ग्रहों के राजा सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने को संक्रांति कहा जाता है। जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे कर्क संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति जितना ही महत्वपूर्ण है और इस दिन गरीबों एवं जरूरतमंद लोगों की सहायता करने का बहुत महत्व है।

एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में कर्क संक्रांति से जुड़े सभी सवालों के जवाब दिए गए हैं जैसे कि इस साल कर्क संक्रांति कब है और इस दिन का क्या महत्व है? साथ ही जानेंगे कर्क संक्रांति पर कब और कैसे सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, किन उपायों को करने से मिलेगा भगवान सूर्य का आशर्वाद, यह भी बताएंगे। तो आइए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
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कर्क संक्रांति 2025 कब है
इस बार कर्क संक्रांति का पर्व 16 जुलाई, 2025 को बुधवार के दिन पड़ रहा है। कर्क संक्रांति की शुरुआत षष्ठी तिथि से हो रही है। 15 जुलाई को रात 10 बजकर 41 मिनट से षष्ठी तिथि शुरू हो जाएगी और 16 जुलाई, 2025 को 09 बजकर 04 मिनट तक षष्ठी तिथि रहेगी और 05 बजकर 47 मिनट तक पूर्वा भाद्रपद एवं उसके बाद 17 जुलाई की सुबह 04 बजकर 51 मिनट तक उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा।
कर्क संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त
कर्क संक्रांति पुण्य काल: सुबह 05 बजकर 40 मिनट से शाम के 05 बजकर 40 मिनट तक।
समयावधि: 12 घंटे की।
कर्क संक्रांति महा पुण्य काल: दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से शाम 05 बजकर 40 मिनट तक।
समयावधि: 02 घंटे 18 मिनट की।
कर्क संक्रांति 2025 पर शुभ योग
इस संक्रांति पर शोभन योग बनने जा रहा है जिसे वैदिक ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना जाता है। 15 जुलाई को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से शोभन योग शुरू होगा और इसका समापन 16 जुलाई को दोपहर 11 बजकर 56 मिनट पर होगा।
शोभन योग को बहुत शुभ और मंगलकारी बताया गया है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति के अंदर उचित संस्कार आते हैं। उसकी बुद्धि का विकास होता है और वह व्यक्ति दूसरों की तुलना में अधिक गुणवान बनता है। ये आकर्षक एवं प्रगतिशील विचारों वाले हो सकते हैं। इस योग के दौरान कोई भी शुभ कार्य आरंभ किया जा सकता है।
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कर्क संक्रांति 2025 का महत्व
कर्क संक्रांति से मानसून की शुरुआत हो जाती है जो कि कृषि से संबंधित कार्यों की शुरुआत के लिए अहम होता है। कर्क संक्रांति से सूर्य देव दक्षिणायन हो जाते हैं और मकर संक्रांति पर इसका अंत होता है एवं यहां से सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। अपने पूर्वजों का तर्पण करने एवं उन्हें प्रसन्न करने के लिए दान-पुण्य आदि करने हेतु कर्क संक्रांति के दिन को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। माना जाता है कि ऐसा करने से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है।
इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने के साथ-साथ पूर्वजों के लिए दान-पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। दान करने के लिए कर्क संक्रांति 2025 का दिन बहुत शुभ माना जाता है।
कर्क संक्रांति की पूजन विधि
कर्क संक्रांति से दक्षिणायन होकर भगवान सूर्य अपने भक्तों पर कृपा बरसानी शुरू कर देते हैं। इस संक्रांति से चार मास के लिए भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं। इन चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है और इस दौरान कई शुभ कार्य वर्जित होते हैं। आगे जानिए कि कर्क संक्रांति 2025 की पूजन विधि क्या है।
- सबसे पहले सुबह उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त हो जाएं। इस दिन पवित्र नदियों और तालाब आदि में स्नान करने का भी बहुत महत्व है।
- स्नान करने के बाद आप सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र का जाप करें।
- इसके पश्चात् भगवान विष्णु की पूजा करें और विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। इससे आपको शांति एवं सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
- मान्यता है कि इस दिन अनाज, वस्त्रों और तेल आदि का दान करना चाहिए।
- कर्क संक्रांति 2025 पर भगवान विष्णु के अलावा सूर्य देव की पूजा भी की जाती है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
- इस तिथि पर पशु-पक्षियों को भी भोजन खिलाएं जैसे आप रोटी दे सकते हैं या गौशाला में चारा दान किया जा सकता है।
- कर्क संक्रांति का पुण्य पाने के लिए सूर्य देव के मंत्रों या गायत्री मंत्र का जाप करना फलदायी सिद्ध होता है।
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कर्क संक्रांति 2025 से चातुर्मास की शुरुआत
सूर्य देव के कर्क राशि में प्रवेश करने पर चातुर्मास शुरू हो जाते हैं। हर साल संसार के पालनहार चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं और इसी के साथ चार महीनों के लिए सभी तरह के शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इस समय विवाह जैसे शुभ कार्य करने वर्जित होते हैं।
कर्क संक्रांति 2025 का धार्मिक महत्व
कर्क संक्रांति के दौरान सूर्य देव कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। हिंदू वर्ष में सूर्य 12 राशियों में गोचर करते हैं। एक साल में आने वाली कुल 12 संक्रांतियों में से मकर और कर्क संक्रांति को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार इस गोचर के दौरान सूर्य दक्षिणायन होते हैं। सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने पर जल तत्व का प्रभाव काफी बढ़ जाता है और इस वजह से वातावरण में असुरी शक्तियां एवं नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती हैं। यही वजह है कि कर्क संक्रांति के बाद से आने वाले चार महीनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस समयावधि में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन आदि जैसे शुभ कार्य करने वर्जित होते हैं। यह समय दान-पुण्य, व्रत, ध्यान, तपस्या के लिए बहुत उपयुक्त रहता है।
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कर्क संक्रांति 2025 पर पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ
कर्क संक्रांति पर कई कार्य करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं बल्कि स्वास्थ्य पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जैसे कि सूर्य नमस्कार करने से शरीर स्वस्थ और लचीला बनता है एवं मानसिक स्पष्टता आती है। वहीं इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से मन शुद्ध हो जाता है और नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है जिससे आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त होता है। कुल मिलाकर, कर्क संक्रांति पर ये कार्य करने से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है और जीवनशैली में संतुलन बना रहता है।
कर्क संक्रांति 2025 के लिए ज्योतिषीय उपाय
आप इस बार कर्क संक्रांति पर निम्न ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं:
- इस दिन आप पीपल या बरगद का वृक्ष लगा सकते हैं। इससे जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- इसके अलावा कर्क संक्रांति पर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना भी शुभ रहता है।
- संक्रांति के दिन गुड़, गेहूं, तांबा और लाल रंग के पुष्पों का दान करने का बहुत महत्व है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो उसे संक्राति के अवसर पर एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें अक्षत, लाल फूल और लाल चंदन डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. इस दौरान सूर्य का कर्क राशि में गोचर होता है।
उत्तर. 16 जुलाई, 2025 को कर्क संक्रांति मनाई जाएगी।
उत्तर. जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करते हैं।