जब कभी परिवार में कोई शुभ कार्य करना होता है या घर में कोई पूजा होती है या संपत्ति, प्रॉपर्टी या वाहन लेने से पहले या गृह प्रवेश की पूजा करने से पहले हम ‘मुहूर्त’ ज़रूर देखते हैं। कोई नया बिज़नेस शुरू करना हो या धार्मिक अनुष्ठान हो, हम भारतीय हर शुभ काम को शुरू करने से पहले मुहूर्त देखते हैं। लेकिन क्या हम सच में जानते हैं कि मुहूर्त का क्या महत्व है या इनमें से कई हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी और जीवन में होने वाली घटनाओं को कैसे प्रभावित करते हैं?

एस्ट्रोसेज एआई के इस खास ब्लॉग को इस तरह से तैयार किया गया है कि इसकी सहायता से आपको ‘मुहूर्त’ शब्द को और गहराई से जानने एवं समझने का मौका मिलेगा। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि मुहूर्त क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते हैं।
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
क्या है मुहूर्त
समय एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जिसे सभी धर्म और संस्कृति के लोगों ने अपनाया है। लोग प्राचीन काल से ही समय पर निर्भर रहे हैं और वैदिक काल में भी समय की अवधारणा का उल्लेख मिलता है। भारत में प्राचीन समय में सूर्य की गति, अन्य खगोलीय पिंडों की गति तथा चंद्रमा जैसे अन्य प्रकाशमान ग्रहों की गति का अध्ययन कर के समय की गणना की जाती थी। 30 कलाओं या 48 पश्चिमी मिनटों की अवधि को मुहूर्त कहा जाता है। 30 मुहूर्त वाले दिन और रात, 24 पश्चिमी घंटों के बराबर होते हैं।
ऋग्वेद के अलावा तैत्तिरीय ब्राह्मण और शतपथ ब्राह्मण दोनों में ही मुहूर्त का उल्लेख मिलता है। ब्राह्मणों के अनुसार मुहूर्त समय का एक विभाजन है जो कि 48 मिनट या एक दिन के तीसवें हिस्से के बराबर होता है। तैत्तिरीय ब्राह्मण में 15 मुहूर्तों का उल्लेख किया गया है जिसमें विज्ञानं, संज्ञानं, जनद, सभिजानत, संकल्पमानं, प्रकल्पनं शामिल हैं। मनुस्मृति के अनुसार एक काष्ठा 18 निमिषों के बराबर होती है। निमिष का अर्थ पलकों का झपकना होता है।
मुहूर्त का महत्व
हिंदू धर्म में सभी लोग अनुष्ठान, पूजा-पाठ, प्रार्थना और कोई भी धार्मिक कार्य करने से पहले शुभ समय देखने को महत्वपूर्ण मानते हैं। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य से उसके सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। इसी तरह, जब हम शुभ मुहूर्त में पूजा करते हैं, तो हमें उसका अधिक लाभ प्राप्त होता है।
- वैदिक काल में यज्ञ करने के लिए मुहूर्त को प्राथमिकता दी जाती थी।
- जिन लोगों की कुंडली नहीं है या जिनकी कुंडली में कोई दोष है, उन्हें पूजा के लिए मुहूर्त ज़रूर देखना चाहिए।
- शुभ मुहूर्त में की गई पूजा में हिस्सा लेने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
- ज्योतिष के अनुसार शुभ मुहूर्त हमारे शरीर से ऊर्जा के प्रवाह की असामान्यताओं को ठीक करने में मदद कर सकता है।
- इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है।
ये कुछ कारण हैं जो बताते हैं कि शुभ समय में पूजा करना क्यों ज़रूरी है। ध्यान रहे कि मंदिर में भी पूजा मुहूर्त के हिसाब से ही होती है। मुहूर्त में ग्रहों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। उनकी स्थिति से किसी भी कार्य में सफल परिणाम प्राप्त करना आसान हो जाता है। मुहूर्त को और बेहतर तरीके से समझने के लिए ज्योतिषी सप्ताह के दिनों के साथ लग्न और नक्षत्र के संयोजन पर ध्यान देते हैं। इसे आप निम्न तरह से समझ सकते हैं:
- जब हमारी कुंडली में कोई भी ग्रह आठवें भाव में गोचर न कर रहा हो।
- जब लग्न किसी शुभ ग्रह में हो।
- जब लग्न किसी पाप कर्तरी और चंद्रमा के साथ न हो।
- जब अमावस्या न हो।
- जब चंद्रमास का चौथा, नौवां या चौदहवां दिन हो।
- जब ग्रह त्रिक या केंद्र भाव में हो।
