बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त: ज्योतिष शास्त्र में गुरु को एक ऐसा ग्रह माना जाता है जो मनुष्य जीवन को प्रभावित करने की अपार क्षमता रखता है। हमारे जीवन में बृहस्पति देव को महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर स्वामित्व प्राप्त है इसलिए कुंडली में इनकी स्थिति विशेष मायने रखती है। इसी क्रम में, गुरु देव की राशि, चाल और दशा में होने वाला बदलाव राशियों सहित देश-दुनिया को प्रभावित करता है। बता दें कि नौ ग्रहों में गुरु को लाभकारी ग्रह माना जाता है और इनकी स्थिति में होने वाला कोई भी बदलाव शुभ कार्यों की दशा और दिशा निर्धारित करता है। अब यह जल्द ही मिथुन राशि में अस्त होने जा रहे हैं और ऐसे में, यह मानव जीवन सहित संसार पर भी अपना प्रभाव डालेंगे। एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में आपको “बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त” से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी जैसे तिथि, समय और राशियों पर प्रभाव आदि।

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वैसे बता दें कि नवग्रहों में बृहस्पति को एक बेहद शुभ और लाभकारी ग्रह का दर्जा प्राप्त है। मानव जीवन में गुरु महाराज बुद्धि, ज्ञान, सौभाग्य और प्रचुरता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह एक राशि में काफ़ी लंबे समय तक रहते हैं इसलिए इनको अपना राशि चक्र पूरा करने में 12 सालों से अधिक का समय लगता है। अब यह मिथुन राशि में अस्त हो रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप, इस अवधि में कुछ राशियों को सावधान रहना होगा और कुछ राशियों को शुभ परिणाम प्राप्त होंगे? साथ ही, बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त के दौरान आप किन सरल उपायों को करके अनुकूल परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। इस बारे में हम नीचे विस्तार से बात करेंगे, तो आइए शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जान लेते हैं गुरु अस्त का समय और तिथि।
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बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त: तिथि एवं समय
शुभ ग्रह के रूप में गुरु ग्रह मनुष्य जीवन में शिक्षक, ज्ञान, बड़े भाई, संतान, धार्मिक कार्य, शिक्षा और पवित्र स्थल आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति महाराज एक राशि में तक़रीबन 13 महीने तक रहते हैं और इसके बाद दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं। ऐसे में, अब यह 09 जून 2025 की शाम 04 बजकर 12 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। गुरु देव का यह गोचर बुध ग्रह की राशि में होगा और इसके परिणामस्वरूप, गुरु ग्रह की अस्त अवस्था राशियों समेत देश-दुनिया को निश्चित रूप से प्रभावित करेगी। आइए अब जानते हैं बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त होने से बनने वाले युति और दोषों के बारे में।
मिथुन राशि में गुरु-बुध की युति से बनेगा ये अशुभ योग
जैसे कि हम आपको बता चुके हैं कि वर्तमान समय में गुरु ग्रह मिथुन राशि में मौजूद हैं और इसके राशि स्वामी बुध ग्रह हैं। जब मिथुन राशि में बृहस्पति अस्त होंगे, इस समय वहाँ पहले से बुध देव भी मौजूद होंगे। ऐसे में, बुध और गुरु ग्रह मिथुन राशि में एक साथ होकर युति का निर्माण करेंगे। बता दें कि बुध और बृहस्पति देव की युति से केन्द्राधिपति दोष का निर्माण होता है जिसे एक अशुभ योग माना जाता है। कुंडली में केंद्राधिपति दोष होने पर बुध देव के लग्न में गुरु को और गुरु के लग्न भाव में बुध को केंद्राधिपति दोष लगेगा।
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साथ ही, शुभ एवं लाभकारी ग्रह के रूप में गुरु और वाणी, संचार के कारक ग्रह बुध अपनी पूरी क्षमता के साथ जातकों को परिणाम नहीं दे पाएंगे। सामान्य शब्दों में कहें तो, जो लोग शादी के लिए प्रयास कर रहे हैं, उनके विवाह में देरी हो सकती है। वहीं, जिन जातकों को नौकरी की तलाश है, उन्हें नौकरी न मिलने या ज्यादा अच्छी नौकरी न मिलने की आशंका है। इसके अलावा, गुरु ग्रह मिथुन राशि में अस्त अवस्था में होंगे और ऐसे में, बृहस्पति से मिलने वाले परिणाम काफ़ी हद तक कमज़ोर रह सकते हैं।
आगे बढ़ने से पहले आपको अवगत करवा देते हैं कि ग्रह की अस्त अवस्था से।
क्या होता है ग्रह का अस्त होना?
