शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यह पहल रही है कि वह अपने लेखों के द्वारा आपको ग्रहों की चाल, दशा या स्थिति में होने वाले छोटे से छोटे बदलावों के बारे में बता सकें क्योंकि इनका सीधा असर आपके और हमारे जीवन पर पड़ता है। इसी क्रम में, ज्योतिष शास्त्र में शुक्र महाराज को भोग-विलास और ऐश्वर्य के कारक ग्रह माना जाता है जो कि प्रेम, लक्ज़री और सौंदर्य आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनकी कृपा से ही कोई व्यक्ति किसी दूसरे के प्रति आकर्षित होता है। ऐसे में, शुक्र ग्रह के गोचर को महत्वपूर्ण माना जाता है जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से प्रेम जीवन से लेकर वैवाहिक जीवन तक पर नज़र आता है। अब शुक्र देव जल्द ही अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं।

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इसी क्रम में, हमारा आज का यह विशेष ब्लॉग आपको “शुक्र का मिथुन राशि में गोचर” से जुड़ी सारी जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, शुक्र महाराज का यह गोचर कब और किस समय होगा? इनका यह राशि परिवर्तन आपको सकारात्मक या नकारात्मक किस तरह के परिणाम देगा? शुक्र का मिथुन राशि में प्रवेश किन राशियों के लिए शुभ और किनके लिए अशुभ रहेगा? आपके मन में उठने वाले इस तरह के सभी सवालों के जवाब आपको “शुक्र गोचर” के इस लेख में मिलेंगे। इसके अलावा, विद्वान ज्योतिषियों द्वारा शुक्र को मज़बूत करने के उपाय भी आपको बताए जाएंगे जिससे आप शुक्र ग्रह से शुभ फल प्राप्त कर सकेंगे। तो चलिए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
कब और किस समय होगा शुक्र का मिथुन राशि में गोचर?
शुक्र देव को असुरों के गुरु का दर्जा प्राप्त है और इनकी कृपा से किसी व्यक्ति को लोकप्रियता, धन-समृद्धि, विलासिता, रचनात्मकता और प्रेम पूर्ण रिश्ते की प्राप्ति होती है। शुक्र महाराज का गोचर हर महीने यानी कि तक़रीबन 30 दिनों में होता है और इसके बाद, यह दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में, अब शुक्र महाराज 26 जुलाई 2025 की सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे। बता दें कि मिथुन राशि के स्वामी बुध ग्रह हैं जो शुक्र के मित्र माने गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, शुक्र का मिथुन राशि में गोचर शुभ कहा जा सकता है। हालांकि, यह राशि परिवर्तन देश-दुनिया के साथ-साथ सभी राशियों के जातकों के जीवन में बदलाव लेकर आने में सक्षम होगा।
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मिथुन राशि में युति करेंगे गुरु और शुक्र
हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि शुक्र ग्रह अपने मित्र बुध की राशि मिथुन में गोचर करेंगे जिसे एक अनुकूल स्थिति कहा जा सकता है। लेकिन, मिथुन राशि में जब शुक्र का गोचर होगा, उस समय वहां पहले से गुरु ग्रह विराजमान होंगे। इसके फलस्वरूप, मिथुन राशि में गुरु और शुक्र दोनों एक साथ बैठे होंगे और यह युति का निर्माण करेंगे। बता दें कि मिथुन राशि में शुक्र और गुरु की स्थिति को अच्छा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि बृहस्पति देवताओं के गुरु और शुक्र ग्रह असुरों के गुरु हैं। ऐसे में, इनकी यह युति कन्फ्यूज़न पैदा करने का काम कर सकती है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जिन भावों में यह दोनों ग्रह बैठे होंगे या जिन भावों के ये स्वामी होंगे। चलिए अब नज़र डालते हैं शुक्र ग्रह के ज्योतिषीय महत्व पर।
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
- वैदिक ज्योतिष में शुक्र महाराज को स्त्री ग्रह माना गया है और इनकी कृपा से व्यक्ति को अपने जीवन में धन, संपत्ति, ऐश्वर्य, प्रेम से भरा प्रेम जीवन और सुख-सुविधापूर्ण जीवन मिलता है।
- शुक्र देव को लाभकारी और शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है। ज्योतिष की तरह ही हिंदू धर्म में भी शुक्र ग्रह का अपना महत्व है जिन्हें शुक्राचार्य के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह राक्षसों के गुरु माने जाते हैं।
- राशि चक्र की सभी 12 राशियों में शुक्र वृषभ और तुला राशि के अधिपति देव हैं जबकि 27 नक्षत्रों में इन्हें पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, भरणी नक्षत्र और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है।
