श्रावण माह के समापन और भाद्रपद मास की शुरुआत के साथ ही आता है कजरी तीज का पावन पर्व, जिसे उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश में बड़े श्रद्धाभाव से मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जो मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए समर्पित होता है।
कजरी तीज को हरियाली तीज के बाद मनाया जाता है और इसे कजली तीज भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, सौभाग्य की रक्षा, और दाम्पत्य जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को माता पार्वती तथा भगवान शिव की विशेष पूजा करती है।

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साथ ही, कजरी गीतों के माध्यम से लोक संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है, जिसमें महिलाएं समूह में झूला झूलती है, गीत गाती हैं और मंगल कामनाएं करती हैं। इस व्रत का विशेष महत्व यह भी है कि यह भक्ति, प्रेम और परंपरा का सुंदर संगम है, जहां नारी शक्ति अपनी श्रद्धा से जीवन में सौंदर्य, संतुलन और शक्ति को आमंत्रित करती है।
तो चलिए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में जानेंगे कि वर्ष 2025 में कजरी तीज का पर्व किस तिथि को पड़ेगा, इस दिन कौन से उपाय करने चाहिए, इस पर्व का महत्व आदि के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।
कजरी तीज 2025: तिथि व मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि की शुरुआत 11 अगस्त 2025 की सुबह 10 बजकर 35 मिनट से होगी। वहीं इस तिथि का समापन 12 जुलाई की सुबह 08 बजकर 43 मिनट पर होगी। ऐसे में कजरी तीज का व्रत 12 अगस्त को किया जाएगा।
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11 अगस्त 2025 की सुबह 10 बजकर 35 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 12 अगस्त 2025 की सुबह 08 बजकर 43 मिनट पर।
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज केवल एक व्रत नहीं, बल्कि नारी शक्ति की श्रद्धा, प्रेम और लोक संस्कृति का जीवंत उत्सव है। यह पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है। यह तीज श्रावण की हरियाली के बाद आती है और इसका जुड़ाव भक्ति, पारिवारिक सुख और लोकगायन से होता है। कजरी तीज का सबसे बड़ा महत्व यही है कि इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शिव और माता पार्वती से पति की दीर्घायु और वैवाहिक सुख की कामना करती हैं। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए उतना ही पवित्र और फलदायक है, जितना करवाचौथ या हरियाली तीज।
कजरी तीज पर महिलाएं पारंपरिक कजरी गीत गाती हैं। ये गीत वर्षा, प्रेम, विरह और जीवन की भावनाओं को बड़ी खूबसूरती से व्यक्त करते हैं। गांवों में महिलाएं झूला झूलती हैं, समूह में गीत गाती हैं और त्योहार की खुशियां साझा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से न केवल वैवाहिक जीवन मजबूत होता है, बल्कि घर में सुख,समृद्धि और शांति भी आती है। देवी पार्वती की आराधना से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
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कजरी तीज में चंद्रमा की पूजा का महत्व
कजरी तीज का पर्व केवल व्रत और गीतों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें चंद्रमा की पूजा का भी अत्यंत खास स्थान होता है। विशेषकर उत्तर भारत में मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना अनिवार्य है, क्योंकि इससे मन के दोषों की शुद्धि, विचारों की स्थिरता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ज्योतिष में चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक ग्रह माना गया है। व्रत रखने वाली महिलाएं दिनभर भूखी प्यासी रहकर मानसिक रूप से भी थोड़ी थकान अनुभव करती हैं। ऐसे में रात्रि में शीतल, सौम्य चंद्रमा को देखकर अर्घ्य देना न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि यह भावनात्मक संतुलन भी स्थापित करता है। यह भी माना जाता है कि चंद्रमा स्त्रियों के स्वभाव और मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है, इसलिए कजरी तीज के दिन चंद्र दर्शन विशेष रूप से पुण्य दायक होता है।
