बुध का वृषभ राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में बुध देव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जो बुद्धि, तर्क, संचार और वाणी जैसे प्रमुख क्षेत्रों के कारक माने गए हैं। सौरमंडल में बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट स्थित है। बता दें कि ग्रहों के युवराज बुध को आकर्षक व्यक्तित्व का ग्रह माना जाता है और यह अपनी वाणी से किसी को भी मोहित करने में सक्षम होते हैं। ऐसे में, बुध की स्थिति, चाल, दशा या राशि में होने वाला परिवर्तन विशेष महत्व रखता है। हालांकि, मई 2025 में बुध देव एक बार नहीं अनेक बार अपनी स्थिति में बदलाव करेंगे जिनका असर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से संसार सहित मनुष्य जीवन पर दिखाई दे सकता है।

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एस्ट्रोसेज एआई का यह विशेष ब्लॉग आपको “बुध का वृषभ राशि में गोचर” से संबंधित सारी जानकारी प्रदान करेगा। बुध का यह गोचर कुछ राशियों को शुभ और कुछ राशियों को अशुभ परिणाम दे सकता है। ऐसे में, आप किन उपायों को अपनाकर बुध देव के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं, इस बारे में भी हम विस्तार से चर्चा करेंगे, इसलिए यह ब्लॉग आपको अंत तक पढ़ना जारी रखना होगा। लेकिन, सबसे पहले जान लेते हैं बुध गोचर का समय और तारीख़।
बुध का वृषभ राशि में गोचर: तिथि एवं समय
सबसे पहले हम बात करेंगे बुध ग्रह के गोचर की, तो ग्रहों के युवराज के नाम से विख्यात बुध देव लगभग हर महीने अपना राशि परिवर्तन करते हैं। सरल शब्दों में, बुध महाराज तक़रीबन 23 से 27 दिन के बाद दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। अब यह 23 मई 2025 की दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर वृषभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं। मई के महीने में बुध तीन बार अपनी स्थिति में बदलाव करेंगे और यह राशि परिवर्तन इस महीने में इनका आख़िरी गोचर होगा। हालांकि, बुध का वृषभ राशि में गोचर अपने मित्र शुक्र की राशि में होगा इसलिए इसे अनुकूल कहा जा सकता है।
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वृषभ राशि में बनेगा ये शुभ योग
व्यापार के कारक ग्रह बुध देव 23 मई 2025 को वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे, उस समय वहाँ पहले से ग्रहों के जनक सूर्य देव विराजमान होंगे। ऐसे में, वृषभ राशि में सूर्य और बुध इन दोनों ग्रहों के बैठे होने से बुधादित्य योग का निर्माण होगा। यह योग 23 मई 2025 से लेकर 06 जून 2025 तक बनेगा क्योंकि इसके बाद, बुध ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। हालांकि, बुध अपनी अस्त अवस्था में वृषभ राशि में गोचर करेंगे इसलिए बुधादित्य योग से मिलने वाले शुभ परिणाम थोड़े कमज़ोर रह सकते हैं। आइए अब हम आपको अवगत करवाते हैं ज्योतिष में बुध ग्रह के महत्व से।
ज्योतिषीय दृष्टि से बुध ग्रह
- वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह का अपना महत्व है और इसी क्रम में, हम आपको बुध ग्रह का ज्योतिषीय महत्व बताने जा रहे हैं।
- सौरमंडल के सबसे छोटे ग्रह बुध को शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है। जैसे सूर्य को राजा, चंद्रमा को रानी और मंगल को सेनापति माना जाता है, वैसे ही बुध को राजकुमार का पद प्राप्त है।
- बुध महाराज वाणी, बुद्धि, संवाद, तर्कशास्त्र, व्यापार, अकाउंट और गणित के कारक माने गए हैं जो कि एक द्विस्वभाव ग्रह है।
- सामान्य शब्दों में कहें तो, कुंडली में बुध ग्रह जिन ग्रहों के साथ विराजमान होते हैं, उन्हीं के अनुरूप जातक को फल प्रदान करते हैं। शुभ ग्रहों के साथ बुध के होने पर शुभ परिणाम मिलते हैं जबकि अशुभ ग्रहों के साथ होने पर आपको अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
- अगर बुध महाराज गुरु, शुक्र और बली चंद्रमा के साथ बैठे होंगे, तो आपको शुभ फल प्राप्त होंगे जबकि पापी ग्रहों जैसे कि शनि, केतु, राहु, सूर्य और मंगल के साथ होने पर अशुभ फल देने लगते हैं।
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मज़बूत बुध से मिलती है हर क्षेत्र में सफलता
- किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति विशेष महत्व रखती है। जिन लोगों की कुंडली में बुध महाराज लग्न भाव में स्थित होते हैं, वह बेहद सुंदर और अपनी आयु से कम दिखाई देते हैं।
- इस भाव में बैठे बुध देव के प्रभाव से जातक तेज़ बुद्धि वाला, तार्किक होकर बातचीत करने वाला और कुशल वक्ता होता है।
- कुंडली के पहले भाव में मौजूद बुध महाराज जातक को लंबी आयु, व्यापार में सफलता और कई भाषाओं का ज्ञाता होने का आशीर्वाद देते हैं।
- मानव शरीर में बुध ग्रह तंत्रिका तंत्र, कान, त्वचा, फेफड़े आदि अंगों को नियंत्रित करते हैं।
- वहीं, करियर के क्षेत्र में अकाउंट, व्यापार, वाणिज्य, मोबाइल, बैंकिंग, कंप्यूटर, नेटवर्किंग आदि पर बुध देव का शासन है।
- व्यापार करने वाले जातकों को बुध की शुभ स्थिति सकारात्मक परिणाम देती है। ऐसे लोग बिज़नेस में सफलता हासिल करते हैं और उसे बढ़ाने की क्षमता रखते हैं।
कमज़ोर बुध कैसे करते हैं आपको परेशान?
