आषाढ़ मास 2025 के व्रत-त्योहार

आषाढ़ मास 2025 के व्रत-त्योहार: कब है रथ यात्रा, कब मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, यहां जानें सब कुछ!

आषाढ़ मास 2025: आषाढ़ मास हिंदू पंचांग का चौथा महीना होता है, जो ज्येष्ठ के बाद और श्रावण से पहले आता है। आमतौर पर यह जून-जुलाई के बीच पड़ता है। यह महीना वर्षा ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, जब धरती हरियाली ओढ़ती है और नदियां जल से भर जाती हैं। धार्मिक दृष्टि से भी आषाढ़ मास बेहद खास है, क्योंकि इसी महीने में जगन्नाथ रथ यात्रा, देवशयनी एकादशी, गंगा दशहरा और गुरु पूर्णिमा जैसे कई बड़े पर्व आते हैं। मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, जिसे चातुर्मास की शुरुआत भी कहा जाता है। इसी कारण यह महीना व्रत, तप और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

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भगवान विष्णु के निद्रा अवस्था में जाने के कारण इस माह शुभ कार्यों में रोक लगा दी जाती है लेकिन तीर्थ यात्रा करने के लिए यह सबसे शानदार महीना होता है। आज इस ब्लॉग में हम आषाढ़ मास से जुड़ी तमाम रोमांचक चीज़ों के बारे में विस्तार से बताएंगे जैसे कि इस माह के दौरान कौन-कौन से व्रत-त्योहार आएंगे? इस माह में कौन से उपाय किए जाने चाहिए? इस माह का धार्मिक महत्व क्या है? और इस मास में जातकों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? ऐसी ही कई जानकारियों से लबालब है एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग, इसलिए अंत तक ज़रूर पढ़ें।

आषाढ़ मास 2025: तिथि

आषाढ़ माह का आरंभ 12 जून 2025 गुरुवार को होगा जिसकी समाप्ति 10 जुलाई 2025 गुरुवार को हो जाएगी। शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ मास में भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना करने का विशेष महत्व है। इस माह इनकी पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस मास में पूजा-पाठ और हवन का भी बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ मास में व्यक्ति को हर दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल देना चाहिए।

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आषाढ़ मास का महत्व

सनातन धर्म में आषाढ़ मास का महत्व बहुत अधिक है। यह महीना केवल ऋतुओं के बदलाव का नहीं, बल्कि अध्यात्म और धार्मिक साधना का भी समय है। आषाढ़ मास में ही देवशयनी एकादशी आती है, जिससे भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा अवस्था में चले जाते हैं और चातुर्मास की शुरुआत होती है। यह चार महीनों का समय व्रत, तपस्या और संयम का काल माना जाता है। आषाढ़ में ही जगन्नाथ रथयात्रा का भव्य पर्व मनाया जाता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ नगर भ्रमण करते हैं। 

इसके अलावा गंगा दशहरा, गुप्त नवरात्रि और गुरु पूर्णिमा जैसे पर्व भी इसी मास में पड़ते हैं, जो भक्ति, ज्ञान और तपस्या को बल देते हैं। आषाढ़ का महीना वर्षा ऋतु की शुरुआत का भी प्रतीक है, इसलिए इसे धरती के नवजीवन और हरियाली का उत्सव भी कहा जाता है। किसान इसी महीने में खेतों की जुताई और बुआई शुरू करते हैं, इसलिए इसे कृषि के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।

धार्मिक मान्यता है कि इस माह में स्नान, दान और व्रत करने से पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है और मनोकामना शीघ्र पूरी होती हैं। खासकर गंगा स्नान और तुलसी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में भगवान विष्णु, भगवान शिव, मां दुर्गा, और हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही, आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि आती है।

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आषाढ़ मास 2025 में आने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार

आषाढ़ मास यानी कि 12 जून 2025 से 10 जुलाई 2025 के दौरान हिन्दू धर्म के कई प्रमुख व्रत-त्योहार आने वाले हैं, जो कि इस प्रकार हैं:

तिथिवारपर्व
11 जून 2025बुधवारज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
14 जून 2025शनिवारसंकष्टी चतुर्थी
15 जून 2025रविवारमिथुन संक्रांति
21 जून 2025शनिवारयोगिनी एकादशी
23 जून 2025सोमवारमासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत (कृष्ण)
25 जून 2025बुधवारआषाढ़ अमावस्या
27 जून 2025शुक्रवारजगन्नाथ रथ यात्रा
6 जुलाई 2025रविवारदेवशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी
8 जुलाई 2025मंगलवारप्रदोष व्रत (शुक्ल)
10 जुलाई 2025गुरुवारगुरु-पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत

आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले लोगों की विशेषताएं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले लोगों का स्वभाव और व्यक्तित्व बहुत अधिक प्रभावशाली माना जाता है। इसी महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। ये लोग अपनी खुशी में खुश रहते हैं और अपनी मर्जी के खिलाफ कोई काम नहीं करते हैं। ये लोग मेहनती और संघर्षशील होते हैं, कठिनाइयों के सामने झुकना इनकी फितरत में नहीं होती बल्कि डटकर सामना करते हैं। परिश्रम के बल पर ये लोग जीवन में ऊंचाइयों तक पहुंचते हैं। स्वभाव से ये लोग धैर्यवान होते हैं और जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेते। इन्हें अपने कार्यों में स्थिरता और निरंतरता पसंद होती है।

आषाढ़ मास में जन्में लोग भावनात्मक रूप से थोड़े संवेदनशील होते हैं, लेकिन उनका व्यवहार व्यवहारिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से परिपक्व होता है। ये लोग अपने परिवार और समाज में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त करते हैं क्योंकि इनमें नेतृत्व करने की क्षमता स्वाभाविक रूप से होती है। शिक्षा और ज्ञान अर्जन के प्रति इनकी विशेष रुचि होती है और ये अपने ज्ञान से दूसरों का मार्गदर्शन करने में भी निपुण होते हैं। गुरु और शिक्षकों के प्रति प्रेम भाव रखना इनकी प्रवृत्ति होती है।

धार्मिक कार्यों और सामाजिक परंपराओं में इनकी भागीदारी अधिक देखी जाती है।  ये जातक बहुत अधिक ज्ञानी और मेहनती होते हैं। इन लोगों को अच्छे से पता है कि कैसे दूसरों से अपना काम निकाला जाता है। ये लोग प्रेम संबंधों के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा, ये लोग अक्सर धर्म-कर्म में रुचि रखते हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। हालांकि, कभी-कभी अधिक मेहनत और अपेक्षाओं के कारण इनका मन अशांत हो जाता है और ये चिड़चिड़े भी हो सकते हैं, लेकिन इनका स्वभाव जल्दी सामान्य भी हो जाता है। कुल मिलाकर, आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले लोग संयम, परिश्रम, ज्ञान और आध्यात्मिकता के प्रतीक होते हैं। इनके भीतर संघर्ष करने की अद्भुत शक्ति होती है और यही गुण इन्हें जीवन में सफलता और सम्मान दिलाते हैं।

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आषाढ़ मास में भूलकर भी न करें ये काम

आषाढ़ मास में कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। आइए जानते हैं, उन कार्यों के बारे में जिन्हें करने से बचा जाना चाहिए।

शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यों पर रोक

आषाढ़ मास में शादी-ब्याह, गृह प्रवेश और व अन्य ऐसे शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है क्योंकि यह चातुर्मास का आरंभिक समय होता है जब भगवान विष्णु योग-निद्रा में चले जाते हैं।

नये मकान का निर्माण या प्रवेश न करें

इस माह में भवन निर्माण की शुरुआत या नए घर में प्रवेश जैसे शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है।

नए व्यापार की शुरुआत न करें

व्यापार या किसी नए प्रोजेक्ट की नींव रखने के लिए यह समय अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में इन कार्यों को स्थगित करना बेहतर हो सकता है।

बाल कटवाना और नाखून नहीं काटना चाहिए

विशेष रूप से पुराणों में कहा गया है कि चातुर्मास में शरीर से जुड़े कार्य जैसे- बाल काटना, नाखून काटना आदि इस तरह के कार्यों से भी बचना चाहिए।

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मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से बचें

इस माह में सात्विक आहार करने की सलाह दी जाती है ताकि शरीर और मन दोनों शुद्ध रहें। इस दौरान मांस-मदिरा जैसे तामसिक भोजन करने से बचें।

खुदाई न करें

पुराणों में इस माह में खेती-बाड़ी या जमीन की खुदाई से भी बचने को कहा गया है, क्योंकि इसे प्रकृति के संतुलन में विघ्न डालना माना जाता है।

झगड़े-कलह और कटु वचन से बचें

इस मास में मानसिक शांति बनाए रखना चाहिए, क्रोध, कलह और दूसरों के साथ गलत व्यवहार करने से बचना चाहिए।

आषाढ़ मास में ये काम जरूर करें

भगवान विष्णु की उपासना करें

इस मास में विशेष रूप से श्री हरि विष्णु जी का पूजन, व्रत और भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है। इस माह में  ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप जरूर करें।

गंगा स्नान और तीर्थ स्नान करें

आषाढ़ मास में गंगा दशहरा आता है, इस दौरान गंगा स्नान या पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य बढ़ता है।

व्रत-उपवास का पालन करें

एकादशी व्रत विशेष फलदायी माना जाता है। निर्जला एकादशी और देवशयनी एकादशी इस माह में आती हैं, जिनका व्रत करने से सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

दान-पुण्य करें

अन्न, वस्त्र, जल, छाता, जूते और पंखा आदि चीज़ों का दान इस माह में करना शुभ माना गया है। खासकर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान करें।

तुलसी जी का पूजन करें

इस दिन तुलसी के पौधे की विशेष सेवा करें। तुलसी जी पर जल चढ़ाना और दीपक जलाना बहुत शुभ फल देता है।