कजरी तीज 2025 पूजन विधि
- इस दिन सुबह स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं।
- घर के आंगन या पूजन स्थान पर गाय के गोबर से लीप कर पवित्र भूमि बनाई जाती है।
- एक मिट्टी का तालाब या कुंड बनाया जाता है, जिसे कजली माता का प्रतीक माना जाता है।
- उसमें नीम की डाल, आम की टहनी, कजली की प्रतिमा या चित्र, फल-सब्जी, पत्ते आदि अर्पित किए जाते हैं।
- घी का दीपक जलाकर पूजी की जाती है और कजरी माता की आरती उतारी जाती है।
- कजरी गीत गाए जाते हैं, महिलाएं समूह में बैठकर ढोलक के साथ पारंपरिक गीतों के माध्यम से पर्व का आनंद लेती हैं।
- रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। पहले पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं।
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कजरी तीज कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी एक गांव में रहते थे। वे अत्यंत गरीब थे, लेकिन महिला बहुत धर्मपरायण और भगवान शिव-पार्वती की उपासक थी। श्रावण के बाद जब भाद्रपद का महीना शुरू हुआ, तब उस स्त्री ने कजरी तीज का व्रत करने का संकल्प लिया। उसका विश्वास था कि इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है और सुख-शांति आती है। व्रत के दिन वह प्रात: काल स्नान कर, निर्जल उपवास रख भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करने लगी। लेकिन उसकी सबसे बड़ी चिंता यह थी कि पूजा में भगवान को भोग में क्या अर्पित करें क्योंकि घर में खाने को कुछ भी नहीं था।
बहुत खोजने के बाद उसे एक कच्चा पेठा मिला। उसने वही पेठा धोकर साफ किया और पूरी श्रद्धा से भगवान को भोग लगा दिया। उसी गांव की रानी भी उस दिन कजरी तीज का व्रत कर रही थी। उसी गांव की रानी भी उस दिन कजरी तीज का व्रत कर रही थी। उसने सोने-चांदी के बर्तनों में भव्य पकवान बनाए, रत्नों से सजे मंदिर में पूजा की, लेकिन उसका मन दिखावे और अहंकार से भरा था। शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती ने दोनों भक्तों की भक्ति की परीक्षा ली।
वे ब्राह्मण स्त्री के घर एक साधु के वेश में पहुंचे और वह कच्चा पेठा मांगा जो उसने भोग में चढ़ाया था। उसी स्त्री ने मुस्कुराते हुए प्रेमपूर्वक वह पेठा उन्हें दे दिया। साधु रूप में आए भगवान ने कहा- हे देवी! तुम्हारी श्रद्धा, समर्पण और सच्चे भाव से हम अत्यंत प्रसन्न हैं। तुम्हारा घर शीघ्र ही धन-धान्य से भर जाएगा और पति की दीर्घायु सुनिश्चित होगी। इसके बाद उस गरीब दंपत्ति के जीवन में चमत्कारी परिवर्तन हुआ। घर में समृद्धि आई, पति स्वस्थ और दीर्घायु रहे और दंपत्ति सुखमय जीवन बिताने लगे।
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कजरी तीज 2025 पर क्या करें क्या न करें
क्या करें
- सात्विक जीवन शैली अपनाएं। मानसिक रूप से शांत और सकारात्मक रहें। निर्जल व्रत रखें इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए बिना जल पिए उपवास करती हैं।
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहने। इस दिन हरे या पीले रंग के कपड़े पहनें।
- इस दिन झूला झूलें और कजरी गीत गाएं।
- इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद सुहागन को सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि देने से पुण्य मिलता है।
- रात्रि में चंद्र दर्शन करके दूध और जल से अर्घ्य जरूर दें। इससे मन की शांति और पति के स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- इस दिन मन में सकारात्मक भावनाएं लाएं और मधुर वाणी में बात करें।
- कजरी तीज पर सोलह श्रृंगार करना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे सौभाग्य स्थायी रहता है।