- जब वह रिक्त तिथि में न हो।
ज्योतिष के अनुसार ये कुछ कारक हैं जो शुभ मुहूर्त को समझने में मदद करते हैं। ये नया काम शुरू करने, विवाह कार्य, गृह प्रवेश, पूजा और अन्य नए कार्यों की शुरुआत के लिए सर्वोत्तम होते हैं। इससे आप जो काम कर रहे हैं, उससे सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
मुहूर्त के प्रकार
चौघड़िया मुहूर्त: कोई भी नया काम शुरू करने के लिए यह शुभ समय होता है। यह कई भारतीय राज्यों में प्रचलित है। यहां प्रत्येक अवधि को चौघड़िया कहा जाता है जो कि डेढ़ घंटे या 3.75 घटी के बराबर होता है। शुभ, लाभ और अमृत सिद्धि इसके शुभ मुहूर्त हैं। वहीं रोग, काल और उद्वेग अशुभ मुहूर्त हैं।
ब्रह्म मुहूर्त: यह सूर्योदय से डेढ़ घंटे पहले होता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीन दोष होते हैं जो कि वात, पित्त और कफ हैं। 24 घंटों के अंदर ये दोष विभिन्न समय में प्रभावी होते हैं। सुबह 3 बजे से लेकर 6 बजे तक जब वात सक्रिय होता है, तब ब्रह्म मुहूर्त होता है। इसलिए ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान या योग सबसे अधिक लाभकारी होते हैं।
अभिजीत मुहूर्त: निवेश करने और मीटिंग करने के लिए यह दिन का सबसे उत्तम समय होता है। जब हम अभिजीत मुहूर्त में ये कार्य करते हैं, तो इसका सकारात्मक परिणाम मिलता है।
राहु काल: यह अशुभ समय होता है और किसी भी व्यावसायिक लेन-देन के लिए यह समय अनुकूल नहीं होता है। राहु काल में भक्त कोई भी शुभ कार्य या पूजा-पाठ करने से बचते हैं। हालांकि, राहु काल में आप जो काम पहले से कर रहे थे, उसे जारी रख सकते हैं।
शुभ होरा: इसे दिन का शुभ समय माना जाता है। प्रार्थना, अनुष्ठान और विवाह आदि करने के लिए यह सबसे शुभ होता है। चूंकि, शादी एक नई शुरुआत होती है इसलिए लोग शुभ मुहूर्त में ही विवाह करने को प्राथमिकता देते हैं।
ये दिन के कुछ मुहूर्त हैं। हमेशा अपने काम शुभ मुहूर्त के अनुसार करना बेहतर रहता है। पूजा करते समय शुभ मुहूर्त देखना लाभकारी रहता है क्योंकि इससे उस पूजा का बेहतर परिणाम मिलता है और हमारी दिव्य शक्ति से जुड़ने की क्षमता भी बढ़ती है।
अब आगे बढ़ने से पहले हम अलग-अलग प्रकार के होरा मुहूर्त के बारे में जान लेते हैं। साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि ये शुभ होते हैं या अशुभ और किस तरह के कार्य के लिए कौन सा होरा उपयुक्त होता है। क्या आप जानते हैं कि होरा मुहूर्त को ग्रहों और इन पर शासन करने वाले ग्रहों की विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग होरा में विभाजित किया जाता है। जी हां, दिन में कई होरा मुहूर्त होते हैं जो हमे अपने रोज़मर्रा के कामों में अच्छे परिणाम पाने में मदद कर सकते हैं। तो चलिए प्रत्येक होरा, उसके महत्व और होरा मुहूर्त की गणना करने के बारे में जानते हैं।
दिन में होरा मुहूर्त के प्रकार
क्या है होरा मुहूर्त
वैदिक ज्योतिष में एक दिन को 12 होरा मुहूर्तों में विभाजित किया गया है। एक होरा लगभग एक घंटे का होता है। प्रत्येक मुहूर्त पर अलग-अलग ग्रहों जैसे कि सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि का शासन होता है और फिर यही क्रम दोहराया जाता है। उदाहरण के तौर पर:
- रविवार का पहला होरा सूर्य के अधीन आता है।
- सोमवार के पहले होरा पर चंद्रमा का शासन है और इसी तरह से यह आगे बढ़ता है।
इसे और बेहतर तरीके से समझने एवं भविष्य में इसका उपयोग करने के लिए आप एस्ट्रोसेज एआई की होरा टेबल को देख सकते हैं। सूर्योदय के बाद का पहला होरा हमेशा उस दिन के स्वामी ग्रह द्वारा शासित होगा और इसके बाद अन्य होरा इसी क्रम में चलते हैं।
