एस्ट्रोसेज एआई अपने पाठकों के लिए “केतु का सिंह राशि में गोचर” का यह विशेष ब्लॉग लेकर आया है जिसके माध्यम से आपको केतु गोचर से जुड़ी समस्त जानकारी विस्तारपूर्वक प्राप्त होगी। बता दें कि केतु को नवग्रहों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जिन्हें क्रूर और पापी ग्रह माना जाता है। यह एक रहस्यमयी ग्रह है और इनका कोई अपना वास्तविक स्वरूप नहीं है। राशि चक्र में केतु को किसी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन, इसके बावजूद भी यह मनुष्य जीवन को अत्यधिक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

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बता दें कि 18 महीने तक कन्या राशि में रहने के बाद अब केतु महाराज का सिंह राशि में गोचर होने जा रहा है। हमारे इस लेख के द्वारा आप जान सकेंगे कि केतु गोचर कब होगा और क्या रहेगा समय? क्यों महत्वपूर्ण है केतु हमारे जीवन में? केतु की शुभ-अशुभ स्थिति कैसे करती है आपको प्रभावित? कैसे बचा जा सकता है इनके नकारात्मक प्रभावों से। तो आइए बिना रुके शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और सबसे पहले जानते हैं केतु गोचर के बारे में।
केतु का सिंह राशि में गोचर: तिथि और समय
छाया ग्रह केतु को अशुभ माना जाता है और यह एक राशि में डेढ़ साल बिताने के बाद अपना राशि परिवर्तन करते हैं इसलिए इनका गोचर महत्वपूर्ण माना जाता है। अब केतु ग्रह 18 मई 2025 की शाम 05 बजकर 08 मिनट पर कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में गोचर करने जा रहे हैं। सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं और इनके प्रति केतु शत्रुता का भाव रखते हैं। ऐसे में, सूर्य की राशि में केतु के गोचर को ज्यादा अनुकूल नहीं कहा जा सकता है। इस प्रकार, कुछ राशियों को थोड़ा सावधान रहना होगा, तभी आपको बेहतर परिणाम मिल सकेंगे। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले बात करते हैं केतु का सिंह राशि में गोचर के प्रभाव की।
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केतु का सिंह राशि में गोचर: प्रभाव
केतु एक छाया ग्रह है और सिंह राशि अग्नि तत्व की राशि है। इस राशि के स्वामी देव सूर्य महाराज हैं जो कि केतु ग्रह के शत्रु माने जाते हैं। ऐसे में, केतु के सिंह राशि में मौजूद होने पर जातक अपने जीवन के महत्वपूर्ण व्यक्तियों जैसे कि पिता और शिक्षक आदि का विद्रोही बन सकता है। इसी क्रम में, जिन जातकों की कुंडली में केतु सिंह राशि में होते हैं, उनके अपने पिता के साथ संबंध उतार-चढ़ाव से भरे होते हैं। साथ ही, केतु की महादशा होने पर ऐसे जातकों को अपने जीवन में लगातार विवादों या तनाव का सामना करना पड़ता है। लेकिन, इन लोगों के लिए राजनीति में करियर बनाना फलदायी साबित होता है।
केतु ग्रह का ज्योतिषीय महत्व
बात करें केतु ग्रह की तो, केतु को भले ही पापी ग्रह माना जाता है। लेकिन, यह हमेशा बुरे परिणाम ही दें, ऐसा जरूरी नहीं है। ज्योतिष में केतु अध्यात्म, मोक्ष, वैराग्य आदि के कारक माने गए हैं। यह धनु राशि में उच्च और मिथुन राशि में नीच के होते हैं। वहीं, सभी 27 नक्षत्रों में केतु देव मघा, मूल और अश्विनी नक्षत्र के स्वामी हैं। बता दें कि यह एक छाया ग्रह है जो कि स्वरभानु नामक राक्षस का धड़ है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु ग्रह व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ संसार को भी प्रभावित करते हैं। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु और केतु द्वारा कालसर्प दोष का निर्माण होता है। वहीं, केतु को लेकर कुछ ज्योतिषियों का मत है कि कुंडली में कुछ विशेष स्थिति में यह आपको सफलता के शिखर पर लेकर जाता है। साथ ही, राहु और केतु दोनों सूर्य और चंद्र ग्रहण के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जीवन पर केतु ग्रह का प्रभाव
केतु कुछ लोगों के लिए वरदान साबित होता है जबकि कुछ लोगों के जीवन को यह समस्याओं से भर देता है। केतु ग्रह का मनुष्य जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों पर कैसा प्रभाव पड़ता है? आइए जानते हैं।
करियर पर प्रभाव: कुंडली में केतु महाराज की स्थिति व्यक्ति के करियर या कार्यक्षेत्र में अचानक से बदलाव लेकर आ सकती है। ऐसे में, जातकों को सकारात्मक परिणाम या सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है या फिर परिणाम उनकी उम्मीद के अनुसार नहीं होते हैं।
