक।
अवधि : 0 घंटे 43 मिनट
जन्माष्टमी पारण मुहूर्त : 17 अगस्त की सुबह 05 बजकर 50 मिनट के बाद ।
इस वर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 अगस्त शनिवार के दिन पड़ रही है और इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। बात करें शुभ पूजा मुहूर्त की तो,
ज्योतिष दृष्टि से भी जन्माष्टमी का दिन खास है क्योंकि 16 अगस्त 2025 को वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और ज्वालामुखी योग का महासंयोग बन रहा है।

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जन्माष्टमी 2025 पूजन विधि
- जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन श्रीकृष्ण का नामस्मरण करते रहें- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
- पूजा स्थल को साफ करके गंगा जल से शुद्ध करें।
- एक चौकी पर पीला या सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर लड्डू गोपाल या बाल कृष्ण की मूर्ति या चित्र रखें।
- उन्हें झूले में विराजमान करें, यदि झूला हो अन्यथा सुंदर आसन पर रखें।
- पूजन सामग्री रखें जैसे- गंगाजल पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) तुलसी पत्र माखन-मिश्री पीले फूल, धूप, दीप रोली, चावल, फल, नारियल बांसुरी, मोर पंख, पान-सुपारी।
- दीप प्रज्वलित करें और श्री कृष्ण का ध्यान करें।
- मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं। स्नान के बाद साफ कपड़ा पहनाएं, श्रृंगार करें और बांसुरी-मोर पंख आदि अर्पित करें।
- भगवान को माखन-मिश्री, फल व मिठाई का भोग लगाएं।
- तुलसी पत्र अर्पित करना अनिवार्य है क्योंकि भगवान कृष्ण बिना तुलसी के भोग स्वीकार नहीं करते।
- भोग लगाने के बाद श्रीकृष्ण की आरती करें – “ॐ जय कन्हैया लाल की…”।
- 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी” की कथा जरूर पढ़ें या सुनें।
भगवान श्री कृष्ण का प्रिय भोग
भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाना एक अत्यंत पवित्र और भावपूर्ण प्रक्रिया होती है। कृष्ण भक्तों के अनुसार, श्री कृष्ण को अन्न से ज्यादा प्रेम भाव, सरलता और सच्ची श्रद्धा प्रिय होती है। लेकिन उनकी बाल लीलाओं और जीवन चरित्र के अनुसार कुछ खास भोग हैं, जो उन्हें विशेष प्रिय माने जाते हैं।
माखन-मिश्री: श्रीकृष्ण को मक्खन और मिश्री अत्यंत प्रिय है। बचपन में वे मक्खन चुराते थे इसलिए भक्त उन्हें माखनचोर भी कहते हैं। जन्माष्टमी पर यह भोग जरूर लगाया जाता है।
दूध-दही पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत भगवान को स्नान और भोग दोनों में अर्पित किया जाता है। इसे पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।
मिठाई: श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार की मिठाइयां जैसे-पेड़ा, लड्डू, खीर, रबड़ी, गुड़-चना, बूंदी आदि का भोग लगाया जाता है। इनमें खीर और पेड़े विशेष प्रिय माने जाते हैं।
फल: ताजे मौसमी फल जैसे केला, अंगूर, अनार, सेब इत्यादि का भोग भी अर्पित किया जाता है।
इसके अलावा, चूरमा, धनिया, पंजीरी, लौकी की बर्फी और बेसन के लड्डू भी कई स्थानों पर कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। 56 भोग का आयोजन बड़े स्तर पर मंदिरों में होता है।
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जन्माष्टमी 2025 पर भगवान श्री कृष्ण के मंत्र व उनके लाभ
मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
लाभ: यह श्री कृष्ण का सर्वश्रेष्ठ और सर्वसिद्ध बीज मंत्र है। इस मंत्र के जाप से मन की शुद्धि, आत्मिक शांति और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है। जीवन में धैर्य, विश्वास और समाधान की शक्ति आती है।
मंत्र: कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥
लाभ: संकटों से मुक्ति, मानसिक शांति और क्लेशों का नाश होता है। यह मंत्र सांसारिक दुखों से राहत देता है और भगवान की शरण में ले जाता है।
मंत्र: ॐ श्रीकृष्ण शरणं मम
लाभ: यह मंत्र पूर्ण समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। इसे जपने से ईश्वर के प्रति आस्था मजबूत होती है और जीवन की राह में आत्मबल प्राप्त होता है।
मंत्र: गोपाल गोविंद राम श्री माधव जनार्दन। वेणु माधव गोपाल केशव माधवाय नमः॥
लाभ: यह मंत्र श्री कृष्ण के विभिन्न नामों से युक्त है और हर नाम में विशेष शक्ति निहित है। मंत्र जाप से विचार शुद्ध होते हैं और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मंत्र: हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥
लाभ: यह कलयुग का मुक्तिदायक महामंत्र माना गया है। लगातार जप करने से सभी पापों का नाश, भक्ति में वृद्धि और श्री कृष्ण की अत्यंत कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र चिंता, अवसाद और मोह से छुटकारा दिलाता है।
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जन्माष्टमी 2025: जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अपनाएं ये अचूक उपाय
धन वृद्धि के लिए
