रिश्तों की दुनिया में अगर कोई सबसे खूबसूरत और नायाब रिश्ता है, तो वह है भाई-बहन का। चाहे तकरार हो या हंसी- ठिठोली, रूठना हो या मनाना, इस रिश्ते में नोकझोंक भी होती है और गहरा प्यार भी। इन्हीं भावनाओं को समर्पित है रक्षाबंधन। वह पवित्र पर्व जब बहन, प्रेम और आशीर्वाद की डोरी अपने भाई की कलाई पर बांधती है और भाई जीवन भर उसकी रक्षा का संकल्प लेता है। रक्षाबंधन सिर्फ एक धागा बांधने की रस्म नहीं है, बल्कि भावनाओं, परंपरा और सुरक्षा के वचन का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, भाई-बहन का रिश्ता हमेशा खास रहता है।

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हालांकि रक्षाबंधन अपने आप में एक बेहद शुभ पर्व है, लेकिन यदि इस दिन भद्रा काल का योग बन जाए तो उसकी पवित्रता और शुभ प्रभाव पर असर पड़ सकता है। ज्योतिषीय मान्यता है कि भद्रा काल में कोई भी मांगलिक कार्य करना टाल देना चाहिए क्योंकि यह समय अशुभ फल देने वाला और विघ्न डालने वाला माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा के कारण राखी बांधने के समय में फेरबदल करना पड़ा था। इसी वजह से लोग अब पहले से सही मुहूर्त और शुभ समय का इंतजार करते हैं, ताकि रक्षा सूत्र का बंधन ठीक उसी घड़ी में किया जा सके जब उसकी ऊर्जा सबसे शुभ हो।
इस वर्ष भी यही जिज्ञासा बनी हुई है कि क्या रक्षाबंधन वाले दिन दिन भद्रा काल रहेगा? इसलिए यह आवश्यक है कि हम समय रहते भद्रा की स्थिति और शुभ मुहूर्त की जानकारी प्राप्त करें ताकि रक्षाबंधन को पूरे विधि-विधान और शुभता के साथ मनाया जा सके।
तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं रक्षाबंधन 2025 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित पौराणिक कथाएं के बारे में और साथ ही, जानेंगे राशि अनुसार अपने भाई की कलाई पर किस रंग की राखी बांधे।
कब मनाया जाएगा रक्षा बंधन 2025?
रक्षाबंधन 2025 का पर्व 09 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा क्योंकि इसी दिन सावन मास की पूर्णिमा पड़ रही है। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 08 अगस्त 2025 की दोपहर 09 बजकर 14 मिनट से 09 अगस्त की दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। इसी अवधि में राखी बांधने का शुभ समय निकलेगा।
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त: 09 अगस्त 2025 की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक।
अवधि :7 घंटे 40 मिनट
पंचांग
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 46 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 06 मिनट पर
चंद्रोदय: शाम 07 बजकर 21 मिनट पर
चन्द्रास्त: चन्द्रास्त नहीं
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 03 बजकर 33 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 07 बजकर 06 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
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क्या रक्षाबंधन 2025 में भद्रा लगेगा?