क्या न करें
- इस दिन कोई भी बहस, तनाव या कठोर शब्दों से बचना चाहिए। यह व्रत शांत और प्रेमपूर्ण मन से करना चाहिए।
- यदि व्रत नहीं भी कर रही हैं, तो भी इस दिन लहसुन, प्याज, मांसाहार और शराब के सेवन से पूरी तरह परहेज करें।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, व्रतधारी महिला को कजरी तीज के दिन झाड़ू या पोछा नहीं लगाना चाहिए।
- इस दिन काले व नीले रंग के कपड़े न पहनें क्योंकि यह रंग इस दिन अशुभ माने जाते हैं। कोशिश करें हरा, पीला या गुलाबी रंग पहनें।
कजरी तीज 2025 पर राशि अनुसार उपाय
राशि | उपाय |
मेष राशि | नीम की डाली से बनी झूले पर कजरी गीत गाएं, मनोकामना पूरी होगी। |
वृषभ राशि | काले चने का भोग चढ़ाएं, घर में सुख-शांति बढ़ेगी। |
मिथुन राशि | केले के पत्ते पर भोग अर्पित करें, वाणी में मधुरता आएगी। |
कर्क राशि | चांदी का छोटा दीपक जलाएं, दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा। |
सिंह राशि | पीले वस्त्र पहनें, मान-सम्मान में वृद्धि होगी। |
कन्या राशि | तांबे के लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य दें, मानसिक शांति मिलेगी। |
तुला राशि | सुहाग सामग्री का दान करें, भाग्य मजबूत होगा। |
वृश्चिक राशि | लाल फूल चढ़ाएं, रुके काम बनेंगे। |
धनु राशि | मीठा भोग बनाएं और चंद्रमा को दिखाएं, आर्थिक लाभ होगा। |
मकर राशि | तिल से दीपक जलाएं, रोगों से मुक्ति मिलेगी। |
कुंभ राशि | पंचामृत से चंद्रमा को अर्घ्य दें, विवेक में वृद्धि होगी। |
मीन राशि | तुलसी पत्र और मिश्री का भोग चढ़ाएं, मनोकामना पूरी होगी। |
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कजरी तीज पर जरूर करें ये खास उपाय
रिश्तों में प्रेम बढ़ाने के लिए
कजरी तीज की शाम को शिव-पार्वती की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। हाथ में सात साबुत काली मिर्च लें और पति के नाम का स्मरण करते हुए एक-एक करके आग में डालें। हर मिर्च डालते समय मन ही मन कहें- हे महादेव, हमारे दांपत्य जीवन में प्रेम और समर्पण बना रहे।
ससुराल में सम्मान व सुख के लिए
कजरी तीज की पूजा के बाद पांच नारियल, पांच सुहाग की सामग्री (चूड़ी, सिंदूर, बिंदी आदि) और कुछ मिठाई किसी सुहागन स्त्री को दान करें। दान करते समय यह न कहें कि दान ले लीजिए, बल्कि आदरपूर्वक उन्हें सम्मान बैठाकर दें। इससे ससुराल पक्ष में प्रतिष्ठा और सिख बना रहता है।
मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय मिश्री और तुलसी पत्ता जल में डालें। अर्घ्य देते हुए मन में प्रार्थना करें-हे चंद्रदेव, मुझे मेरे योग्य सच्चा जीवनसाथी प्रदान करें। इसके बाद मंदिर में 11 तुलसी पत्ते चढ़ाएं और ॐ सोम सोमाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
घर में कलह खत्म करने के लिए
कजरी तीज की रात घर के मुख्य दरवाजे पर गाय के घी का दीपक जलाएं। दीपक में सात काली मिर्च डालें और जलता हुआ दीपक चुपचाप घर के किसी कोने में रख दें। ऐसा मानना है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर का वातावरण शांत होता है।
आर्थिक समस्याओं से मुक्ति के लिए
एक नींबू को चार टुकड़ों में काटें। हर टुकड़े को घर के चारों कोनों में रख दें और अगले दिन सुबह उन्हें बहते जल में प्रवाहित करें। ऐसा तीन शुक्रवार लगातार करें। धन की रुकवटें दूर होंगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
कजरी तीज हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह हरियाली तीज के लगभग 15 दिन बाद आती है, और आमतौर पर रक्षाबंधन के बाद होती है।
यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियां रखती हैं। वे अपने पति की लंबी उम्र, दांपत्य सुख और परिवार की समृद्धि के लिए उपवास करती हैं।
हां, अधिकतर महिलाएं निर्जल उपवास करती हैं। ले यदि स्वास्थ्य कारणों से संभव न हो, तो फलाहार या जल ग्रहण कर सकते हैं, नियमपूर्वक।