ध्यान और साधना करें

यह समय आत्मचिंतन, ध्यान, साधना और योग के लिए उत्तम है। इससे मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति मिलती है।

भजन-कीर्तन और सत्संग में भाग लें

इस माह में धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें और सत्संग में शामिल होकर अपना ध्यान लगाए।

पितरों के निमित्त तर्पण करें

इस मास में पितरों के लिए जलदान और तर्पण करना भी शुभ माना जाता है।

आषाढ़ माह में इन मंत्रों का करें जाप

आषाढ़ माह को विशेष रूप से भगवान विष्णु, भगवान शिव और देव गुरु बृहस्पति की उपासना के लिए शुभ माना जाता है। इस पवित्र माह में निम्नलिखित मंत्रों का जाप करने से मन को शांति प्राप्त होती है।

भगवान विष्णु के मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

ॐ विष्णवे नमः

श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ

भगवान शिव मंत्र

ॐ नमः शिवाय

ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥ 

गायत्री मंत्र

 ॐ भूर् भुवः स्वः।

तत्सवितुर्वरेण्यं।

भर्गो देवस्य धीमहि।

धियो यो नः प्रचोदयात्॥

तुलसी स्तुति मंत्र

ॐ तुलस्यै नमः

महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी।

आध्यात्मिक, भौतिक, कामार्तीनां निवारिणि॥

गंगा स्तोत्र या मंत्र

ॐ श्री गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जलस्मिन सन्निधिं कुरु॥

आषाढ़ माह में किए जाने वाले उपाय

तुलसी पूजा करें

सुख-समृद्धि के लिए आषाढ़ माह में हर सुबह तुलसी जी के सामने दीपक जलाएं और “ऊँ तुलस्यै नमः” मंत्र का जाप करें। 

गायत्री मंत्र का जाप करें

प्रतिदिन 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत रहता है और पापों का नाश होता है।

भगवान विष्णु का स्मरण करें

ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। खासकर एकादशी पर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से धन और सौभाग्य बढ़ता है।

गंगाजल का छिड़काव करें

आषाढ़ में में प्रतिदिन पूजा करने से पहले घर में गंगाजल छिड़कें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।

पीपल के पेड़ की पूजा करें

शनिवार या गुरुवार को पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और जल अर्पित करें। इससे पितृ दोष और शनि दोष से मुक्ति मिलती है।

दान करें

आषाढ़ माह में अन्न, वस्त्र, जल, छाता, जूते और पंखा आदि का दान बहुत पुण्यदायी माना गया है। इससे दरिद्रता दूर होती है।

नींबू और हरी मिर्च का उपाय

नजर दोष से बचने के लिए शनिवार को नींबू और हरी मिर्च का टोटका करें और मुख्य द्वार पर लटकाएं।

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आषाढ़ में करें राशि अनुसार उपाय, होगी हर मनोकामना पूरी

मेष राशि

मेष राशि के जातकों को इस माह में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए और “ऊं हं हनुमते नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही, मंगलवार को मसूर की दाल का दान करना चाहिए।

वृषभ राशि

इस राशि के जातक शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा करें और जल में केसर डालकर स्नान करें। सफेद मिठाई का दान करें।

मिथुन राशि

इस राशि के जातक बुधवार को तुलसी जी को जल अर्पित करें और गाय को हरा चारा खिलाएं। साथ ही “ऊँ बृहस्पतये नमः” मंत्र जपें।

कर्क राशि

सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। चावल का दान करें।

सिंह राशि

सूर्य देव को जल चढ़ाएं और गुड़ व गेहूं का दान करें। साथ ही, “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जप करें।

कन्या राशि

इस राशि वाले जातकों को आषाढ़ माह में गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और बुधवार को मूंग की दाल का दान करना चाहिए। साथ ही, गणपति बप्पा को दूर्वा चढ़ानी चाहिए।

तुला राशि

शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा करें और सफ़ेद वस्त्र का दान करें। कमल गट्टे की माला से “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करना चाहिए।

वृश्चिक राशि

मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें और लाल वस्त्र का दान करें। मसूर दाल का दान करें।

धनु राशि

गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करें और चने की दाल का दान करें। “ॐ बृहस्पतये नमः” का जप करें।

मकर राशि

शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। काले तिल और काली उड़द का दान करें।

कुंभ राशि

शनिवार को शनि देव की पूजा करें और लोहे का दान करें। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें।

मीन राशि

गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करें और पीली मिठाई का दान करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र जपें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

आषाढ़ महीना कब से चल रहा है?

आषाढ़ माह 12 जून से 10 जुलाई 2025 तक चलेगा।

आषाढ़ महीने की क्या विशेषता है?

इस महीने भगवान सूर्य की विशेष रूप से पूजा-आराधना करने के साथ मंगल देव की पूजा करने की परंपरा है।

आषाढ़ मास में क्या नहीं करना चाहिए?

आषाढ़ मास में बैंगन, मसूर दाल, गोभी, लहसुन, प्याज आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।