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध देव दुर्बल अवस्था में होते हैं अर्थात क्रूर और पापी ग्रहों से पीड़ित होते हैं या कुंडली के अशुभ भावों में उपस्थित होते हैं, तो जातक को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है।
- कुंडली में बुध ग्रह के कमजोर होने का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव आपकी वाणी पर नज़र आता है क्योंकि आप अपने विचारों को सही से दूसरों के सामने नहीं रख पाते हैं या फिर हकलाने लगते हैं।
- अशुभ बुध से प्रभावित इंसान कम बुद्धि वाला और गणित में कमज़ोर होता है। साथ ही, चीज़ें उससे देर से समझ आती हैं।
- कुंडली में बुध देव के नकारात्मक होने के कारण जो जातक व्यापार करते हैं, उसमें उन्हें हानि या घाटा होने की संभावना रहती है।
चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको रूबरू करवाते हैं बुध ग्रह से जुड़ी कुछ रोचक बातों से।
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बुध ग्रह से जुड़ी 10 रोचक बातें
- कुंडली में सूर्य-बुध ग्रह की युति से बुधादित्य राजयोग बनता है।
- सूर्य के सबसे करीब स्थित ग्रह बुध है और इस वजह से यह ज्यादातर समय अस्त अवस्था में रहता है। साथ ही, बुध देव हमेशा सूर्य से एक भाव आगे या एक भाव पीछे रहते हैं।
- ज्योतिष में बुध को पुरुष और नपुसंक ग्रह माना जाता है।
- पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर बुध ग्रह का एक दिन होता है।
- केंद्र त्रिकोण में बुध ग्रह से निर्मित योग को बहुत शुभ माना गया है।
- अगर बुध महाराज अपनी राशि, मूल त्रिकोण और मित्र ग्रह की राशि में बैठे होते हैं, तो आपको शुभ फल प्रदान करते हैं। वहीं, नीच राशि और शत्रु राशि में होने पर अशुभ परिणाम देते हैं।
- बुध देव का प्रिय रत्न पन्ना है।
- करियर में बुध महाराज को लेखन कार्य, साहित्य, पत्रकारिता, सलाहकार, वकील और अकाउंटेंट का प्रतीक माना जाता है।
- जब कुंडली में शुक्र और बुध एक साथ विराजमान होते हैं, तो लक्ष्मी नारायण योग बनता है।
- उत्तर दिशा के स्वामी बुध देव हैं जिसे कुबेर देवता का स्थान माना गया है।
बुध का वृषभ राशि में गोचर के दौरान ज़रूर करें ये उपाय
- बुधवार के दिन तुलसी का पौधा लगाएं और नियमित रूप से उसकी पूजा-अर्चना करें।
- बुधवार को हरी वस्तुओं का ज्यादा से ज्यादा दान करें।
- बुध ग्रह के दिन बुधवार को देवी दुर्गा के मंदिर में जाएं और माँ को हरे रंग की चूड़ियां अर्पित करें।
- बुधवार को बुध देव के मंत्र “ऊँ बुधाय नम:” का जाप करें।
- बुध से शुभ फल पाने के लिए भगवान गणेश की उपासना करें और उन्हें दूर्वा चढ़ाएं। साथ ही, रोज़ाना 108 बार ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें।
- ट्रांसजेंडर का सम्मान करें।
- गौ माता को हरा चारा खिलाएं।
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बुध का वृषभ राशि में गोच: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के दूसरे भाव में बुध का गोचर होने जा रहा है। हालांकि, बुध के लग्नेश के साथ…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लग्न भाव में बुध का यह गोचर होने जा रहा है। बुध इस राशि के दूसरे और पांचवे…(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लग्न और चौथे भाव के स्वामी बुध ग्रह अब इस राशि के बारहवें भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके ग्यारहवें भाव…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि के दूसरे और ग्यारहवें भाव का स्वामी बुध ग्रह है जो कि आपके वित्त के लिए एक…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
कन्या राशि के लग्न और दसवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं और अब बुध आपके नौवें भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
तुला राशि के नौवें और बारहवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके आठवें भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि बुध आपके आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और इस दौरान बुध आपके सातवें…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
धनु राशि के सातवें और दसवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके छठे भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मकर राशि के छठे और नौवें भाव का स्वामी बुध ग्रह है जो कि अब आपके पांचवे भाव में गोचर…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि के पांचवे और आठवें भाव के स्वामी बुध ग्रह हैं जो कि अब आपके चौथे भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
बुध का वृषभ राशि में गोचर के दौरान बुध आपके तीसरे भाव में विराजमान हैं जो कि संचार, साहस,…(विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बुध महाराज 23 मई 2025 को वृषभ राशि में गोचर कर जाएंगे।
शुक्र ग्रह को वृषभ राशि पर स्वामित्व प्राप्त हैं।
नहीं, बुध देव और शुक्र ग्रह एक दोनों के मित्र हैं।