इस वर्ष रक्षाबंधन को लेकर लोगों के मन में एक बड़ा सवाल बना हुआ है कि किया इस बार भद्रा काल रहेगा? क्योंकि मान्यता है कि भद्रा के समय राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा की तिथि 8 अगस्त की दोपहर 09 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है और ठीक उसी समय से भद्रा काल की शुरुआत भी मानी जा रही है। यह स्थिति 09 अगस्त की सुबह 1 बजकर 26 मिनट पर होगी।
हालांकि बताया गया है कि यह भद्रा पाताल लोक से जुड़ी है इसलिए इसका प्रभाव सीमित या कम माना जा रहा है। फिर भी, धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ कार्यों के लिए भद्रा समाप्ति के बाद ही राशि बांधना अधिक उपयुक्त समझा जाता है। सौभाग्य की बात यह है कि इस साल भद्रा काल सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगा, जिससे 09 अगस्त को पूरी श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ रक्षाबंधन मनाया जा सकेगा। इस दिन भद्रा को कोई प्रभाव नहीं रहेगा और आप पूरे शुभ मुहूर्त में भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध सकती हैं। शास्त्रों में भी यह स्पष्ट कहा गया है कि रक्षाबंधन जैसे मांगलिक पर्व को भद्रा-मुक्त समय में ही मनाना श्रेष्ठ और फलदायी होता है।
रक्षाबंधन 2025 का महत्व
रक्षाबंधन का पर्व हर वर्ष की तरह 2025 में भी भाई-बहन के अटूट प्रेम, सुरक्षा और विश्वास का प्रतीक बनकर आएगा। यह केवल एक रेशमी धागी नहीं बल्कि वह संकल्प है, जो बहन अपने भाई की रक्षा के लिए बांधती है और भाई जीवनभर उसकी मर्यादा, सम्मान और खुशियों की रक्षा का वचन देता है। रक्षाबंधन न केवल पारिवारिक बंधनों को मजबूत करता है, बल्कि यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि रिश्ते केवल खून से नहीं, भावना, परवाह और जिम्मेदारी से भी बनते हैं।
आज के दौर में जब जीवन की रफ्तार ने रिश्तों में दूरी ला दी है, ऐसे में रक्षाबंधन एक पावन अवसर देता है रिश्तों को फिर से जोड़ने का, उन्हें याद करने का और निभाने का। यह दिन नारी शक्ति, रिश्तों की पवित्रता और संस्कृति की जड़ों से जुड़ने का अवसर है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं और भाई यह संकल्प लेते हैं कि वे जीवन भर अपनी बहन को हर संकट से बचाएंगे।
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रक्षाबंधन 2025 की पूजा विधि
- रक्षाबंधन के दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थान को साफ करें। एक थाली में रक्षा सूत्र यानी राखी, रोली, चावल, दीपक, मिठाई और कुमकुम रखें ।
- फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बिठाएं। इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई साफ कपड़ा रखें।
- पहले तिलक लगाएं, फिर अक्षत लगाएं और फिर सबसे पहले सभी देवी-देवताओं की आरती करें।
- अब राखी बांधें और भाई को मिठाई खिलाएं।
- भाई बहन को उपहार या दक्षिणा दे और उसकी रक्षा का संकल्प लें।
- इस दौरान यह मंत्र बोले- “ॐ येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”
- इसके बाद अपने भाई की आरती उतारकर उन्हें मिठाई खिलाएं।
- फिर भगवान से उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।
रक्षाबंधन की कथाएं
रक्षाबंधन को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं रक्षाबंधन मनाने के पीछे की पौराणिक कथाएं।
पत्नी शची ने बांधी थी पति को राखी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। असुरों के राजा वृत्रासुर के नेतृत्व में दानव शक्तिशाली होते जा रहे थे और देवताओं की स्थिति कमजोर हो रही थी। युद्ध में देवताओं के राजा इंद्र की पत्नी शची यानी इंद्राणी ने ऋषि बृहस्पति से मार्गदर्शन मांगा। ऋषि ने उन्हें श्रावण पूर्णिमा के दिन एक पवित्र सूत्र को मंत्रों के साथ अभिमंत्रित करके इंद्र की कलाई पर बांधने की सलाह दी। इंद्राणी ने वैसा ही किया। उन्होंने रक्षासूत्र की पूजा करके, पवित्र मंत्रों के साथ इंद्र की कलाई पर बांधा और उनकी जीवन रक्षा व विजय की प्रार्थना की।
इस रक्षासूत्र की शक्ति इंद्र को आत्मबल मिला और उन्होंने युद्ध में विजय प्राप्त की। तब से इस दिन को रक्षासूत्र बांधने की परंपरा के रूप में मनाया जाने लगा, जिसे बाद में रक्षाबंधन नाम मिला।
द्रौपदी और श्री कृष्ण की कथा