जन्माष्टमी की रात श्री कृष्ण को सफेद मिष्ठान्न का भोग लगाएं और भोग के बाद उस प्रसाद को तिजोरी या धन स्थान में रखें। ऐसा करने से घर में लक्ष्मी स्थिर होती है और आय में वृद्धि होती है।
शत्रु से बचाव के लिए
जन्माष्टमी की रात पांच तुलसी के पत्ते, श्री कृष्ण को अर्पित करें और फिर सुखाकर अपने पर्स या जेब में रखें। ऐसा करने से बुरी नजर, शत्रु बाधा और कोर्ट कचहरी जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए
रात 12 बजे श्री कृष्ण के सामने दीपक जलाकर ॐ क्लीं कृष्णाय गोविंदाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। शीघ्र विवाह और योग्य जीवनसाथी का योग बनता है।
जन्माष्टमी 2025 पर संतान सुख के लिए उपाय
माखन-मिश्री और तुलसी पत्र का भोग लगाकर, संतान प्राप्ति की मनोकामना करें। ऐसा करने से निसंतान दंपत्ति को संतान का योग बनता है।
करियर और नौकरी में सफलता के लिए
एक नारियल पर काजल से श्रीकृष्ण लिखें और उसे श्रीकृष्ण के मंदिर में अर्पित करें। ऐसा करने से नौकरी में तरक्की और करियर में स्थिरता आती है।
पारिवारिक शांति के लिए
जन्माष्टमी की रात घर के सभी सदस्यों को श्रीकृष्ण की आरती में शामिल करें और उन्हें तुलसी पत्र युक्त प्रसाद दें। ऐसा करने से घर में प्रेम, एकता और क्लेश का अंत होता है।
बुरी नजर हटाने के लिए
एक नींबू के चार टुकड़े करके, श्री कृष्ण के सामने रखकर प्रार्थना करें और फिर घर के चारों कोनों में रख दें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा और नजर दोष से रक्षा होती है।
जन्माष्टमी 2025 पर तीन राशियों पर होगी श्रीकृष्ण की कृपा
वृषभ राशि
वृषभ राशि को शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण की अत्यंत प्रिय राशि माना गया है। इसका कारण यह है कि वृषभ राशि के स्वामी शुक्र हैं, जो सौंदर्य, प्रेम, सुख और कला के प्रतीक माने जाते हैं और ये सभी गुण भगवान श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व से गहराई से जुड़े हैं। यही कारण है कि जन्माष्टमी जैसे पवित्र पर्व पर वृषभ राशि के जातकों पर श्रीकृष्ण की विशेष कृपा बनी रहती है। जो जातक व्यवसाय से जुड़े हैं, उन्हें लंबे समय से अटका हुआ पैसा या लेनदेन का मामला सुलझता दिखाई देगा, जिससे मानसिक राहत और आर्थिक स्थिरता मिलेगी। वहीं जो लोग नौकरीपेशा है, उनके लिए वेतन में वृद्धि या नई जिम्मेदारियों के साथ तरक्की के योग बन रहे हैं।
श्रीकृष्ण की कृपा से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य की वृद्धि होगी। यदि हाल ही में रिश्तों में थोड़ी खटास आई थी, तो वह भी इस शुभ समय में सुलझ सकती है। घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनेगा।
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कर्क राशि
कर्क राशि के जो जातक अब तक सच्चे प्रेम की तलाश में थे उनके लिए यह अवधि वरदान साबित होगी। कोई विशेष व्यक्ति आपके जीवन में प्रवेश कर सकता है, जिससे आपको न सिर्फ भावनात्मक जुड़ाव मिलेगा, बल्कि जीवनसाथी के रूप में एक स्थायी रिश्ता बनने की भी संभावना है। यह समय सिंगल कर्क राशि वालों के लिए अत्यंत अनुकूल है। जिन लोगों की शादी हो चुकी है और जिनके परिवार में आपसी मनमुटाव या वाद-विवाद चल रहे थे, वहां अब शांति और समझदारी का वातावरण दिखाई देगा। श्री कृष्ण की कृपा से परिवारजनों के बीच प्रेम का संचार होगा और पुराने झगड़े खत्म होंगे।
पूर्व में किए गए निवेश अब फल देने लगेंगे। कोई लंबे समय से रुका हुआ मुनाफा अचानक प्राप्त होगा, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी। धन के साथ आत्मसंतोष भी बढ़ेगा।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों की बात करें तो, यदि आपके परिवार में किसी रिश्तेदार या सगे संबंधी से मतभेद या कोई पुराना झगड़ा चल रहा था, तो इस शुभ काल में वह आपसी समझदारी और प्रेम से सुलझने के पूरे योग बनेंगे। घर के माहौल में शांति, समझ और सामंजस्य देखने को मिलेगा, जिससे मन को शांति और संतोष मिलेगा। जो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं या किसी विशेष करियर लक्ष्य के लिए मेहनत कर रहे हैं, उनके लिए यह समय बहुत उत्साहजनक और उपलब्धियों से भरा होगा।
भगवान श्री कृष्ण की कृपा से मन में स्थिरता और पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ेगी। आर्थिक जीवन की बात करें तो, चाहे आप किसी नौकरी में हों या आपका व्यवसाय हो आपके आर्थिक पक्ष में थोड़ा-थोड़ा सुधार होना शुरू हो जाएगा। जो जातक लंबे समय से आर्थिक दबाव में थे, उन्हें कुछ राहत भरे समाचार मिल सकते हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025 शनिवार को मनाई जाएगी।
श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में, भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि, रात के 12 बजे, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
यदि स्वास्थ्य ठीक न हो या उम्र के अनुसार उपवास कठिन हो, तो फलाहार या केवल जल-फल लेकर भी पूजा की जा सकती है।