ज्योतिष की दुनिया में प्रत्येक ग्रह एक निश्चित समय पर अपनी राशि, चाल और स्थिति में बदलाव करता है। ऐसे में, सूर्य के अलावा हर ग्रह समय-समय पर अस्त, वक्री, उदित और मार्गी होता है। बात करें ग्रह के अस्त होने की तो, जब कोई ग्रह परिक्रमा पथ पर चलते हुए सूर्य के बहुत करीब चला जाता है, तो वह अस्त हो जाता है। हर ग्रह अपनी अस्त अवस्था के दौरान शक्तिहीन हो जाता है यानी कि अपनी सारी शक्तियां खो देता है। प्रत्येक ग्रह अपनी अस्त अवस्था के दौरान जातकों को पूरी तरह से परिणाम नहीं दे पाता है और ऐसे में, इंसान को कई तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है।
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ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का महत्व
- बृहस्पति ग्रह ज्ञान, विस्तार और प्रगति के कारक ग्रह माने जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, यह शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए भी जिम्मेदार होते हैं इसलिए इनकी चाल, दशा या राशि में होने वाला बदलाव ज्योतिष में महत्वपूर्ण माना जाता है।
- किसी व्यक्ति के जीवन में करियर, व्यापार और नौकरी से लेकर अध्यात्म सहित प्रमुख क्षेत्रों को प्रभावित करने में गुरु देव सक्षम होते हैं।
- ज्योतिष के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति पर बृहस्पति देव मेहरबान होते हैं, उस व्यक्ति के भीतर सात्विक गुण जन्म लेते हैं और वह अपने जीवन में सत्य के मार्ग पर चलना पसंद करता है।
- ऐसे जातक जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह शुभ या मज़बूत अवस्था में होते हैं, यह अपने जीवन में अपार तरक्की हासिल करता है। लेकिन, इस दौरान व्यक्ति मोटापे का शिकार हो सकता है।
- गुरु महाराज की अशुभ स्थिति जहां आपको पाचन या पेट से जुड़ी समस्याएं दे सकती हैं। वहीं, इनकी कृपा आपको पेट से संबंधित रोगों से छुटकारा दिलाती है।
- कुंडली के कमज़ोर भाव पर बृहस्पति ग्रह की दृष्टि पड़ने से वह भाव मजबूत हो जाता है।
- बृहस्पति को सभी 12 राशियों में गोचर करते हुए अपना राशि चक्र पूरा करने में 12 साल से अधिक का समय लगता है क्योंकि यह हर एक राशि में लगभग 13 महीने रहते हैं।
- जब गुरु किसी खास भाव या ग्रह से होकर गुजरते हैं, तो इनकी चाल उस क्षेत्र में विकास, भाग्य और नई सोच को बढ़ावा देती है।
कुंडली में कमज़ोर गुरु ग्रह कैसे करते हैं आपको परेशान? आइए जानते हैं।
कुंडली में कमज़ोर गुरु के संकेत
- अशुभ गुरु के प्रभाव के कारण व्यक्ति को कोई भी बात समझने में परेशानी का अनुभव होता है।
- गुरु देव की दुर्बलता का सीधा प्रभाव जातक के ज्ञान पर पड़ता है और ऐसे में, व्यक्ति के भीतर ज्ञान की कमी देखने को मिलती है।
- जिनकी कुंडली में गुरु अशुभ होता है, उन्हें सामाजिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही, वह समाज में प्रसिद्धि हासिल करने में असमर्थ हो सकता है।
- ऐसे जातकों के विवाह में देरी हो सकती है या फिर शादी के मार्ग में समस्याएं आ सकती हैं।
- अशुभ या निर्बल गुरु वाला इंसान धर्म में विश्वास नहीं करता है जिसके चलते आसपास के लोग आपको अपना शत्रु समझने लगते हैं।
- नियमित रूप से बालों के झड़ने की समस्या बनी रह सकती है।
- व्यक्ति को ऐसी गलतियों के लिए दोषी ठहराया जा सकता है जो उसने कभी की ही नहीं होगी।
- बृहस्पति के कमज़ोर होने पर आपसे पैसा या सोना खो सकता है।
बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त के दौरान करें ये उपाय
- करियर में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए गुरुवार के दिन गुरु ग्रह से संबंधित पीली वस्तुओं जैसे- हल्दी, सोना, पीले फल, चना आदि का दान करें।
- गुरुवार को आप धार्मिक या पढ़ाई की पुस्तकों का भी दान कर सकते हैं। ऐसा करने से पढाई में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है इसलिए गुरुवार के दिन विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
- संभव हो, तो बृहस्पतिवार की व्रत कथा पढ़ें क्योंकि इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली और सुख-शांति आती है।
- गुरुवार के दिन स्नान के पानी में हल्दी डालकर नहाएं।
- बृहस्पतिवार को केले के पेड़ की पूजा करें और दीपक जलाएं।
- गुरु से शुभ परिणाम पाने के लिए पीला चन्दन या केसर का तिलक भगवान विष्णु को करें। इसके बाद, उनकी पूजा करके स्वयं भी तिलक लगाएं। इस उपाय को करने से आपके धन-धान्य में लगातार वृद्धि होती है और आपको कभी धन की कमी नहीं होगी।
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बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली में भाग्य तथा द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और बृहस्पति मिथुन…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली में आठवें तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए सप्तम भाव के स्वामी होने के साथ-साथ … (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली में छठे तथा भाग्य भाव के स्वामी होते हैं और बृहस्पति… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए पांचवें तथा आठवें भाव के स्वामी… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली में चौथे तथा सातवें भाव के स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली में तीसरे तथा छठे भाव के स्वामी होते हैं और बृहस्पति… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली के लिए आपके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ चौथे… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली के तीसरे भाव के स्वामी होते हैं साथ ही साथ… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
बृहस्पति आपकी कुंडली के दूसरे तथा लाभ भाव के स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
बृहस्पति आपके लग्न या राशि के स्वामी ग्रह तो होते ही हैं, साथ ही साथ … (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ज्ञान के कारक ग्रह गुरु देव 09 जून 2025 को मिथुन राशि में अस्त हो जाएंगे।
राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन का स्वामी बुध ग्रह है।
ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति देव एक राशि में लगभग 13 महीने तक रहते हैं और इसके बाद, दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं।