किसे मिलेगी शोहरत? कुंडली के ये पॉवरफुल योग बनाते हैं पॉपुलर!

किसे मिलेगी शोहरत? कुंडली के ये पॉवरफुल योग बनाते हैं पॉपुलर!

एस्‍ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएं। इस ब्‍लॉग में ज्‍योतिष की एक दुर्लभ अवधारणा के बारे में बताया गया है जो कि कुंडली में प्रसिद्धि पाने का योग है। जी हां, इस ब्‍लॉग में आज हम बात करेंगे कि जन्‍मकुंडली में किस योग की वजह से व्‍यक्‍ति को प्रसिद्धि मिलेगी।

जब कोई व्‍यक्‍ति किसी ज्‍योतिषी के पास अपनी कुंडली दिखाने जाता है, तब वह सबसे पहले यही जानना चाहता है कि वो अपने करियर में अच्‍छा प्रदर्शन करेगा या नहीं और उसे अपने क्षेत्र में नाम, प्रसिद्धि और सम्‍मान मिल पाएगी या नहीं। आज इस ब्‍लॉग में हम आपको ऐसी ही अवधारणाओं, ग्रहों के संयोजन और संकेतों के बारे में बताएंगे जिनकी वजह से व्‍यक्‍ति को अपने करियर में  लोकप्रियता हासिल होती है और उसका खूब नाम होता है।

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शोहरत एक शक्‍ति या ताकत के रूप में काम करती है। कुछ लोगों की किस्‍मत में ही सुर्खियों में आना होता है। उन्‍हें कई लोगों से प्रशंसा मिलती है और उन्‍हें उनके कार्यों एवं प्रतिभा के लिए याद किया जाता है। वैदिक ज्‍योतिष में यह भाग्‍य या कोशिश करने की बात नहीं है बल्कि कुछ विशेष ग्रहों के मेल से बनने वाले योग की वजह का परिणाम होता है। ये योग ग्रहों की ऊर्जा को कुछ इस तरह बनाते हैं कि व्‍यक्‍ति की प्रतिष्‍ठा, समाज में छवि और प्रभाव में वृद्धि हो सकती है।

ज्‍योतिष शास्‍त्र में शोहरत का संबंध कुंडली के दसवें और पहले या लग्‍न भाव के साथ-साथ चंद्रमा से होता है। जन्‍मकुंडली का दसवां भाव करियर और सम्‍मान को दर्शाता है, पहला भाव स्‍वयं और व्‍यक्‍तित्‍व का कारक होता है जबकि चंद्रमा सामाजिक छवि को दिखाता है। जब कुछ ग्रह जैसे कि सूर्य, बृहस्‍पति या शुक्र एक साथ मजबूत स्थिति में होते हैं या शुभ योग का निर्माण कर रहे होते हैं, तब उस जातक को लोकप्रियता, पहचान और महान स्‍थान मिल सकता है।

ग्रह, उनकी दृ‍ष्टि, उनकी युति, स्थिति और अवस्‍था या ग्रह ज्‍योतिष के लिए आधार निर्मित करते हैं। ग्रहों के एकसाथ आने से हज़ारों ज्‍योतिषीय अवधारणाएं निर्मित होती हैं जिनका लोगों के भाग्‍य और रोज़मर्रा की जिंदगी पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आज इस ब्‍लॉग में हम आपको कुंडली में शोहरत और प्रसिद्धि के लिए योग के बारे में बताने जा रहे हैं।

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शोहरत के प्रकार

  • अच्‍छे या बुरे कारणों से लंबे समय तक शोहरत मिलना: इस तरह की शोहरत तब मिलती है, जब कोई व्‍यक्‍ति ऐसे काम करने पर ध्‍यान देता है जिसका गहरा प्रभाव हो, उसकी लगातार एक मजबूत छवि बनी रहती है और वह अपने दर्शकों के साथ उनका सच्‍चा रिश्‍ता होता है। इन सभी स्थितियों में व्‍यक्‍ति को लंबे समय के लिए प्रसिद्धि मिलती है। लोगों को कुछ समय के लिए शोहरत पाने के बजाय ऐसी प्रसिद्धि पाने पर ध्‍यान देना चाहिए जो लंबे समय तक बनी रहे जैसे कि अभिनेता और राजनेता आदि।
  • अच्‍छे या बुरे कारणों से कुछ समय तक शोहरत मिलना: 15 मिनट की शोहरत या यूं कहें कि कुछ समय के लिए प्रसिद्ध होने का मतलब है कि आपको बहुत कम समय के लिए लोगों के बीच पहचान मिली है। इसमें किसी खास उपलब्धि, घटना या मीडिया का ध्‍यान जाने के कारण अचानक से शोहरत मिलती है जो धीरे-धीरे कम होती चली जाती है जैसे कि सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर।
  • मरणोपरांत शोहरत: इस तरह की शोहरत आमतौर पर मरने के बाद मिलती है। इसमें किसी व्‍यक्‍ति द्वारा उनके जीवनभर में किए गए कार्यों की प्रशंसा उसकी मृत्‍यु के उपरांत की जाती है जैसे कि विन्‍सेंट वैन गॉग।
  • लेजेंड बनना: इस तरह की शोहरत सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों को ही मिल पाती है। इसमें उनके करियर में उनके योगदान की तुलना किसी और से नहीं की जा सकती है और वह अपनी फील्‍ड में मिसाल बन जाते हैं जैसे कि अमिताभ बच्‍चन, सचित तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी, प्रिंसेस डायना आदि।

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इन ग्रहों की युति और योग से मिलती है शोहरत

  • राज योग: केंद्र (पहले, चौथे, सातवें, दसवें भाव) और त्रिकोण (पहले, पांचवे और नौवें भाव) भावों के स्‍वामी की युति से सफलता, ताकत, प्रतिष्‍ठा और शोहरत मिलती है। उदाहरण के तौर पर अगर दसवें भाव का स्‍वामी और पांचवे भाव का स्‍वामी किसी मजबूत भाव में युति कर रहे हैं, तो इससे समाज में उस व्‍यक्‍ति की प्रतिष्‍ठा में खूब इज़ाफा होता है।
  • अम्‍ल योग: शुभ ग्रह जैसे कि बृहस्‍पति, शुक्र और बुध का लग्‍न या चंद्रमा से दसवें भाव में होना और इन पर किसी भी अशुभ ग्रह का प्रभाव न पड़ने पर व्‍यक्‍ति को लंबे समय तक शोहरत मिलती है, उसकी प्रतिष्‍ठा पर कोई दाग नहीं लगता है और उसे अपने करियर में सफलता मिलती है। यह करियर या सार्वजनिक जीवन की वजह से प्रसिद्धि मिलने के लिए शक्‍तिशाली है।
  • पंच महापुरुष योग: जब मंगल, बुध, बृहस्‍पति, शुक्र या शनि में से कोई भी अपनी उच्‍च या स्‍वराशि में केंद्र भाव (पहले, चौथे, सातवें या दसवें) में होता है और इनकी किसी अशुभ ग्रह के साथ युति या दृष्टि नहीं होती, तब यह योग बनता है।

उदाहरणार्थ:

  • रुचक योग (मंगल): मिलिट्री स्‍पोर्ट्स में शोहरत।
  • भद्र योग (बुध): खेल, मीडिया, गायन, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार में शोहरत मिलना।
  • हम्‍सा योग: (बृहस्‍पति):आमतौर पर धार्मिक या दार्शनिक शोहरत।
  • मालव्‍य योग (शुक्र): सौंदर्य, कला, फैशन और मनोरंजन के ज़रिए शोहरत।
  • शश योग (शनि): लीडरशिप और राजनीति में प्रसिद्धि मिलना।
  • गजकेसरी योग: चंद्रमा से केंद्र में बृहस्‍पति के होने और योगकारक ग्रह होने पर इस योग का निर्माण होता है जो कि बुद्धि, उच्‍च प्रतिष्‍ठा और समाज में सम्‍मान दिलाता है। यह पीड़ित न हो, तो इस योग से व्‍यक्‍ति का समाज में खूब नाम होता है।
  • चंद्र मंगल योग: चंद्रमा और मंगल की युति या इनकी एक-दूसरे पर दृष्टि पड़ने पर यह योग बनता है जिससे खासतौर पर व्‍यवसाय या मीडिया में आर्थिक मजबूती और प्रसिद्धि मिलती है।
  • बुध आ‍दित्‍य योग: एक ही घर में सूर्य और बुध की युति होने पर यह योग बनता है। इससे बौद्धिक प्रसिद्धि, प्रभावशाली बातें और मीडिया में लोकप्रियता मिलती है।
  • नीच भंग राजयोग: कुंडली में कुछ विशेष योग एक या एक से ज्‍यादा ग्रहों की दुर्बलता को भंग कर देते हैं या जिससे प्रसिद्ध नीच भंग राजयोग बनता है। इस योग की मदद से व्‍यक्‍ति एक साधारण शुरुआत से ही लोकप्रियता और पॉवर हासिल कर सकता है।
  • विपरीत राजयोग: छठे, आठवें या बारहवें भाव के स्‍वामी का इन भावों में उपस्थित होना या इनमें से किसी एक भाव में हो, तब विपरीत राजयोग बनता है। इन्‍हें मुश्किलों को पार कर के प्रसिद्धि मिलती है। अपना नाम खुद बनाने वाले लोगों की कुंडली में अक्‍सर यह राजयोग दिखता है।

अगर कुंडली में इनमें से कोई एक योग बनता है, तो इससे व्‍यक्‍ति को असीम लोकप्रियता मिलने की संभावना रहती है।

तो चलिए सिलेब्रिटी की कुंडली से इन योगों को जानते और समझते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली देखते हैं।

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली देखें, तो पता चलता है कि उनके लग्‍नेश मंगल और छठे भाव का स्‍वामी लग्‍न में बैठा है और नौवें भाव का स्‍वामी चंद्रमा लग्‍न भाव में युति कर के बैठा है। पहले भाव में चंद्रमा दुर्बल हो रहा है और नीच भंग राजयोग बना रहा है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि नरेंद्र मोदी एक बहुत ही साधारण परिवार से आए हैं और उनकी परवरिश एक बहुत ही आम परिवार में हुई थी। वे अपने दृढ़ संकल्‍प और लगन की वजह से राजनीति में प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे और वैश्विक स्‍तर पर भारत का नाम रोशन किया। मंगल ने छठे भाव का स्‍वामी होकर मोदी जी को मशहूर नेता बनाया और लग्‍न में चंद्रमा के होने की वजह से वह दुनियाभर में बहुत मशहूर हुए। यही मंगल और चंद्रमा, चंद्र मंगल योग बना रहे हैं और इसने उन्‍हें एक महान रणनीतिकार बनाया है।

अक्षय कुमार को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। उन्‍होंने बार-बार साबित किया है कि वो बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन एक्‍शन हीरो हैं और वे फिल्‍मों एवं मनोरंजन के क्षेत्र में मजबूत करियर बनाकर लोगों के दिलों-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं। अक्षय कुमार वृश्चिक लग्‍न के हैं और उनके लग्‍न भाव में मंगल स्‍वराशि में हैं। वे मार्शल आर्ट्स में ब्‍लैक बेल्‍ट हैं। ये हुनर भी उन्‍हें मंगल के मजबूत होने से मिला है।