एक अन्य कथा महाभारत से जुड़ी है, जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध करते समय सुदर्शन चक्र चलाया और उनके हाथ में चोट लग गई। पास में बैठीं द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया। कृष्ण ने भावुक होकर वचन दिया कि वह जीवन भर द्रौपदी की रक्षा करेंगे। यही कारण है कि चीरहरण के समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई। इस प्रसंग को भाई-बहन के अटूट बंधन की मिसाल माना जाता है।
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हुमायूं और रानी कर्णवती की कहानी
इसके अलावा एक और कथा रक्षाबंधन को लेकर प्रचलित है। वह इस प्रकार है कि चित्तौड़ की रानी कर्णवती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण से अपने राज्य व अपनी रक्षा के लिए सम्राट हुमायूं को एक पत्र के साथ राखी भेजकर रक्षा का अनुरोध किया था। तब हुमायुं ने राखी को स्वीकार किया और रानी कर्णावती की रक्षा के लिए तुरंत चित्तौड़ रवाना हो गए थे। हालांकि, हुमायूं के पहुंचने से पहले ही रानी कर्णावती ने आत्महत्या कर ली थी।
रक्षाबंधन 2025 पर राशि अनुसार इन मंत्रों का करें जाप
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को इस दौरान ॐ भौमाय नमः रक्षां कुरु कुरु स्वाहा। मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से दुर्घटनाओं से रक्षा और आत्मबल में वृद्धि होगी।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों को ॐ शुक्राय नमः सौम्यं सौख्यं देहि मे स्वाहा। मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से सुख, सौंदर्य और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातक “ॐ बुधाय नमः बुद्धिं मे देहि स्वाहा।” मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से बुद्धि, व्यापार में लाभ और संवाद में स्पष्टता आएगी।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातक ॐ चन्द्राय नमः सौम्याय आयुष्मान भव। मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से मानसिक शांति, भावनात्मक सुरक्षा और लंबी उम्र की प्राप्ति होगी।
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सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को ॐ सूर्याय नमः तेजः प्रचण्डं देहि मे स्वाहा। मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को ॐ नमो नारायणाय रक्षां कुरु कुरु स्वाहा। मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आरोग्य, शिक्षा और सफलता की प्राप्ति होती है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों को ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः धनं मे देहि स्वाहा। मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक स्थिरता और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों को ॐ रुद्राय नमः रक्षां कुरु कुरु स्वाहा। मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा, साहस और आत्मबल बढ़ता है।
धनु राशि
धनु राशि के जातक ॐ बृहस्पतये नमः ज्ञानं देहि स्वाहा। मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से भाग्य वृद्धि, गुरु कृपा और धार्मिक प्रगति होती है।
मकर राशि
मकर राशि के जातक ॐ शनैश्चराय नमः आयुष्मान भव। मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से रोग, शनि दोष और बाधाओं से रक्षा होती है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को ॐ नमः शिवाय रक्षां कुरु स्वाहा। मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक शक्ति, स्वतंत्रता और आत्म कल्याण की प्राप्ति होती है।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों को ॐ विष्णवे नमः सर्वरक्षां कुरु कुरु स्वाहा। मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में संतुलन मिलता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
रक्षाबंधन 2025 में 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा।
नहीं, इस बार भद्रा काल सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगा। यानी 9 अगस्त की सुबह से दोपहर तक राखी बांधना पूरी तरह शुभ रहेगा।
परंपरागत रूप से बहन भाई को राखी बांधती है, लेकिन आजकल कजिन, भाभी, मित्र या गुरु भाई को भी राखी बांधी जाती है। यह स्नेह और सुरक्षा के भाव से जुड़ा पर्व है।