प्रत्येक ग्रह का होरा, कार्य की प्रकृति और उस विशेष होरा के स्वामी ग्रह के स्वभाव के आधार पर शुभ या अशुभ माना जाता है। तो चलिए अब जानते हैं कि हर घंटे के लिए होरा कैसे अलग होता है और इसका हमारे रोज़मर्रा के जीवन या घटनाओं पर क्या असर पड़ सकता है।
होरा मुहूर्त की गणना करने का तरीका
- सबसे पहले पंचांग में देखें कि सप्ताह का कौन सा दिन है और उस दिन सूर्योंदय एवं सूर्यास्त का सही समय क्या है।
- दिन के सभी होरा निकालने के लिए आप सूर्योदय और सूर्यास्त के समय को 12 बराबर भागों में विभाजित कर दें।
- रात का होरा निकालने के लिए इसी तरह से सूर्यास्त से अगले दिन के सूर्योदय तक के समय को 12 बराबर भागों में बांट दें।
- अब जिस दिन का होरा निकालना है, उस दिन के स्वामी ग्रह के अनुसार पहला होरा निर्धारित करें।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
होरा के अनुसार सात ग्रह और उनका प्रभाव
अब जानते हैं कि प्रत्येक होरा ग्रह को कैसे प्रभावित करता है और किस होरा में किस प्रकार का कार्य करना चाहिए। विभिन्न कार्यों को करने के लिए होरा का समय देखना कई तरह से लाभ दे सकता है जैसे कि इससे अपार सफलता मिल सकती है, सही दिशा मिलती है, समय का सही उपयोग करने एवं आध्यात्मिक और व्यक्तिगत उन्नति मिलती है।
- सूर्य: यह ग्रह नेतृत्व करने के गुण, बॉस, अधिकारी, शक्ति और शारीरिक ताकत आदि को दर्शाता है।
कार्य: प्रमोशन मिलना, कार्यक्षेत्र और निजी जीवन में मतभेदों का सुलझना और इंटरव्यू एवं मीटिंग करना। - चंद्रमा: यह ग्रह मां, भावनाओं, पोषण और कला का प्रतीक है।
कार्य: यात्रा, जल या तरल से संबंधित व्यवसाय, सामाजिक संपर्क या नेटवर्क बनाना। - मंगल: ऊर्जा, साहस और कार्य करने की प्रेरणा को मंगल ग्रह दर्शाता है।
कार्य: प्रॉपर्टी से संबंधित कार्य जैसे कि जमीन खरीदना-बेचना, स्वास्थ्य से संबंधित उपचार, शस्त्रों से जुड़ा कार्य आदि। - बुध: यह ग्रह बुद्धि, संचार और वाणी का प्रतिनिधित्व करता है।
कार्य: संचार, मार्केटिंग या पीआर एजेंसी खोलने, स्टेशनरी या प्रिंटिंग बिज़नेस खोलने, मीडिया, पत्रकारिता से संबंधित कार्य। - बृहस्पति: ज्ञान, शिक्षा, बुद्धि और आध्यात्मिक विकास का कारक है।
कार्य: नए एडमिशन लेने, शिक्षा शुरू करने, आध्यात्मिक कार्यों, परामर्श करने और वित्तीय निर्णय लेने के लिए है। - शुक्र: प्रेम, सौंदर्य और कला का प्रतीक शुक्र ग्रह है।
कार्य: कॉस्मेटिक से जुड़ा कोई व्यापार शुरू करने, डिज़ाइनिंग के कॉलेज में दाखिला लेने और विवाह का प्रस्ताव रखने के लिए है। - शनि: सुपरवाइज़र, अनुशासन और व्यवस्थित तरीके से कार्य करना।
कार्य: दीर्घकालिक लक्ष्यों की योजना बनाने, धातु या कबाड़ का व्यवसाय करना, पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत करना।
करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
रोज़ होरा मुहूर्त का उपयोग करने में आने वाली चुनौतियां
- होरा मुहूर्त रोज़ और बहुत तेजी से बदलता है।
- दिन में अलग-अलग होरा के अनुसार कार्यों को निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- किसी कार्य को होरा के समय के अनुसार पूरा करने के लिए उपलब्धता या उस कार्य को आगे बढ़ाने की सुविधा होनी चाहिए।
विभिन्न होरा के लिए उपाय
- दिन में होरा के अनुसार मंत्र का जाप करें, जैसे कि सूर्य के होरा के लिए ‘ॐ सूर्याय नम:’, शुक्र के होरा के लिए ‘ॐ शुक्राय नम:’ का जाप करें।
- होरा के अनुसार दान करें, जैसे कि चंद्रमा के होरा में सफेद चीज़ों का दान करें।
- सभी ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए घर में नवग्रह शांति हवन करवाएं।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. किसी कार्य को करने या न करने के लिए शुभ या अशुभ समय को मुहूर्त कहते हैं।
उत्तर. हां, प्राचीन समय से ही मुहूर्त का अस्तित्व एवं महत्व है।
उत्तर. विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन आदि।