- बात करें मित्र ग्रह की तो, शुक्र देव न्याय के देवता शनि और बुद्धि के ग्रह बुध महाराज से मित्रवत संबंध रखते हैं। दूसरी तरफ, शुक्र महाराज सूर्य और चंद्रमा के प्रति शत्रुता के भाव रखते हैं।
- अगर किसी जातक के प्रेम जीवन का विश्लेषण करना होता है, तो सबसे पहले कुंडली में शुक्र देव की स्थिति को गहराई से देखा जाता है।
- कुंडली में शुक्र देव के शुभ और बलवान होने पर व्यक्ति का प्रेम जीवन प्यार, रोमांस और ख़ुशियों से भरा रहता है।
- इसके विपरीत, शुक्र ग्रह की कमज़ोर अवस्था मनुष्य के प्रेम जीवन से लेकर वैवाहिक जीवन तक में परेशानी का कारण बन सकती है क्योंकि व्यक्ति को अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- शुक्र महाराज के बलवान होने से जातक एक्टिंग, पेंटिंग, गायन और संगीत आदि क्षेत्रों में लोकप्रियता प्राप्त करता है।
आइए अब जान लेते हैं शुक्र ग्रह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को कैसे प्रभावित करते हैं।
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शुक्र देव का जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव
शुक्र ग्रह की सकारात्मक और नकारात्मक स्थिति का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को किसी न किसी रूप से प्रभावित करता है, कैसे? आइए जानते हैं।
करियर पर शुक्र ग्रह का प्रभाव: किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र देव की शुभ स्थिति आपकी किस्मत बदल सकती है। यह आपको एक स्थिर और सफल करियर प्रदान करती है। वहीं, आपके दसवें भाव पर शुक्र ग्रह का प्रभाव या शुक्र की अशुभ स्थिति आपको अस्थिर करियर देने का काम कर सकती है। ऐसे में, कड़ी मेहनत करने के बाद भी मनपसंद नौकरी या पद हासिल करना आपको मुश्किल लग सकता है।
वैवाहिक जीवन पर शुक्र ग्रह का प्रभाव: शुक्र देव के कुंडली में बलवान होने पर जातकों को योग्य और मनचाहे जीवनसाथी का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, इनका शादीशुदा जीवन स्थिर, मज़बूत और हर लंबे समय तक एक-दूसरे का साथ देने वाला होगा। वहीं, कुंडली में शुक्र महाराज के दुर्बल होने पर विवाह के मार्ग में समस्याएं आती हैं जो देरी का कारण बनती हैं। इसी प्रकार, विवाहित जातकों को रिश्ते में काफ़ी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
प्रेम जीवन पर शुक्र ग्रह का प्रभाव: कुंडली में शुक्र की शुभ स्थिति प्रेम जीवन को खूबसूरत और आसान बनाने का काम करती है। मान्यताओं के अनुसार, शुक्र महाराज की सकारात्मक स्थिति जातकों के प्रेम जीवन में रिश्ते को मज़बूत, प्रेमपूर्ण, बेहतरीन आपसी तालमेल और जुनून से भरने का काम करती है। इसके विपरीत, शुक्र की कमज़ोर अवस्था आपके प्रेम जीवन को नीरस बना देती है और ऐसे में, रिश्ते में समस्याएं और गलतफहमियां बढ़ने लगती हैं।
स्वास्थ्य पर शुक्र ग्रह का प्रभाव: प्रेम और सुंदरता के कारक ग्रह शुक्र चेहरे और प्रजनन अंगों से जुड़े हैं और ऐसे में, शुक्र के नकारात्मक प्रभाव से जातक को नशे, धूम्रपान और प्रजनन अंगों से जुड़ी समस्याएं परेशान करने लगती हैं जबकि इनकी मज़बूती आपकी सुंदरता बढ़ाने का काम करती है।
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शुक्र ग्रह से बनने वाले अशुभ योग
शुक्र ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति और इनका गोचर सिर्फ़ शुभ योगों को जन्म नहीं देता है, बल्कि कई अशुभ योग भी बनते हैं जिनके बारे में हम नीचे बात करेंगे।
सहोदरी संगम योग
सहोदरी संगम योग उस समय बनता है जब कुंडली में चौथे भाव के स्वामी शुक्र और सातवें भाव के स्वामी युति का निर्माण करते हैं। ज्योतिष में सहोदरी संगम योग को अशुभ माना जाता है जिसका संबंध पापी ग्रहों से या फिर उनसे प्रभावित माना गया है।
कालत्राशंडा योग
ज्योतिष के अनुसार, कालत्राशंडा योग का निर्माण उस समय होता है जब सातवें भाव का स्वामी शुक्र ग्रह के साथ छठे भाव में विराजमान होता है या फिर उसके साथ युति करता है। किसी मनुष्य के शादीशुदा जीवन को कालत्राशंडा योग नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और विवाद का कारण बनता है।
भग चुम्बन योग
भग चुम्बन योग को अशुभ माना गया है और कुंडली में यह उस समय बनता है जब सातवें भाव का स्वामी शुक्र महाराज के साथ चौथे भाव में बैठा होता है। भग चुम्बन योग के अशुभ प्रभाव की वजह से जातकों में काम भावना बहुत अधिक होती है और यह इनके जीवन में समस्याओं को बढ़ाने का काम करती है।
कुंडली में कमज़ोर शुक्र होने पर दिखते हैं ये लक्षण
