चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025: हिंदू धर्म में कई व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं जिनका व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व है। ऐसे ही व्रतों में से एक है चैत्र मास की पूर्णिमा पर पड़ने वाला चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025। हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व है। माना जाता है कि चैत्र पूर्णिमा का खासतौर पर कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त से संबंध है।

हिंदू शास्त्रों के अनुसार चित्रगुप्त मनुष्य के कर्मों का हिसाब रखते हैं और अच्छे और बुरे कर्मों को अलग कर के उन्हें मृत्यु के देवता यमराज के सामने पेश करते हैं। ब्रह्मा जी ने सूर्य देव के माध्यम से चित्रगुप्त की रचना की थी और चित्रगुप्त को यमराज का छोटा भाई माना जाता है। चित्रगुप्त का आशीर्वाद पाने के लिए पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे पिछले पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं और ऐसे गुणों की प्राप्ति होती है जो इस जीवन और परलोक दोनों में आत्मा की यात्रा को सफल बनाते हैं।
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एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025 के महत्व, तिथि, पूजन विधि और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में। तो चलिए अब बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि चैत्र पूर्णिमा पर व्रत रखने से क्या लाभ मिलते हैं।
चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025: समय और तिथि
इस साल चैत्र पूर्णिमा का व्रत शनिवार को 12 अप्रैल, 2025 को रखा जाएगा।
चंद्रोदय का समय: शाम 06 बजकर 18 मिनट
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत: 12 अप्रैल, 2025 को सुबह 03 बजकर 24 मिनट पर।
पूर्णिमा तिथि का समापन: 13 अप्रैल, 2025 को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर।
चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025 का महत्व
चैत्र पूर्णिमा हिंदू चंद्रमास की चैत्र की पूर्णिमा तिथि पर आती है। इसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। साल 2025 में पूरे भारत में सभी श्रद्धालु एवं भक्तगण पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ इस पावन अवसर को मनाएंगे। हिंदू धर्म में चैत्र महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है और चैत्र पूर्णिमा से ही चैत्र मास का समापन होता है। इस दिन विशेष अनुष्ठान, व्रत एवं दान-पुण्य आदि किए जाते हैं। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखने से संपन्नता, आध्यात्मिक विकास और पिछले जन्म के कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।
चैत्र पूर्णिमा का एक प्रमुख पहलू यह है कि इसका भगवान विष्णु और हनुमान जी से संबंध है। चैत्र पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु विष्णु जी और हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस शुभ अवसर पर सत्यनारायण व्रत भी रखा जाता है जिसमें सत्यनारायण की कथा सुनी और पढ़ी जाती है। मान्यता है कि इससे सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके अलावा चैत्र पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों जैसे कि गंगा, यमुना या गोदावरी में स्नान करने को अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे आत्मा की शुद्धि होती है और पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।
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चैत्र पूर्णिमा वैशाख मास की शुरुआत का भी प्रतीक है। हिंदू पंचांग में वैशाख मास सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से उत्तम स्वास्थ्य, शांति और संपन्नता की प्राप्ति होती है। इस शुभ दिन पर गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र और अन्य ज़रूरी सामान का दान करने का बहुत लाभकारी होता है। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन आध्यात्मिक ऊर्जा अपने चरम पर होती है इसलिए इस दिन ध्यान, मंत्र उच्चारण और प्रार्थना करना विशेष रूप से फलदायी होता है।
चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती
भारत के कई हिस्सों में खासतौर पर उत्तरी इलाकों में चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव यानी हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन हनुमान जी के मंदिरों में दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस शुभ अवसर पर हनुमान जी के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है।
चैत्र पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषीय दृष्टि से चैत्र पूर्णिमा का दिन उन्नति करने एवं बाधाओं को दूर करने के लिए किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए एक शक्तिशाली समय होता है। प्रार्थनाओं और ध्यान साधना की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए पूर्णिमा की ऊर्जा को सहायक माना जाता है। इससे यह दिन आध्यात्मिक कार्यों के लिए आदर्श बन जाता है।
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विभिन्न क्षेत्रों में चैत्र पूर्णिमा का महत्व
पूरे भारत में चैत्र पूर्णिमा श्रेत्रीय परंपराओं के अनुसार मनाई जाती है:
- महाराष्ट्र: इसे चैत्र पौर्णिमा के नाम से जाना जाता है और इस राज्य में भक्त एवं श्रद्धालु चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर मंदिरों में दर्शन करते जाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
- तमिलनाडु: यहां पर चैत्र पूर्णिमा को चित्रा पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है और भक्त इस दिन चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। इस दिन होने वाले अनुष्ठानों में शुद्धिकरण एवं पूर्वजों का तर्पण करना शामिल है।
- उत्तर प्रदेश और बिहार: भारत के इन राज्यों में चैत्र पूर्णिमा के दिन बड़े जोश और उत्साह के साथ हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस दिन जुलूस निकलते हैं, विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और प्रसाद का वितरण किया जाता है।
