हरियाली तीज 2025: शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक पर्व, जानें इससे जुड़ी कथा और परंपराएं

हरियाली तीज 2025: शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक है ये पर्व, जानें इससे जुड़ी कथा और परंपराएं

हरियाली तीज भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत पावन और उल्लासपूर्ण पर्व है, जिसे श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से महिलाओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है, खासकर विवाहित स्त्रियों के लिए यह पर्व सौभाग्य, प्रेम और दीर्घायु दांपत्य जीवन का प्रतीक माना जाता है। हरियाली तीज 2025 शिव-पार्वती के पवित्र मिलन का उत्सव है, जिसमें सुहागिन दीर्घायु दांपत्य स्त्रियां व्रत रखती हैं, श्रृंगार करती हैं और हरियाली से सजी धरती के बीच झूले झूलती हैं। यह पर्व प्रकृति की हरियाली, बारिश की फुहारों और पारंपरिक लोकगीतों से सजीव हो उठता है, जिससे यह एक सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाला पर्व बन जाता है। 

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एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम हरियाली तीज 2025 व्रत के बारे में सब कुछ जानेंगे, साथ ही इसके महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए बिना किसी देरी के अपने ब्लॉग की शुरुआत करते हैं।

हरियाली तीज 2025: तिथि और समय

हरियाली तीज हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर नाग पंचमी से दो दिन पहले पड़ती है। इस साल, हरियाली तीज 27 जुलाई 2025, रविवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि 26 जुलाई 2025 को रात 10 बजकर 44 मिनट शुरू होगी और 27 जुलाई 2025 को रात 10 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर, यह पर्व 27 जुलाई को ही मनाया जाएगा।

तृतीया आरम्भ: जुलाई 26, 2025 को 22:44:26 से 

तृतीया समाप्त: जुलाई 27, 2025 को 22:44:25 पर 

शुभ योग

हरियाली तीज 2025 के दिन बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन रवि योग और शिव योग का संयोग बन रहा है, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। रवि योग एक शुभ और शक्तिशाली मुहूर्त होता है, जो चंद्रमा और सूर्य के विशेय संयोग से बनता है। जब चंद्रमा किसी भी नक्षत्र में हो और सूर्य से चौथे, छठे, आठवें, नौवें या बारहवें स्थान पर स्थित हो, तब रवि योग बनता है। इसे अशुभ कार्यों की समाप्ति और शुभ कार्यों की सिद्धि के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है।

शिव योग की बात करें तो पंचांग के अनुसार तब बनता है जब तिथि और नक्षत्र विशेष योग में आते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई भी शुभ तिथि (जैसे द्वितीया, तृतीया, सप्तमी आदि) और शुभ नक्षत्र (जैसे रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य आदि) साथ आते हैं, तो यह शिव योग बनता है।

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हरियाली तीज 2025 का महत्व

हरियाली तीज का पर्व महिलाओं के लिए श्रृंगार, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह व्रत विशेष रूप से सावन मास में शुक्ल पक्ष की तीज स्थिति को मनाया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए व्रत रखती है। इस दिन का सबसे बड़ा महत्व यह है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को 108 जन्मों की तपस्या के बाद पति रूप में प्राप्त किया था।

हरियाली तीज इसी दिव्य मिलन की स्मृति में मनाई जाती है। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूती और प्रेम से भर देता है। हरियाली तीज न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महिलाओं को एकजुटता और आत्मबल का अवसर देती है। यह पर्व प्राकृतिक सौंदर्य, प्रेम, श्रद्धा और उत्सव का सुंद संगम है।

हरियाली तीज के दिन करें इस विधि से पूजा

हरियाली तीज के दिन व्रत एवं पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं विशेष विधि से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है। पूजा विधि इस प्रकार है:

  • सुबह ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ हरे वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  • किसी शांत स्थान पर साफ चौकी बिछाएं और उस पर लाल या पीली कपड़ा बिछाकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • माता पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, इत्र आदि।
  • पूजन सामग्री लें (जल से भरा हुआ कलश फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा मिठाई (घेवर विशेष रूप से), पान-सुपारी दीपक, धूप, रोली, अक्षत, नारियल) आदि।
  • पूजा के बाद हरियाली तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इससे व्रत पूर्ण माना जाता है।
  • भगवान शिव-पार्वती की आरती करें और सबको प्रसाद बांटें।
  • इस दिन महिलाएं झूला झूलती हैं और सावन के गीत गाकर उत्सव मनाती हैं।
  • कुछ महिलाएं यह व्रत निर्जला रखती हैं और अगले दिन ब्रह्ममूर्त में व्रत तोड़ती हैं। कुछ फलाहार भी करती हैं।

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हरियाली तीज 2025 के दिन जरूर पढ़ें ये कथा

हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागन स्त्रियां करती हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन सुखमय रहे और उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हो। इस व्रत की मुख्य कथा माता पार्वती और भगवान शिव से जुड़ी है।

पुराणों के अनुसार, माता सती ने पहले जन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाने की इच्छा की थी, लेकिन सती के पिता राजा दक्ष ने शिवजी का अपमान किया। इससे आहत होकर माता सती ने यज्ञ में अपने प्राण त्याग दिए। फिर सती ने पार्वती के रूप में राजा हिमवान के घर पुनः जन्म लिया। पार्वती जी ने बचपन से ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया और इस उद्देश्य से उन्होंने कठोर तप करना शुरू कर दिया। उन्होंने वर्षों तक अन्न-जल त्याग कर, जंगल में एकांत में तप किया। उनके तप से पूरा ब्रह्मांड कांप उठा।

भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न तो हुए, लेकिन वे उनकी भक्ति और प्रेम की परीक्षा लेना चाहते थे। उन्होंने सप्तऋषियों को पार्वती जी के पास भेजा। ऋषियों ने कहा, “हे पार्वती! तुम एक संन्यासी, मस्तमौला, बाघम्बरधारी, श्मशान वासी को पति बनाना चाहती हो? तुम्हारे योग्य तो कोई राजकुमार है।” लेकिन पार्वती जी डिगीं नहीं। उन्होंने कहा-मेरे लिए शिव ही सब कुछ हैं। मैं उन्हें ही पति रूप में स्वीकार कर चुकी हूं। श्रावण शुक्ल तृतीया को भगवान शिव ने माता पार्वती को दर्शन दिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस दिन देवताओं और ऋषियों की उपस्थिति में विधिपूर्वक उनका विवाह सम्पन्न हुआ।

हरियाली तीज पर करें ये ख़ास उपाय

अखंड सौभाग्य के लिए

सुहागिन स्त्रियां लाल चूड़ियां, बिंदी, मेहंदी और सिंदूर चढ़ाकर माता पार्वती को अर्पित करें। 16 श्रृंगार करें और मन से माता पार्वती की पूजा करें। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।

शिव-पार्वती की कृपा पाने के लिए

इस दिन मिट्टी की शिव-पार्वती प्रतिमा बनाकर पूजा करें। साथ ही, ॐ पार्वतीपतये नमः मंत्र का जाप 108 बार करें।

पति-पत्नी के बीच प्रेम बनाए रखने के लिए 

इस दिन यदि आप व्रत रखते हैं तो पति का चेहरा देखकर ही व्रत खोलें और तीज माता से अपने रिश्ते की मजबूती के लिए प्रार्थना करें।

संतान सुख के लिए 

ॐ नमः शिवाय” का जाप करें और शिव-पार्वती को दूध, दही और शहद चढ़ाएं।

ग्रह-दोष शांति के लिए

इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। सात प्रकार के अनाज या हरी वस्तु का दान करें। ऐसा करने से ग्रह-दोष से मुक्ति मिलती है।

धन-समृद्धि के लिए

धन प्राप्ति के लिए इस दिन हरे वस्त्र पहनकर मां गौरी को पान, इलायची, हरि चूड़ियां अर्पण करें। “श्रीं श्रियै नमः” मंत्र का जाप करें।

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हरियाली तीज 2025 पर राशि अनुसार पहनें इस रंग की साड़ी 

मेष राशि

मेष राशि के जातकों को हरियाली तीज के दिन लाल या सिंदूरी रंग की साड़ी पहनना चाहते हैं। 

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों को इस दिन गुलाबी या चांदी जैसा सफेद रेग की साड़ी धारण करनी चाहिए।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों को हरा या हल्का पीले रंग की साड़ी पहननी चाहिए।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों को सफेद या हल्का नीले रंग की साड़ी पहननी चाहिए।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों को सफेद या हल्के नीले रंग की साड़ी पहननी चाहिए।

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कन्या राशि

कन्या राशि के जातक हरा या हल्का भूरा रंग पहने। 

तुला राशि

तुला राशि के जातक क्रीम या हल्का गुलाबी रंग।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों को मैरून या गाढ़े लाल रंग की साड़ी इस दिन पहनना चाहिए।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों को पीले या केसरिया रंग पहनना चाहिए।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए गहरा नीला या स्लेटी रंग शुभ साबित हो सकता है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए नीला या बैंगनी रंग शुभ रहेगा।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए पीला या सफेद रंग शुभ रहेगा।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

1. 2025 में कब है हरियाली तीज?

हरियाली तीज का पर्व 27 जुलाई को मनाया जाएगा।

2. हरियाली तीज का दूसरा नाम क्या है?

हरियाली तीज को छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है।

3. हरियाली तीज पर कौन से भगवान की पूजा होती है?

इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है।