- अगर किसी की कुंडली में शुक्र निर्बल होता है, तो उस व्यक्ति को संतान प्राप्ति में कई तरह की बाधाओं से जूझना पड़ता है।
- ज्योतिष के अनुसार, आपका शुक्र कमज़ोर होने से जीवन में गरीबी और निर्धनता दस्तक देने लगती है।
- शुक्र देव का नकारात्मक प्रभाव आपके आर्थिक जीवन में परेशानियां पैदा करता है और ऐसे में, आप आर्थिक तंगी की वजह से चिंतित रहने लगते हैं।
- जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ या पीड़ित होता है, तो आपको हर काम में असफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही, मेहनत करने के बावजूद भी आपको तरक्की और सफलता के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।
- स्वास्थ्य की बात करें तो, शुक्र के कमज़ोर होने से आपको शुगर, आंत, मूत्र और किडनी से संबंधित समस्याएं घेरने लगती हैं।
- शुक्र के पापी या पीड़ित होने पर प्रेम जीवन और वैवाहिक जीवन में साथी के साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं और आप दोनों के बीच दूरियाँ आ जाती हैं।
- वैवाहिक जीवन में शुक्र का नकारात्मक प्रभाव जीवनसाथी के बीच मतभेद और विवाद पैदा करता है।
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शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: सरल एवं अचूक उपाय
- शुक्र को मज़बूत करने के लिए रोज़ाना सुबह गाय को रोटी खिलाएं।
- संभव हो, तो शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह के लिए व्रत करें। ऐसा करने से शुक्र ग्रह प्रसन्न होते हैं।
- हर रोज़ शुक्र देव के बीज मंत्र “ॐ शुं शुक्राय नम:” का 108 बार जाप करना आपके लिए फलदायी रहेगा।
- हीरा रत्न शुक्र ग्रह को अत्यंत प्रिय है इसलिए कुंडली में शुक्र ग्रह को शुभ करने के लिए आप हीरा रत्न पहन सकते हैं। लेकिन, ऐसा किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद ही करें।
- शुक्र देव से शुभ परिणाम पाने के लिए शुक्रवार के दिन सफ़ेद रंग की वस्तुओं जैसे कि चीनी, दूध, दही, घी और आटा आदि का दान करना चाहिए।
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शुक्र का मिथुन राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के दूसरे और सातवें भाव के स्वामी शुक्र हैं और वर्तमान में ये आपके तीसरे भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लग्न या राशि स्वामी होने के साथ-साथ शुक्र आपके छठे भाव के भी स्वामी हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के पांचवें भाव के स्वामी होने के साथ-साथ शुक्र इनके द्वादश भाव के भी स्वामी…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
कर्क राशि के चौथे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ लाभ भाव के स्वामी होते हैं और वर्तमान…… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
सिंह राशि के तीसरे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ शुक्र आपके दशम भाव के भी स्वामी…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
शुक्र कन्या राशि के दूसरे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ भाग्य भाव के भी स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
शुक्र तुला राशि के लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ आठवें भाव के भी स्वामी होते…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
शुक्र वृश्चिक राशि के शुक्र आपकी कुंडली में सातवें भाव के स्वामी होने के साथ-साथ द्वादश…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
शुक्र ग्रह धनु राशि के छठे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ लाभ भाव के भी स्वामी हैं और…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
शुक्र मकर राशि के पांचवें भाव के स्वामी होने के साथ-साथ दशम भाव के भी स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
शुक्र कुंभ राशि के चौथे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ भाग्य भाव के भी स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
शुक्र मीन राशि के तीसरे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ आठवें भाव के भी स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रेम के कारक ग्रह शुक्र महाराज 26 जुलाई 2025 को मिथुन राशि में गोचर कर जाएंगे।
राशि चक्र की तीसरी राशि के अधिपति देव बुध ग्रह हैं।
नहीं, बुध ग्रह से शुक्र देव मित्रवत संबंध रखते हैं।