मंगल यहां पर पीड़ित नहीं है और रुचक योग बना रहा है जो कि पंच महापुरुष योग में से एक है। मंगल के लग्‍न में होने और पीड़ित न होने से अक्षय कुमार ने एक्‍शन हीरो के रूप में अपनी एक खास जगह बनाई है। उनकी कुंडली में उच्‍च का गुरु नौवें भाव (भाग्‍य स्‍थान) में बैठा है जिसने अपनी पंचम दृष्टि के साथ मंगल को मजबूत किया है। इसकी वजह से अक्षय कुमार पिछले 3 दशकों से अपने करियर में शीर्ष पर बने हुए हैं और अब तक सफल रहे हैं।

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तो नरेंद्र मोदी और अक्षय कुमार की कुंडलियों से हमें यह जानने को मिला कि किस तरह ये योग लंबे या कुछ समय के लिए सफलता प्रदान करते हैं। अब हम एक और लोकप्रिय अभिनेता की कुंडली को भी देखते हैं जिनका करियर काफी छोटा रहा और उन्‍हें तुरंत लोकप्रियता तो मिली लेकिन वह काफी लंबे समय नहीं मिली। हम बात कर रहे हैं, अनु अग्रवाल की जो 90 के दशक में अपनी पहली ही फिल्‍म आशिकी से लोकप्रिय हो गईं लेकिन ज्‍यादा समय तक स्‍टार नहीं बन पाईं और जल्‍द ही उनकी शोहरत खत्‍म हो गई।

अनु अग्रवाल मीन लग्‍न की हैं और शनि यानी ग्‍यारहवें भाव का स्‍वामी लग्‍न भाव में बैठा है। उनकी कुंडली में लग्‍न, चंद्रमा और सूर्य सभी सम राशियों में हैं जो महाभाग्‍य योग को जन्‍म दे रहे हैं क्‍योंकि उनका जन्‍म भी दिन के समय होता है। बृहस्‍पति लग्‍न भाव का स्‍वामी सातवें भाव में गजकेसरी योग बना रहा है। अब कोई सोच सकता है कि उनकी कुंडली में ये सभी प्रमुख योग होने के बाद भी उनकी प्रसिद्धि लंबे समय तक क्‍यों नहीं टिक पाई?

तो इस सवाल का जवाब है गजकेसरी योग। ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी का लग्‍न में आना और महाभाग्‍य योग सभी पीड़ित हैं क्‍योंकि ये सभी राहु-केतु के अक्ष में आ रहे हैं। 

इसके अलावा सातवें भाव का स्‍वामी बुध मीन लग्‍न के लिए बाधक है और ग्‍यारहवें भाव में बैठा है जो कि इच्‍छाओं के पूरे होने का भाव है। इससे यहां पर बाधाएं या रुकावटें आ रही हैं। दसवें भाव का स्‍वामी बृहस्‍पति पीड़ित हो रहा है और छठे भाव का स्‍वामी सूर्य दसवें भाव में बैठा है। नौवें भाव का स्‍वामी मंगल आठवें भाव में बैठे हैं जिससे भाग्‍य वृद्धि में बाधाएं आ रही हैं।

अब तो आप समझ गए होंगे कि किस तरह अलग-अलग लोगों को विभिन्‍न योगों से कम समय के लिए या दीर्घकालिक लोकप्रियता हासिल हुई।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. ज्‍योतिष में लोकप्रियता देने वाले कौन से भाव हैं?

उत्तर. पहले, चौथे, पांचवे, नौवें और ग्‍यारहवे भाव का संबंध लोकप्रियता दिलवाने से है।

प्रश्‍न 2. प्रसिद्धि देने वाले दो योगों का नाम बताएं?

उत्तर. बुधादित्‍य योग और मालव्‍य योग।

प्रश्‍न 3. कुंडली में दो सबसे शुभ ग्रह कौन से हैं?

उत्तर. शुक्र और बृहस्‍पति।