प्रेम जीवन: बात करें प्रेम जीवन की, तो केतु महाराज की स्थिति लव लाइफ में अप्रत्याशित परिवर्तन लेकर आती है। केतु की ऊर्जा जातक को अपने डर और आशंकाओं का सामना करने और प्रेम संबंधों में गलत मार्ग पर लेकर जा सकती है।
वैवाहिक जीवन: केतु देव वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी के बीच गलतफहमियां या भावनात्मक दूरी पैदा करने का काम करते हैं जिससे शादीशुदा जीवन में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। ऐसी परिस्थितियां उस समय पैदा होती हैं जब जीवनसाथी पार्टनर के बजाय आध्यात्मिकता को प्राथमिकता देता है।
आर्थिक जीवन: किसी व्यक्ति के आर्थिक जीवन को केतु ग्रह अप्रत्याशित रूप से प्रभावित कर सकता है। ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली में केतु की अशुभ स्थिति होने पर जातक को अचानक धन हानि या फिर आय में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, व्यक्ति धन कमाने के लिए गलत रास्ते पर जा सकता है।
स्वास्थ्य: करियर, धन, प्रेम जीवन के अलावा केतु महाराज आपके स्वास्थ्य को भी अत्यधिक प्रभावित करते हैं। ऐसे में, यह जातक को कोई गुप्त रोग या पुरानी बीमारियों को पुनः जन्म दे सकते हैं जिनका इलाज लगभग असंभव होता है।
व्यक्तित्व: अलगाव के ग्रह के रूप में केतु दुनिया और स्वयं को देखने के नज़रिए को प्रभावित करता है जैसे कि कुंडली में केतु से प्रभावित व्यक्ति आत्मनिरीक्षण करने वाला और आध्यात्मिक प्रवृति का हो सकता है।
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कुंडली में केतु देव से बनने वाले योग
जन्म कुंडली में केतु महाराज की स्थिति से शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग बनते हैं जो कि इस प्रकार हैं:
केतु से निर्मित शुभ योग
गणेश योग: जब कुंडली में केतु देव और बृहस्पति महाराज युति का निर्माण करते हैं, तो एक बेहद शुभ गणेश योग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक ज्ञानी, साहसी और बुद्धिमान बनता है।
नवपंचम योग: नवपंचम योग को बहुत शुभ माना जाता है जो कुंडली में उस समय बनता है जब केतु और गुरु ग्रह एक-दूसरे के पांचवें और नौवें भाव में बैठे होते हैं। यह योग व्यक्ति को जीवन में सौभाग्य, मज़बूत नेतृत्व क्षमता, शिक्षा में सफलता और आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करता है।
कुंडली में मज़बूत केतु का प्रभाव
- जिन जातकों की कुंडली में केतु मजबूत होता है, उन्हें वह जीवन में ज्यादा से ज्यादा धन कमाने में सहायता करता है।
- केतु का सकारात्मक प्रभाव देखें, तो इनकी शुभ स्थिति जातक को शिक्षा में सफलता प्रदान करती है। ऐसा जातक स्कूल से लेकर कॉलेज तक हमेशा अच्छे अंक लेकर आता है।
- केतु के बलवान होने पर व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है।
- अगर आपकी कुंडली में केतु मज़बूत होता है, तो आपका झुकाव आध्यात्मिक कार्यों में होता है। ऐसे इंसान में गूढ़ ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र इच्छा होती है।
कमज़ोर केतु का प्रभाव
- कुंडली में केतु ग्रह कमज़ोर होने पर जातक को मानसिक समस्याएं जैसे कि तनाव, चिंता और घबराहट आदि परेशान करती हैं।
- केतु के अशुभ प्रभाव से जातक को करियर और शिक्षा के क्षेत्र में अस्थिरता और गिरावट देखने को मिलती है।
- जिन लोगों का केतु दुर्बल होता है, वह कर्ज, दिवालियापन और आर्थिक संकट जैसी समस्याओं से घिरा रहता है। मेहनत के बाद भी वह इन सबसे बाहर नहीं आ पाता है।
- केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभाव से जातक कम उम्र में ही अपने परिवार को छोड़ सकता है या फिर उसे परिवार में तनाव और बहस का सामना करना पड़ता है।
केतु का सिंह राशि में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपाय
- केतु से शुभ फल पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करें, विशेष रूप से बुधवार के दिन गणेश पूजन फलदायी रहेगा।
- केतु के प्रकोप को शांत करने के लिए शनिवार के दिन व्रत करें।
- कुंडली में केतु को बलवान करने के लिए “ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम:” मंत्र का 5, 11 या 18 माला जाप करें।
- प्रत्येक शनिवार पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और गरीबों को दान करें।
- आप चाहें तो केतु का रत्न भी धारण कर सकते हैं, लेकिन ऐसा किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श लेने के बाद ही करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
केतु ग्रह 18 मई 2025 को सिंह राशि में गोचर करेंगे।
सूर्य देव को सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है।
हाँ, सूर्य ग्रह को केतु का शत्रु माना जाता है।