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चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025 की पूजन विधि
चैत्र पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धालु भगवान श्री हरि विष्णु की पूरी श्रद्धा और आस्था से पूजा करते हैं। चूंकि, इस दिन हनुमान जयंती भी है इसलिए इस दिन हनुमान जी और भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आगे चैत्र पूर्णिमा 2025 की पूजन विधि बताई गई है:
- चैत्र पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद पीले या केसरी रंग के वस्त्र पहनें क्योंकि इन रंगों को शुभ माना जाता है।
- अब सच्चे मन से भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए पूरा दिन व्रत रखने का संकल्प लें।
- इसके बाद आप पूजन स्थल में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें और पंचामृत से उनका अभिषेक करें। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान करवाएं।
- भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में केले और खीर के साथ पीले रंग के पुष्प अर्पित करें। इसके अलावा भगवान विष्णु के पूजन में तुलसी की पत्तियों के उपयोग को बहुत शुभ माना गया है।
- आप चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025 पर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। इससे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही शाम के समय आरती करें और भजन गाएं।
- रात्रि को चंद्र देव की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें।
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चैत्र पूर्णिमा व्रत 2025: व्रत कथा
प्राचीन समय में एक धनवान व्यापारी अपनी पत्नी के साथ एक नगर में रहता था। उसकी पत्नी भगवान विष्णु की परम भक्त थी और प्रतिदिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी पूजा-अर्चना किया करती थी। हालांकि, उसकी इस भक्ति से उसका पति चिढ़ता था और एक दिन उसने क्रोध में आकर अपनी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया।
घर से निकाले जाने के बाद व्यापारी की पत्नी के पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था इसलिए वो जंगल में भटकने लगी। चलते-चलते उसने देखा कि चार पुरुष जमीन खोदने का काम कर रहे हैं। उस महिला ने वहां पर जाकर कहा कि ‘मुझे भी काम करने दो’। उसकी विनती सुनकर उन चार पुरुषों ने उसे काम पर रख लिया। हालांकि, कठोर परिश्रम के कारण उसके हाथों पर छाले पड़ गए। उसकी इस पीड़ा को देखकर उन चार पुरुषों ने खुदाई का काम बंद कर के घर के काम करने का सुझाव दिया। इस पर वह महिला सहमत हो गई और उसने घर जाकर उन चारों के लिए खाना पकाया।
प्रत्येक दिन वो चार पुरुष चार मुट्ठी चावल लेकर आते हैं जिसे वो आपस में बराबर बांट लेते थे। व्यापारी की पत्नी उन चारों पुरुषों के इतनी कम मात्रा में खाने से परेशान थी इसलिए उसने कहा कि अब से वे आठ मुट्ठी चावल लेकर आया करें। उसकी सलाह पर वे चारों अधिक चावल लेकर आने लगे। वह महिला खाना परोसने से पहले चावल का पहला हिस्सा भगवान विष्णु को चढ़ाती। सभी हैरान थे कि भोजन इतना स्वादिष्ट बना है। चारों पुरुष खाने के स्वाद से आश्चर्यचकित थे और उन्होंने उस महिला इसे इसका रहस्य पूछा। इस पर उसने जवाब दिया कि ‘पहले भोजन भगवान विष्णु को चढ़ाया जाता है और इसी वजह से उसका स्वाद एकदम दिव्य है।
वहीं अपनी पत्नी को घर से निकालने के बाद व्यापार भूख और पश्चाताप से पीड़ित होने लगा। अब उससे यह दुख सहन नहीं हो रहा था इसलिए वो अपनी पत्नी की तलाश में निकल पड़ा और उसी जंगल में जाकर पहुंचा। वहां पर उसने चार पुरुषों को खुदाई करते हुए देखा। व्यापारी ने उनसे काम देने के लिए विनती की जिसे उन्होंने स्वीकार लिया।
हालांकि, खुदाई करते समय व्यापारी के हाथों में दर्दभरे छाले हो गए, जैसे उसकी पत्नी के हुए थे। फिर उन चार पुरुषों से उससे घर के कामों में हाथ बंटाने के लिए कहा। उनकी बात मानकर व्यापारी उनके घर के लिए निकल पड़ा, जहां उसने अपनी पत्नी को देखा लेकिन घूंघट में होने की वजह से उसकी पत्नी उसे पहचान नहीं पाई।
हमेशा की तरह भोजन परोसने से पहले व्यापारी की पत्नी ने भगवान विष्णु को भोग लगाया लेकिन जब वो अपने पति को खाना परोसने लगी, तब भगवान विष्णु ने उसका हाथ पकड़ लिया और पूछा ‘तुम क्या कर रही हो’? तब उसने उत्तर दिया ‘भगवन! मैं सभी को खाना परोस रही हूं।’
इस दिव्य लीला को देखते हुए चारों पुरुषों ने भगवान विष्णु के दर्शन करने की विनती की। उनके अनुरोध पर भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन चारों को अपना आशीर्वाद दिया। इस चमत्कार को देखते हुए व्यापारी को अपनी गलती का आभास हुआ और वो अपनी पत्नी से माफी मांगने लगा। उसने अपनी पत्नी से अपने साथ घर लौटने का भी अनुरोध किया।
वे चारों पुरुष जो वास्तव में उस महिला के भाई थे, उन्होंने अपनी बहन को खूब संपत्ति भेंट की और पूरे सम्मान के साथ विदा किया। उस दिन से वह व्यापारी भी भगवान विष्णु का भक्त बन गया और खुद को विष्णु जी की पूजा-अर्चना में समर्पित कर दिया। ऐसा माना जाता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु, हनुमान जी, भगवान राम और माता सीता की कृपा प्राप्त होती है। इससे जीवन में सुख-संपत्ति, शांति और आध्यात्मिक उन्नति आती है।
चैत्र पूर्णिमा व्रत रखने के लाभ
- चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजा-अर्चना करने से आत्मा और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं जिससे आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति एवं आंतरिक विकास होता है।
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान आदि करने से भक्तों को अपने पिछले पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन सच्चे मन से प्रार्थना और अनुष्ठान करने से देवताओं का आर्शीवाद और सफलता मिलती है एवं मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
- भक्तों को अपनी भक्ति के माध्यम से शांति, स्थिरता और सुकून की अनुभूति होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. 12 अप्रैल, 2025 को चैत्र पूर्णिमा का व्रत है।
उत्तर. इस दिन भगवान विष्णु और हनुमान जी की उपासना होती है।
उत्तर. चैत्र पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत भी किया जाता है।